क्या केंद्र सरकार ने यह मान लिया है कि अर्थव्यवस्था से जुड़े उसके आँकड़ों पर अब कोई भरोसा नहीं करता? इस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी किरकिरी तो हुई ही है, विदेशी निवेशक भी इस अविश्वसनीयता के कारण किनारा कर चुके हैं?