इजरायल पहुंचे फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा है कि दोनों देश आतंकवाद के समान दुश्मन का सामना करते हैं।
अलजजीरा की एक रिपोर्ट कहती है, इमैनुएल मैक्रों ने सुझाव दिया है कि दाएश या आईएसआईएल से लड़ने के लिए बनाये गए अंतरराष्ट्रीय गठबंधन को फिलिस्तीनी समूह हमास के खिलाफ लड़ाई में शामिल करने के लिए व्यापक बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैक्रॉन की इजरायल यात्रा हमास के हमले के दो सप्ताह से अधिक समय बाद हो रही है। इजरायल पर हुए हमले में 30 फ्रांसीसी नागरिकों सहित कम से कम 1,400 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर आम नागरिक थे।
मंगलवार को येरुशलम में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में, मैक्रों ने कहा कि फ्रांस और इज़राइल "आतंकवाद" को हराने में "साझा दुश्मन" साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि वह हमास के कब्जे में रह रहे सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई चाहते हैं।
फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भी हो सकती मुलाकात
अलजजीरा की रिपोर्ट कहती है कि हमास के इजरायल पर हमले के बाद दुनिया के विकसित और प्रमुख पश्चिमी देशों के नेता इजरायल का दौरा कर उसके साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित कर चुके हैं। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, इटली आदि देशों के शीर्ष नेता शामिल हैं। इसी कड़ी में अब मैक्रों इज़राइल का दौरा करने वाले नवीनतम पश्चिमी नेता हैं।
रिपोर्ट कहती है कि वह उन कुछ पश्चिमी नेताओं में से एक हैं जिनके रामल्ला में फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मिलने की भी उम्मीद है। हाल के दिनों में कई पश्चिमी नेता इजरायल तो गये लेकिन फिलिस्तीन के राष्ट्रपति से मुलाकात नहीं की थी। ऐसे में अब देखना है कि मैक्रों क्या महमूद अब्बास से मिलते हैं और उनकी मुलाकात के दौरान किन बातों पर सहमति बनेगी।
अलजजीरा की रिपोर्ट कहती है कि मैक्रॉन को उम्मीद है कि उनकी यात्रा से कुछ "ठोस और सकारात्मक" हासिल हो सकता है।
रिपोर्ट कहती है कि मैकों ने कहा है कि, वह इजरायल के लिए गारंटीशुदा सुरक्षा चाहेंगे और वह दो-राज्य समाधान की दिशा में भी काम करना चाहते हैं।
फ्रांसीसी सरकार ने फिलिस्तीनी मुद्दे का विरोध किया है
हालांकि, हाल के वर्षों में, भले ही फ्रांस दावा करता हो कि उसकी स्थिति नहीं बदली है इसके बावजूद सच्चाई यह है कि उसका रुख वास्तव में बदल गया है।
ग्रेश कहते हैं कि फ्रांसीसी सरकार ने फिलिस्तीनी मुद्दे का तेजी से विरोध किया है, यहां तक कि बहिष्कार, विनिवेश, प्रतिबंध (बीडीएस) आंदोलन को आपराधिक बनाने की कोशिश भी की है।
फ़्रांस का इज़रायल के साथ है पुराना रिश्ता
अलजजीरा की रिपोर्ट कहती है कि फ्रांस ने इज़राइल को मान्यता दी और इसकी स्थापना के एक साल बाद ही 1949 में राजनयिक संबंध स्थापित किए। फ़्रांस डिप्लोमेसी वेबसाइट के अनुसार, फ़्रांस इज़राइल और उसकी संप्रभुता का समर्थन करता है।
हमास के हमले के बाद, मैक्रॉन ने इजरायल के अपनी रक्षा के अधिकार के लिए पेरिस का पूर्ण समर्थन व्यक्त किया था। इजरायल के प्रति समर्थन वयक्त करने के लिए ही एफिल टॉवर को इजरायली ध्वज के रंगों में रोशन किया गया था।
दूसरी तरफ गाजा में इजरायली हवाई हमलों के विरोध में विभिन्न फ्रांसीसी शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शनों के दौरान, फ्रांसीसी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की है। उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया है। ऐसा तब हुआ जब गृह मंत्री गेराल्ड डर्मैनिन ने "सार्वजनिक व्यवस्था" के नाम पर सभी फ़िलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।