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जी 23 कांग्रेस नेताओं के डिनर मीट में थरूर और अय्यर भी 'महफिल' सजाने पहुंचे

कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं की जी 23 बैठक में आज कांग्रेस नेता शशि थरूर और मणिशंकर अय्यर भी शामिल हुए। हालांकि इस बीच जी 23 नेताओं के खिलाफ कांग्रेस और गांधी परिवार के वफादार मैदान में उतर चुके हैं। इन वफादारों ने इन असंतुष्टों से कहा है कि अगर उन लोगों में हिम्मत है तो अपने वसूलों, सिद्धांतों के आधार पर पार्टी से अलग होकर राजनीति करें। ऐसा क्यों है जब यूपीए की सरकार थी तो इन लोगों को सब अच्छा लग रहा था और जब यूपीए सत्ता में नहीं है तो इन्हें सबकुछ बुरा लग रहा है। जी -23 नेताओं के समूह ने आज रात दिल्ली में गुलाम नबी आजाद के घर पर बैठक की। ये लोग मांग कर रहे हैं कि पार्टी में पूरी तरह परिवर्तन हो और गांधी परिवार को भी किनारे किया जाए।
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डिनर मीट के लिए आजाद के घर जाने वालों में कपिल सिब्बल, शशि थरूर, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, भूपिंदर हुड्डा, अखिलेश प्रसाद सिंह, पृथ्वीराज चव्हाण, राज बब्बर, पीजे कुरियन और मणिशंकर अय्यर शामिल थे। शशि थरूर, जो गांधी परिवार के खिलाफ कुछ नहीं बोलते और दूर से तमाशा देखते हैं, उन्होंने असंतुष्टों के गुट में आश्चर्यजनक एंट्री की। गांधी परिवार के सबसे पुराने अनुयायी और वफादार मणिशंकर अय्यर भी भी आज इस खेमे में नजर आए।शशि थरूर ने आज एक ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने बिना कुछ कहे एक कोट डाला था, जिसमें लिखा था - मैंने अपनी गलतियों से काफी कुछ सीखा है। लेकिन अब कुछ और गलतियां करने के बारे में सोच रहा हूं।

पंजाब में कांग्रेस पार्टी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) से हार गई और गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में वापसी के अपने प्रयास में विफल रही। यूपी में जहां प्रियंका गांधी ने प्रचार किया, वहां सबसे नीचे रही। पार्टी पांच राज्यों में हारी है लेकिन छह राज्यों के नेता विद्रोहियों की बैठक में शामिल हुए। चुनाव परिणाम वाले दिन भी शाम को कुछ विद्रोही आजाद के घर पर मिले थे।
सूत्रों का कहना है कि आज की बैठक पहले कपिल सिब्बल के घर पर बुलाई गई थी, लेकिन सेटिंग बदल दी गई क्योंकि गांधी परिवार पर उनके तीखे हमले से कई नेता "असहज" थे। यह एक संकेत है कि जी 23 में विभाजन मुमकिन है।

कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा था कि यह गांधी परिवार को एक तरफ रखने और किसी और को कांग्रेस का नेतृत्व सौंपने का समय है। सिब्बल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, "मुझे 'सब की कांग्रेस' चाहिए। कुछ लोग 'घर की कांग्रेस' चाहते हैं।"

रविवार को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद सिब्बल स्पष्ट रूप से परेशान थे। क्योंकि इस बैठक में तमाम सदस्यों ने सोनिया गांधी समेत गांधी परिवार में पूरी आस्था जताई और जी 23 के आरोपों को खारिज कर दिया। सभी सदस्यों ने गांधी परिवार को फैसले लेने का अधिकार दिया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि सोनिया गांधी ने उस बैठक में नेताओं को संबोधित करते हुए अपने और अपने बच्चों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के इस्तीफे की पेशकश की थी। लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इसे आमराय से खारिज कर दिया।2014 के बाद से कांग्रेस की लगातार चुनावी हार के बाद जी -23 गुट ने सबसे पहले 2020 में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर व्यापक संगठनात्मक परिवर्तन, पूर्णकालिक अध्यक्ष और सामूहिक निर्णय लेने का आह्वान किया था। .पार्टी में गांधी परिवार के वफादारों ने विद्रोहियों को अलग-थलग कर दिया था, लेकिन हर हार के बाद, नेतृत्व परिवर्तन की मांग जारी रही।

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बहरहाल, रविवार को, साढ़े चार घंटे की सीडब्ल्यूसी बैठक ने "आत्मनिरीक्षण" की बात कहते हुए किसी भी कठोर सुधार के लिए पहल करने से इनकार कर दिया।

बैठक के दो दिन बाद, सोनिया गांधी ने पांच राज्यों में कांग्रेस के सभी प्रदेश अध्यक्षों को हटा दिया, जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू भी शामिल थे। जिन्हें पंजाब में पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार माना जाता है। जिन्हें राज्य में कई गलत कदमों के लिए दोषी ठहराया गया था।

राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले मनिकम टैगोर ने कुछ नेताओं के गांधी परिवार को हटाने के आह्वान पर कहा कि कांग्रेस गांधी परिवार के बिना "बिखर" जाएगा। मेरा दृढ़ विश्वास है कि राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष होना चाहिए। टैगोर ने कहा, आपको यह समझने की जरूरत है कि गांधी कांग्रेस को एकजुट करते हैं। उनके नेतृत्व के बिना, कांग्रेस बिखरने लगती है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस छोड़ने वाले नेता वे हैं या थे जो सत्ता या पद के लालची हैं या थे।

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क़मर वहीद नक़वी
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