लद्दाख कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। क्या एनएसए के तहत गिरफ्तारी से उन्हें राहत और रिहाई मिलेगी?
क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की हिरासत के ख़िलाफ़ उनकी पत्नी डॉ. गीतांजली अंगमो द्वारा दायर हेबियस कार्पस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी। जस्टिस अरविंद कुमार और एन.वी. अंजरिया की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। याचिका में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी एनएसए के तहत वांगचुक की 'अवैध और मनमानी' हिरासत को चुनौती दी गई है। इसके साथ ही उनकी तत्काल रिहाई, स्वास्थ्य जाँच और दवाओं की व्यवस्था की मांग की गई है। लद्दाख में राज्य के दर्जे और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुई हिंसक झड़पों के बाद वांगचुक को गिरफ़्तार किया गया है और उन पर 'षड्यंत्र रचने' का आरोप लगाया गया है।
लद्दाख में 24 सितंबर को लेह में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गया था। अनशन के दौरान कुछ लोगों की हालत बिगड़ने पर युवा भड़क गए थे और सड़कों पर निकल आए थे। प्रदर्शन के दौरान बीजेपी के कार्यालय पर हंगामा हुआ था और इस दौरान बवाल तब बढ़ गया था जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी थी। पुलिस ने बल का प्रयोग किया, पथराव हुआ, आंसू गैस के गोले चले और गोलियाँ भी चलीं। इसमें चार युवाओं की मौत हो गई थी और कई युवा और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। मांग थी- लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देना और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना। यह अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्तता देती है। झड़पों में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई, जबकि 90 से अधिक लोग घायल हुए। पुलिस फायरिंग में हुई इन मौतों ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैला दिया।
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख यानी एचआईएएल के संस्थापक सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से अनशन शुरू किया था। हिंसा भड़कने पर उन्होंने अनशन तोड़ दिया था। 26 सितंबर को लेह पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और एनएसए के तहत जोधपुर सेंट्रल जेल स्थानांतरित कर दिया। प्रशासन का आरोप है कि वांगचुक के भड़काऊ के भाषणों, नेपाली आंदोलनों और अरब स्प्रिंग का ज़िक्र करने वाले वीडियो ने हिंसा भड़काई। एक प्रेस रिलीज में कहा गया, 'उनके भाषणों से 24 सितंबर को संस्थानों, वाहनों को आग लगाई गई और पुलिस पर हमला हुआ, जिससे चार मौतें हुईं।' साथ ही, उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंट से संपर्क का भी आरोप लगाया गया, जिसे परिवार ने 'झूठा प्रोपेगेंडा' बताया।
याचिका में अपील
गीतांजली अंगमो ने 3 अक्टूबर को वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा और सर्वम रितम खरे के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि वांगचुक की हिरासत संविधान का उल्लंघन है। याचिका में मांग की गई है-
- वांगचुक को तुरंत अदालत के समक्ष पेश किया जाए।
- हिरासत आदेश और आधार सहित सभी रिकॉर्ड पेश किए जाएं।
- उनकी चिकित्सकीय जांच कराई जाए
- दवाएँ, कपड़े, भोजन जैसी बुनियादी सुविधाएं दी जाएं।
- एचआईएएल के छात्रों-कर्मचारियों पर उत्पीड़न बंद हो।
- हिरासत आदेश रद्द कर रिहा किया जाए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन के एक सदस्य ने कथित तनाव में आत्महत्या कर ली, जो समुदाय पर 'विनाशकारी मनोवैज्ञानिक प्रभाव' दिखाता है। अंगमो ने एक्स पर लिखा, 'एक हफ्ता हो गया, लेकिन मुझे उनके स्वास्थ्य, हालत या हिरासत के आधार की कोई जानकारी नहीं।' उन्होंने ख़त लिखकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है।
विपक्ष का विरोध, सरकार का बचाव
विपक्षी दलों ने वांगचुक की गिरफ्तारी को 'राजनीतिक साजिश' बताया। आम आदमी पार्टी ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया, जबकि लेह एपेक्स बॉडी यानी एलएबी और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस यानी केडीए ने सरकार के साथ वार्ता बंद कर दी। अंगमो ने लद्दाख पुलिस पर 'एजेंडा' चलाने का आरोप लगाया और कहा, 'वे छठी अनुसूची लागू नहीं करना चाहते और किसी को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं।' जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, 'वांगचुक जैसे शांतिपूर्ण कार्यकर्ता को एनएसए के तहत दबाना लोकतंत्र की हत्या है।'
सरकार ने कहा है कि वांगचुक को लेह जिले में रखना सही नहीं था, इसलिए जोधपुर भेजा गया। गृह मंत्रालय ने कहा कि एनएसए का इस्तेमाल 'सार्वजनिक व्यवस्था' बनाए रखने के लिए जरूरी था।
लद्दाख में तनाव
अगस्त 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बना लद्दाख छठी अनुसूची की मांग कर रहा है ताकि स्थानीय संसाधनों पर नियंत्रण मिले। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता वांगचुक ने हमेशा गांधीवादी तरीकों से पर्यावरण और शिक्षा सुधार पर जोर दिया। उनकी गिरफ्तारी ने आंदोलन को नई ऊर्जा दी।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई लद्दाख आंदोलन के भविष्य को तय कर सकती है। यदि याचिका स्वीकार हुई तो यह एनएसए के दुरुपयोग पर नया बहस छेड़ेगी। अन्यथा, क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है। दुनिया भर के पर्यावरण कार्यकर्ता वांगचुक की रिहाई की मांग कर रहे हैं।