एलआइसी का आइपीओ आ गया है। वो एलआइसी जिसके बारे में सिर्फ़ सुना करते थे कि इसकी एक हरकत से बाज़ार ऊपर या नीचे जा सकता है। शेयर बाज़ार की हर गिरावट को थामने के लिए भारत सरकार जिस एलआइसी पर भरोसा करती थी। उसी एलआइसी का आइपीओ आ रहा है और हर खास ओ आम के लिए मौक़ा है कि वो अब इस कंपनी का मालिक, भागीदार या शेयर होल्डर बन जाए जो इस देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी ही नहीं, भरोसे का सबसे बड़ा प्रतीक भी है।

बाज़ार में यह आशंका जताई जा रही है कि रिटेल में तो जितने लोग भी अर्जी लगाएंगे उनको शेयर मिलने लगभग तय ही हैं। इसका दूसरा मतलब यह है कि ऐसे में लिस्टिंग के वक्त भाव बढ़ने की या तगड़ा फायदा होने की गुंजाइश लगभग नहीं है।
एलआइसी का प्रतीक चिन्ह यानी लोगो है दो हाथ, तेज़ हवा से दिए को बचाने की मुद्रा में आसपास आधे बंधे और आधे खुले हुए दो हाथ। और उसके नीचे लिखा है - योगक्षेमं वहाम्यहम्!
यह जीवन बीमा निगम का सूत्र वाक्य है। हालाँकि अब ज्यादा मशहूर टैग लाइन है - ज़िंदगी के साथ भी, ज़िंदगी के बाद भी। लेकिन आज भी एलआइसी के लोगो के नीचे आप यह पुराना सूत्र वाक्य लिखा पा सकते हैं। यह गीता के एक श्लोक का हिस्सा है। गीता के रूप में योगेश्वर कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया उसके नवें अध्याय में से यह छोटा सा हिस्सा जिसने भी जीवन बीमा निगम के लिए चुना उसकी तारीफ़ करनी चाहिए। इसका अर्थ है कि मैं तुम्हारी पूरी कुशलता का ज़िम्मा लेता हूं। यानी आपकी पूरी चिंता का बोझ मैं उठा लूंगा। जो तुम्हारे पास है उसकी रक्षा करूंगा और जो नहीं है वो तुम्हें दिलवाऊंगा।