कार्यवाहक रजिस्ट्रार अनिल सुतार ने बर्खास्तगी वाले पत्र में कहा है कि “संस्थान (टिस) ने वेतन के उद्देश्य से टाटा एजुकेशन ट्रस्ट से अनुदान जारी करने के लिए आधिकारिक पत्राचार और व्यक्तिगत बैठकों के जरिए अपनी पूरी कोशिश की… अभी तक अनुदान न तो प्राप्त हुआ और न ही आगे विस्तार के संबंध में कोई निर्णय लिया गया है।”
बर्खास्त किए गए सभी लोग कॉन्ट्रैक्ट पर थे। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की बाकी फैकल्टी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पेरोल पर स्थायी कर्मचारी हैं। पिछले जून में यूजीसी के नियमों में बदलाव ने संस्थान को केंद्र के प्रशासनिक दायरे में ला दिया था।