loader

एलआइसी के शेयर खरीदने लायक हैं या नहीं? 

बाज़ार में यह आशंका जताई जा रही है कि रिटेल में तो जितने लोग भी अर्जी लगाएंगे उनको शेयर मिलने लगभग तय ही हैं। इसका दूसरा मतलब यह है कि ऐसे में लिस्टिंग के वक्त भाव बढ़ने की या तगड़ा फायदा होने की गुंजाइश लगभग नहीं है।
आलोक जोशी

एलआइसी का आइपीओ आ गया है। वो एलआइसी जिसके बारे में सिर्फ़ सुना करते थे कि इसकी एक हरकत से बाज़ार ऊपर या नीचे जा सकता है। शेयर बाज़ार की हर गिरावट को थामने के लिए भारत सरकार जिस एलआइसी पर भरोसा करती थी। उसी एलआइसी का आइपीओ आ रहा है और हर खास ओ आम के लिए मौक़ा है कि वो अब इस कंपनी का मालिक, भागीदार या शेयर होल्डर बन जाए जो इस देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी ही नहीं, भरोसे का सबसे बड़ा प्रतीक भी है। 

एलआइसी का प्रतीक चिन्ह यानी लोगो है दो हाथ, तेज़ हवा से दिए को बचाने की मुद्रा में आसपास आधे बंधे और आधे खुले हुए दो हाथ। और उसके नीचे लिखा है - योगक्षेमं वहाम्यहम्!

यह जीवन बीमा निगम का सूत्र वाक्य है। हालाँकि अब ज्यादा मशहूर टैग लाइन है - ज़िंदगी के साथ भी, ज़िंदगी के बाद भी। लेकिन आज भी एलआइसी के लोगो के नीचे आप यह पुराना सूत्र वाक्य लिखा पा सकते हैं। यह गीता के एक श्लोक का हिस्सा है। गीता के रूप में योगेश्वर कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया उसके नवें अध्याय में से यह छोटा सा हिस्सा जिसने भी जीवन बीमा निगम के लिए चुना उसकी तारीफ़ करनी चाहिए। इसका अर्थ है कि मैं तुम्हारी पूरी कुशलता का ज़िम्मा लेता हूं। यानी आपकी पूरी चिंता का बोझ मैं उठा लूंगा। जो तुम्हारे पास है उसकी रक्षा करूंगा और जो नहीं है वो तुम्हें दिलवाऊंगा।

ताज़ा ख़बरें

भारत में करोड़ों लोग एलआइसी पर ऐसा ही भरोसा करते आए हैं। 1956 में देश में बीमा कारोबार का राष्ट्रीयकरण हुआ और लाइफ इंश्योरेंस यानी जीवन बीमा का पूरा कारोबार समेटकर एलआइसी के हवाले किया गया। तब से ही भारत में जीवन बीमा का मतलब एलआइसी ही होता रहा है। बहुत से लोग बोलचाल में कहते भी हैं एलआइसी करवा लिया। यानी बीमा करवा लिया।

लेकिन इस वक्त एलआइसी का मतलब शेयर बाज़ार और सरकार के लिए कुछ और ही है। और शेयर बाज़ार से जुड़े या जुड़ने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए भी। फिर भले ही वो इन्वेस्टमेंट की जर्नी नई शुरू करनेवाले हों या फिर बरसों से शेयर बाज़ार में जमे हुए पुराने खिलाड़ी। सब इंतजार में रहे देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआइसी यानी भारतीय जीवन बीमा निगम के आइपीओ के। हालाँकि जितना इंतज़ार हुआ, उसके मुक़ाबले फल उतना मीठा नहीं है।

एलआइसी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी होने के साथ ही देश के सबसे बड़े जमींदारों में से भी एक है। देश के हर बड़े छोटे शहर में इसके पास प्राइम प्रॉपर्टी है। पैसा भी इतना है कि यह शेयर बाज़ार को चढ़ाने और गिराने का दम रखती है। जेफ्रीज़ ने कुछ समय पहले एक रिसर्च नोट निकाला जिसके हिसाब से लिस्टिंग के बाद एलआइसी की कुल हैसियत दो सौ इकसठ अरब डॉलर के करीब हो सकती है। 

सरकार कह चुकी थी कि वो इसका पांच से दस परसेंट हिस्सा ही बेचने के लिए आइपीओ ला सकती है। दस परसेंट भी बिका तो वह छब्बीस अरब डॉलर यानी करीब एक लाख बानबे हज़ार करोड़ रुपए का इशू होता।

