73 साल की सिख महिला हरजीत कौर को 33 साल से ज़्यादा वक्त अमेरिका में रहने के बाद भारत वापस भेज दिया गया और वो भी बिना परिवार के यानी बिल्कुल अकेले। हरजीत के वकील दीपक अहलूवालिया ने बताया कि हरजीत कौर को न तो अपने परिवार से अलविदा कहने का मौका मिला और न ही अपना सामान लेने दिया गया। वकील के मुताबिक, कौर को लॉस एंजेलिस के ICE सेंटर ले जाते वक्त हथकड़ी लगाई गई और फिर वहां से सीधे भारत भेज दिया गया।

हरजीत कौर साल 1992 में अपने दो बेटों के साथ अमेरिका गई थीं। हरजीत सिंगल मदर थीं और हमेशा आप्रवासन के नियमों का पालन करती रहीं। पिछले 13 साल से वो हर छह महीने में सैन फ्रांसिस्को जाकर Immigration and Customs Enforcement यानी ICE को रिपोर्ट करती थीं। हरजीत ने कई बार अमेरिकी प्रशासन से मांग की कि उन्हें स्थाई रूप से अमेरिका में रहने की अनुमति दे दी जाए। लेकिन बार बार हरजीत की ये मांग ठुकरा दी गई। आखिरी बार हरजीत की ये मांग साल 2012 में रद्द हुई जिसे असाइलम केस कहा जाता है। और तब से हरजीत ICE की निगरानी में ही रह रही थीं। 8 सितंबर 2025 को जब हरजीत हर छमाही की तरह आप्रवासन के अपॉइंटमेंट पर गईं, तो वहीं से ICE ने हरजीत को ये कहकर हिरासत में ले लिया कि वो इतने सालों से अवैध तरीके से अमेरिका में रह रही हैं। इसके बाद हरजीत को बेकर्सफील्ड के मेसा वेर्डे डिटेंशन सेंटर भेज दिया।
ताज़ा ख़बरें

हरजीत की गिरफ्तारी का विरोध

हरजीत की गिरफ्तारी के खिलाफ सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए। लोग हरजीत को "सबकी दादी" कहकर रिहाई की मांग कर रहे थे। हरजीत की रिहाई के लिए प्रदर्शन उनके परिवार, स्थानीय सिख सेंटर और एक संस्था ने मिलकर किया था। करीब 200 लोग तख्तियाँ लेकर एल सोब्रांते सिख गुरुद्वारे के पास सड़कों पर उतरे थे, जिन पर लिखा था – "Bring Grandma Home" और "Hands Off Our Grandma"। 

इस बीच ICE ने BBC से कहा– "कौर ने कई अपीलें कीं, यहाँ तक कि नाइंथ सर्किट कोर्ट तक, लेकिन हर बार केस हार गईं। अब उनके पास कोई कानूनी रास्ता नहीं बचा है। इसलिए हम सिर्फ अमेरिकी कानून और जज के आदेश का पालन कर रहे हैं। हम इस पर और टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद नहीं करेंगे।" मतलब साफ है– हरजीत कौर के लिए अब अमेरिका में रुकने का कोई कानूनी रास्ता नहीं बचा था, और ICE ने सीधा उन्हें डिपोर्ट कर दिया।
देश से और ख़बरें
पंजाब की रहने वाली हरजीत कौर मंगलवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचीं। लेकिन ये मामला गुरुवार को सामने आया, जब हरजीत के वकील ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करके पूरी घटना बताई। वीडियो में वकील अहलूवालिया ने बताया कि रविवार रात अचानक कौर को बेकर्सफ़ील्ड से लॉस एंजेलिस ले जाया गया, वहां से ICE ने उन्हें चार्टर्ड फ्लाइट से जॉर्जिया भेजा और फिर सीधे दिल्ली डिपोर्ट कर दिया।
हरजीत के वकील ने बताया कि जब कौर के परिवार को ये खबर मिली कि कौर को हिरासत में लेकर भारत भेजा जा रहा है तो हरजीत के परिवार ने उनके सारे ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स तैयार कर लिए थे और गुहार लगाई थी कि हरजीत को कमर्शियल फ्लाइट से भेजा जाए। अहलूवालिया ने कहा, “हमारी बस दो रिक्वेस्ट थीं – उन्हें कमर्शियल फ्लाइट से भेज दिया जाए और कुछ घंटे का वक्त दिया जाए ताकि वो परिवार से मिल सकें। लेकिन कस्टम अधिकारियों ने हमारी कोई बात नहीं मानी।”

सर्वाधिक पढ़ी गयी ख़बरें

अमानवीय व्यवहार

वकील के मुताबिक, कौर को डिपोर्ट करने से पहले दो दिन जॉर्जिया के डिटेंशन सेंटर में रखा गया। वकील ने कहा, "शनिवार को जब हरजीत जॉर्जिया पहुँचीं, तब से लेकर सोमवार शाम तक हरजीत को एक अस्थायी डिटेंशन सेंटर में रखा गया, जहाँ से लोगों को डिपोर्ट किया जाता है।" अहलूवालिया ने बताया कि हरजीत को बुनियादी सुविधाएँ तक नहीं दी गईं। करीब 60 से 70 घंटे तक 73 साल की कौर को बिस्तर तक नसीब नहीं हुआ। हरजीत की दोनों घुटने की सर्जरी होने के बावजूद उन्हें फर्श पर सोने के लिए मजबूर किया गया। हरजीत ने जब दवाई खाने से पहले खाने के लिए कुछ मांगा तो पहले तो मांग को नज़रअंदाज किया फिर कुछ देर बाद हरजीत को एक चीज़ सैंडविच पकड़ा दिया गया। 

जब हरजीत ने फिर से दवा लेने के लिए पानी मांगा तो उन्हें एक प्लेट में बर्फ के टुकड़े रख के दे दिए गए। इस पर हरजीत ने कहा कि उनके दांत नकली है वो बर्फ के टुकड़े नहीं खा सकतीं तो गार्ड ने चौंकाने वाला जवाब दिया। गार्ड ने कहा- ये तुम्हारी गलती है कि तुम बर्फ नहीं खा सकती...इसमें हम क्या करें। जब कौर ने नहाने की मंजूरी मांगी तो हरजीत के हाथों में गीला कपड़ा थमा दिया गया और कहा गया कि इसी से साफ हो जाओ...नहाने की मंजूरी नहीं दी जाएगी। कौर के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार को देख लोगों में काफी गुस्सा है।  हरजीत के मामले से ये सवाल उठता है कि क्या तीस साल बाद अमेरिकी प्रशासन को होश आया कि हरजीत किस तरह अमेरिका में रह रही हैं। और अब जब कानून की बात करके हरजीत को भारत वापस भेजा गया तो क्या उनकी उम्र और इंसानियत का लिहाज़ नहीं किया जाना चाहिए था?