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विहिप ने रुख कड़ा किया, ज़मीन के बँटवारे से इनकार

विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर के मुद्दे पर अपने रुख को पहले से कड़ा करते हुए ऐलान किया है कि विवादित ज़मीन का बँटवारा नहीं होने दिया जाएगा। वहाँ सिर्फ राम मंदिर बन सकता है। इसके साथ ही इस उग्र हिंदूवादी संगठन ने यह भी कहा कि मसजिद कहीं और बनाई जाए, विवादित जगह पर मसजिद नहीं बनने दी जाएगी।

साल 1992 के बाद अयोध्या में विहिप का यह पहला बड़ा कार्यक्रम था। 6 दिसंबर 1992 को इसी शहर में तक़रीबन चार-पाँच लाख हिन्दू जमा हो गए थे। उग्र भीड़ ने चार सौ साल से भी ज़्यादा पुरानी मसजिद को गिरा दिया था। उस समय वहाँ बीजेपी के कई बड़े नेता मौजूद थे।

सोची-समझी रणनीति

इस बार की धर्मसंसद में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का कोई आदमी सोची-समझी रणनीति के तहत ही मौजूद नहीं था। इस कार्यक्रम को साधुओं के सम्मेलन के रूप मे प्रचारित करने की योजना के तहत ऐसा किया गया।
लेकिन विहिप का रवैया पहले से अधिक कड़ा था। उग्र तेवर जान-बूझ कर अपनाया गया, ताकि इसी बहाने दूसरे लोगों को चेतावनी दी जाए। विहिप के वरिष्ठ नेता चम्पत राय ने कहा कि विवादित जगह के बँटवारे के किसी फ़ॉर्मूले को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उनका इशारा 2010 के हाई कोर्ट के फ़ैसले की ओर था। सर्वोच्च अदालत ने विवादित ज़मीन को राम लला विराजमान, अखाड़ा परिषद और केंद्रीय सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड में बराबर-बराबर बाँटने का निर्णय किया था। अखाड़ा परिषद और वक़्फ़ बोर्ड ने इसे नामंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।  

'मसजिद नहीं'

राय यहीं नहीं रुके। उन्होने परिषद के रुख को पहले से अधिक कड़ा करते हुए कहा कि मसजिद इस विवादित भूमि पर नहीं बन सकती। मुसलमान अपना पूजास्थल कहीं और बना लें। इसे इस संदेश के रूप मे देखा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट यदि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को बरक़रार रखता है तो विहिप इसे नहीं मानेगा। विहिप अभी से यह जताना चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट के ऐसे किसी भी फ़ैसले को नहीं मानेगा जो राम मंदिर के पक्ष में न हो।

शिवसेना की चेतावनी

शिवसेना ने भी अपना कार्यक्रम रविवार को ही रखा था। सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पत्नी, बेटे और समर्थकों के साथ रामलला के दर्शन किए। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि राम मंदिर करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का सवाल है, इस पर राजनीति न हो। ठाकरे ने राम मंदिर बनाने के लिए जल्द-से-जल्द क़ानून बनाने या अध्यादेश लाने की अपनी माँग दोहराई और कहा कि यदि सरकार ने मंदिर के बारे में कोई सकारात्मक क़दम नहीं उठाया तो यह सरकार दोबारा चुन कर नहीं आएगी।
रविवार के कार्यक्रम से दो बातें निकलीं। विहिप किसी तरह के समझौते या बातचीत के पक्ष में नहीं है, वह विवादित ज़मीन पर मंदिर के साथ ही मसजिद बनने देना नहीं चाहती। वह सुप्रीम कोर्ट का कोई भी प्रतिकूल निर्णय नहीं मानेगी।
परिषद का अगला कार्यक्रम 525 लोकसभा क्षेत्रों में धर्मसभाएँ और पाँच हज़ार जगहों पर प्रार्थनासभाएँ करने का है। उसे किसी तरह लोकसभा चुनाव तक इस मामले को गरमाए रखना है ताकि इस मुद्दे पर चुनाव मे उतरा जा सके और हिंदू वोटों को बीजेपी के पक्ष में गोलबंद किया जा सके।    
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क़मर वहीद नक़वी
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