हालाँकि यह बात साफ़ हो चुकी थी कि सरकार एक बार में एलआइसी का पांच परसेंट से ज्यादा हिस्सा नहीं बेच पाएगी। पांच परसेंट का मतलब भी था कि सरकार एलआइसी के इकत्तीस करोड़ बहत्तर हज़ार तक शेयर बाज़ार में बेचने के लिए उतारेगी। इन शेयरों का भाव क्या रखा जाता है इससे तय होता है कि सरकार को इससे कितना पैसा मिलेगा। लेकिन तब अनुमान लग रहे थे कि यह रकम पचास हज़ार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपए तक हो सकती है। मगर अब ये सारे अनुमान बेमानी हो चुके हैं। कंपनी का सिर्फ़ साढ़े तीन परसेंट हिस्सा बिक्री के लिए आ रहा है और उससे भी सरकार कुल मिलाकर बीस हज़ार पांच सौ करोड़ रुपए से कुछ ऊपर रक़म जुटाने की तैयारी में है।

अर्थतंत्र से और ख़बरें

साफ़ है कि पुराने सारे अनुमानों के मुक़ाबले यह रक़म बहुत कम है और इसका सीधा मतलब तो यही है कि सरकार एलआइसी की हिस्सेदारी काफी सस्ते में बेच रही है। आखिर सरकार ऐसा क्यों कर रही है? इसका सीधा जवाब देना तो मुश्किल है लेकिन इतना साफ है कि सरकार अब इस मामले को टालने के मूड में नहीं है। जब पहली बार एलआइसी में हिस्सेदारी बेचने का एलान हुआ, तब से अब तक काफी समय बीत चुका है और अब कोरोना संकट और यूक्रेन युद्ध की वजह से एक बार फिर शेयर बाज़ार की परिस्थितियाँ डांवाडोल सी लग रही हैं। ऐसे में सरकार के पास दो रास्ते थे। या तो इस इशू को टाल दे और अच्छे दिन आने का इंतजार करे। या फिर आइपीओ का आकार औऱ कीमत वगैरह ऐसे तय करे कि निवेशकों को दोबारा सोचने की ज़रूरत न रह जाए। शायद यही वजह है कि सरकार ने इस आइपीओ का आकार पांच परसेंट से भी घटाकर साढ़े तीन परसेंट पर पहुंचा दिया। 

सरकार इससे जितनी रक़म जुटाना चाहती थी अब उससे आधे से भी कम पैसा ही उसे मिल पाएगा। लेकिन इसका मतलब क्या यह नहीं है कि वो कंपनी के शेयर सस्ते में बेच रही है। और इसका मतलब यह भी हुआ कि यह एक मौक़ा है अच्छे शेयर सस्ते में पाने का? एंकर इन्वेस्टरों के लिए एलआइसी का आइपीओ दो मई को शुरू हो चुका है और ज़रूरत से दो गुना यानी लगभग तेरह हज़ार करोड़ रुपए तक की अर्जियां एंकर इन्वेस्टरों से आ चुकी हैं। बाकी बचे शेयरों में एलआइसी के पॉलिसीधारकों के लिए दो करोड़ बीस लाख शेयर और एलआइसी के कर्मचारियों के लिए पंद्रह लाख शेयरों का कोटा अलग रखा गया है। जबकि रिटेल निवेशकों के लिए कुल कोटा लगभग 6.91 करोड़ शेयरों का है। 

ख़ास ख़बरें

पॉलिसीधारकों में जबर्दस्त उत्साह है और खबर है कि 6.48 करोड़ पॉलिसी धारकों ने अपनी पॉलिसी पैन कार्ड से जुड़वा ली हैं। अगर इनमें से आधे भी आइपीओ में एक लॉट यानी पंद्रह शेयरों के लिए एप्लीकेशन लगाते हैं तो अड़तालीस करोड़ से ज्यादा शेयरों के लिए अर्जी लग चुकी होंगी। जबकि आइपीओ का कुल आकार ही बाईस करोड़ शेयरों से कुछ ऊपर का है। इसके बावजूद बाज़ार में यह आशंका जताई जा रही है कि रिटेल में तो जितने लोग भी अर्जी लगाएंगे उनको शेयर मिलने लगभग तय ही हैं। इसका दूसरा मतलब यह है कि ऐसे में लिस्टिंग के वक्त भाव बढ़ने की या तगड़ा फायदा होने की गुंजाइश लगभग नहीं है। 

इसका अर्थ यह क़तई नहीं है कि एलआइसी का शेयर खरीदने लायक नहीं है। बल्कि यह कि एलआइसी के आइपीओ में अर्ज़ी लगाने से पहले सोच समझकर फैसला करना ज़रूरी है। ताकि अगर शेयर मिल जाएं तो आपको पक्का पता हो कि आपको इनका करना क्या है और कितने समय इन्हें अपने पास ही रखना है।

(बीबीसी से साभार)
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
आलोक जोशी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें