वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला बजट ऐसे समय पेश करने जा रही हैं, जब अर्थव्यवस्था फटेहाल है। उन्हें अपने पूर्ववर्ती वित्त मंत्री अरुण जेटली से विरासत में ऐसी अर्थव्यवस्था मिली है, जो हर फ्रंट पर नाकाम है। ऐसा लग रहा था कि चुनाव के बाद अर्थव्यवस्था आगे न बढे, इसमें कम से कम ठहराव तो आ ही जाएगा। पर सभी इंडिकेटर बता रहे हैं कि फिसलन जारी है। अर्थव्यवस्था में सुधार का कोई संकेत नहीं है। इसके इंडिकेटरों में प्रमुख कारों की बिक्री लगातार तीसरे महीने गिरी है और पिछले 8 महीने के न्यूतनम स्तर पर पहुँच चुकी है। साफ़ है, चुनाव ख़त्म हो जाने, एक दल को पूर्ण बहुमत हासिल हो जाने और एक बहुत ही मजबूत और ठोस सरकार बन जाने के बावजूद अर्थव्यवस्था का लुढकना जारी है।