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सीसीडी मालिक लापता: क्या व्यापार के लिए ख़राब है माहौल?

ख़ुद के लापता होने से पहले कैफ़े कॉफ़ी डे यानी सीसीडी के मालिक वी.जी. सिद्धार्थ द्वारा वरिष्ठ आयकर अधिकारी पर परेशान करने का आरोप लगाना कितना गंभीर है? ऐसे व्यक्ति द्वारा आरोप लगाना क्या सामान्य बात है जिसने इंडिया में स्टारबक्स की एंट्री से पहले कॉफ़ी कैफ़े डे की शुरुआत की और जिसके देश भर में 1500 से ज़्यादा आउटलेट्स हैं? उद्योगपति और वरिष्ठ पत्रकार भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि यह दिखाता है कि आन्ट्रप्रनरशिप यानी उद्योग-धंधा करने का माहौल कितना ख़राब हो गया है। बता दें कि वी.जी. सिद्धार्थ सोमवार को लापता हो गए हैं, लेकिन लापता होने से पहले उन्होंने कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स और अपने कर्मचारियों को चिट्ठी लिखी है।

अरबपति उद्योगपति किरण मज़ूमदार शॉ ने आयकर अधिकारी द्वारा परेशान किए जाने का ज़िक्र करते हुए कहा है कि यह चौंकाने वाला मामला है। उन्होंने ट्विटर पर प्रतिक्रिया दी है, ‘पत्र में कॉफी डे के मालिक ने आयकर अधिकारी पर कथित उत्पीड़न का आरोप लगाया: रिपोर्ट - एक शांत और विनयशील पायनीयर के बारे में ऐसा चौंकाने वाला और दुखद अंत जिसने भारत में स्टारबक्स के पहले कॉफ़ी कैफ़े बिज़नेस शुरू किया।’

मज़ूमदार शॉ के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने भी आयकर अधिकारी द्वारा परेशान किए जाने की ओर संकेत दिया है। उन्होंने तो यहाँ तक लिखा है कि कॉरपोरेट जगत के मालिकों को इस मुद्दे को उठाना चाहिए कि कैसे देश में व्यापार करने का माहौल ख़राब हुआ है। उन्होंने यह भी लिखा कि सभी इंडेक्स गिर रहे हैं। 

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कैफ़े कॉफ़ी डे के मालिक और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस.एम. कृष्णा के दामाद वी.जी. सिद्धार्थ के पत्र में भी इन बातों का ज़िक्र मिलता है। लापता होने से पहले सिद्धार्थ ने जो पत्र अपने कर्मचारियों के नाम लिखा है उसमें उन्होंने लिखा है, ‘मैं अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद सही लाभदायक व्यवसाय मॉडल बनाने में विफल रहा। मैं कहना चाहूँगा कि मैंने इसे अपना सब कुछ दे दिया। मुझे उन सभी लोगों को निराश करने के लिए बहुत दुख है जो मुझ पर अपना विश्वास रखते हैं। मैंने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी, लेकिन आज मैं हार गया क्योंकि मैं और दबाव नहीं झेल सकता…’

सिद्धार्थ ने आगे लिखा, ‘...शेयर वापस लेने के लिए निजी इक्विटी भागीदारों में से एक द्वारा मजबूर किए जाने के और अधिक दबाव को मैं झेल नहीं सकता। इस लेन-देन को मैंने छह महीने पहले ही एक दोस्त से बड़ी राशि उधार लेकर आंशिक रूप से पूरा किया था। दूसरे उधार देने वालों से ज़बरदस्त दबाव के कारण मैं इस स्थिति में पहुँचा हूँ। आयकर के पूर्व डीजी ने दो अलग-अलग मौक़ों पर बहुत परेशान किया था, एक तो हमारे माइंडट्री सौदे को रोकने के लिए और दूसरे हमारे शेयरों को लेने के लिए... यह बहुत ही अनुचित था और इस कारण काफ़ी गंभीर नकदी संकट आ गया।’

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कंपनी की हालत ख़राब

बता दें कि सिद्धार्थ के कार्यालयों पर सितंबर 2017 में आयकर अधिकारियों ने छापा मारा था। हालाँकि तब कोई इसमें ऐसा बड़ा खुलासा नहीं हुआ था। सिद्धार्थ देश में कॉफ़ी बीन्स के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक हैं। कंसल्टेंसी फ़र्म माइंडट्री की वेबसाइट के अनुसार, उनका परिवार 130 से अधिक वर्षों से कॉफ़ी-उत्पादक व्यवसाय में है। हालाँकि हाल के दिनों में उनकी कंपनी की फ़ाइनेंशियल स्थिति काफ़ी बेहतर नहीं रही है। उन्होंने कंसल्टेंसी फ़र्म माइंडट्री में अपनी पूरी 20 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड को इस साल मार्च में 3,300 करोड़ रुपये में बेच दी थी। न्यूज़ एजेंसी ‘रॉयटर्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार वह कोका-कोला के साथ अपनी फ्लैगशिप चेन कैफ़े कॉफ़ी डे को बेचने के लिए बातचीत कर रहे थे। इसकी स्थापना उन्होंने 1993 में की थी और उनके 1,500 से अधिक आउटलेट्स हैं।

ऐसे में जब सिद्धार्थ ने वरिष्ठ आयकर अधिकारी पर परेशान करने का आरोप लगाया है तो क्या उस अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी? चुनिंदा कॉरपोरेट घरानों पर आयकर विभाग जैसी एजेंसियों की कार्रवाई और ‘लालफीताशाही’ की शिकायतें आती रहती हैं तो क्या सरकार का रवैया बदलेगा? व्यापार के ख़राब माहौल और ख़राब आर्थिक स्थिति की ओर इशारा कर रहे इंडिकेटर्स पर क्या कॉरपोरेट घराने खुलकर बोलेंगे?
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क़मर वहीद नक़वी
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