यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने भाजपा के अगले एजेंडे को स्पष्ट कर दिया है। उनका कहना है कि अयोध्या के बाद हमारा अगला लक्ष्य मथुरा और काशी हैं। यह बात उन्होंने किसी धार्मिक मंच पर नहीं, बल्कि यूपी विधानसभा के अंदर कही। यह अलग बात है कि अयोध्या में बाबरी मसजिद गिराए जाने के बाद भाजपा और आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि अब आगे कुछ नहीं। लेकिन हिन्दू संगठन 22 जनवरी के बाद इस मुद्दे पर आक्रामक हैं। ज्ञानवापी मसजिद के तहखाने में कोर्ट ने पूजा शुरू करा दी है और योगी आदित्यनाथ ने पार्टी की मंशा भी बता दी है। जानिए पूरा विवादः
राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे पूर्व भाजपा सांसद और बजरंग दल के संस्थापकों में से एक विनय कटियार का इंटरव्यू 1 अक्टूबर 2020 को प्रकाशित हुआ था। जिसका शीर्षक था-
Congress Demolished Babri, no other mosque will be touched: Vinay Katiyar । इस इंटरव्यू में विनय कटियार ने साफ शब्दों में कहा था कि अब किसी भी मसजिद को नहीं छुआ जाएगा। इन बयानों के बाद मुस्लिम आश्वस्त थे कि अब वाराणसी की ज्ञानवापी मसजिद और मथुरा में शाही ईदगाह को लेकर कोई विवाद नहीं होगा। लेकिन 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के एक हिस्से के उद्घाटन के बाद हिन्दू संगठनो के सुर बदल गए हैं। वे अब खुलकर कह रहे हैं कि ज्ञानवापी और मथुरा में शाही ईदगाह पर दावा छोड़ दें, उसके बाद उनसे किसी मसजिद या धार्मिक स्थल को नहीं मांगा जाएगा। लेकिन इस दौरान दिल्ली में 600 साल पुरानी ऐतिहासिक मसजिद को सरकारी बुलडोजर अवैध बताकर तोड़ चुके हैं। यूपी के बागपत में एक पुराने धार्मिक स्थल को हिन्दू पक्ष को सौंपने का आदेश स्थानीय अदालत ने दिया है। लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस एजेंडे को और अच्छी तरह साफ कर दिया है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई, एएनआई और अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधानसभा में बोलते हुए काशी और मथुरा के लिए बड़े संकेत दिए - जहां ज्ञानवापी और शाही ईदगाह मस्जिद स्थित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाभारत में कृष्ण ने पांच गांव मांगे थे, लेकिन आज हिंदू समाज केवल अपनी आस्था के तीन केंद्रों - अयोध्या, काशी और मथुरा की मांग कर रहा है।
अयोध्या के राम मंदिर पर बोलते हुए, आदित्यनाथ ने कहा, "देश में हर कोई खुश है कि भगवान राम को मंदिर में स्थापित किया गया है। यह दुनिया में पहला उदाहरण है जब भगवान राम लला को खुद अपने अस्तित्व का सबूत पेश करना पड़ा। लेकिन यह हमें दृढ़ता सिखाता है... हम न केवल इसलिए खुश थे क्योंकि भगवान राम को अपना स्थान मिला, बल्कि इसलिए भी कि हमने अपनी बात रखी... मंदिर वहीं बनाया... हम केवल बात नहीं करते। हम बात पर चलते हैं।''
उन्होंने कहा- ''यह (राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा) पहले होनी चाहिए थी। हम जानते हैं कि मामला अदालत में था लेकिन अयोध्या की सड़कों को चौड़ा किया जा सकता था, हवाईअड्डा बनाया जा सकता था। लेकिन अयोध्या, काशी, मथुरा में विकास को रोकने की यह कौन सी मानसिकता थी?” योगी ने कहा- "पिछली सरकार के शासन के दौरान अयोध्या को कर्फ्यू और निषेधाज्ञा (धारा 144) का सामना करना पड़ा। सदियों तक, अयोध्या नापाक इरादों का शिकार रही। अयोध्या को अन्याय का सामना करना पड़ा। और जब मैं अन्याय की बात करता हूं, तो मुझे 5,000 साल पहले हुए अन्याय के बारे में भी बात करनी चाहिए। पांडवों को भी अन्याय का सामना करना पड़ा था।“
महाभारत की कहानी का हवाला देते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा- “उस समय, कृष्ण कौरवों के पास गए और केवल पाँच गाँव माँगे। बाकी अपने पास रखो, कृष्ण ने उनसे कहा। दुर्योधन वो भी दे ना सका, आशीष समाज की ले ना सका…।” अयोध्या, काशी, मथुरा के साथ यही हुआ...कृष्ण पांच गांव चाहते थे और हिंदू समाज केवल तीन केंद्र चाहता है - हमारी आस्था के केंद्र। ये तीन केंद्र आस्था के लिए बहुत खास हैं। यहां एक दृढ़ संकल्प है।"
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में व्यास तहखाना के संदर्भ में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नंदी बाबा ने अयोध्या के उत्सव को देखने के बाद सोचा कि उन्हें इंतजार क्यों करना चाहिए। वाराणसी जिला अदालत द्वारा वहां हिंदू प्रार्थनाएं आयोजित करने की अनुमति देने के बाद तीन दशक बाद यह तहखाना खोला गया है।
योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद साफ हो गया है कि ज्ञानवापी और मथुरा में शाही ईदगाह विवाद को बहुत संगठित तरीके से अदालत के जरिए आगे बढ़ाया जा रहा है। यह सब तब हो रहा है जब 2024 के अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने जा रहा है। मुसलमानों को यह कहकर आंदोलन से रोका जा रहा है कि इससे ध्रुवीकरण होगा और उदार हिन्दू भी भाजपा को वोट दे देंगे। लेकिन दूसरी तरफ हिन्दू संगठनों की इच्छाओं को सरकारी संस्थाओं का संरक्षण मिल रहा है। योगी का बयान उसका सबसे ताजा उदाहरण है।