लॉकडाउन की वजह से जब आपकी माली हालत ख़स्ता है, आपकी जेब में पैसे कम है, तब इसके लिए भी तैयार हो जाएँ कि आप पर आर्थिक बोझ बढ़ने जा रहा है। यह अतिरिक्त आर्थिक बोझ जीएसटी पर लगने वाले अधिभार यानी ‘सेस’ के रूप में होगा, जो अंतत: आपको ही चुकाना होगा।