एक तरफ़ सरकार विज्ञापन निकालकर बताती है कि जीएसटी से टैक्स कम हुआ है। पहले इतना था, अब इतना है। और आपको टूथपेस्ट में 50 पैसे की तथा फलाँ मसाले में एक रुपये की बचत होगी। पर वह यह नहीं बताती कि ट्रेन किराये पर जीएसटी लगा दिया गया है और फ्लेक्सी किराये से लेकर आधा टिकट ख़त्म किए जाने और टिकट वापसी में कटौती ज़्यादा होने जैसे कई कारणों से रेलयात्रा महँगी हो गई है। इसी तरह, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमत कम होने से यहाँ भी इनकी क़ीमत कम करना संभव होने के बावजूद इनके दाम कम नहीं किए जाने से उपयोग की तमाम चीज़ें और सेवाएँ महँगी हो गई हैं। बताना तो दूर, सरकार स्वीकार करने को भी तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार के दावों के ख़िलाफ़ चीज़ें आमतौर पर सामने नहीं आतीं और जब सरकारी विज्ञापन कुछ कह रहा हो तो उसके उलट कहने में कौन श्रम करे, जोखिम उठाए और विज्ञापनों से हाथ धोए। इसलिए आम पाठकों को आजकल सरकारी पक्ष ज़्यादा और वास्तविकता कम पढ़ने को मिल रही है। ऐसे में एक ख़बर सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के प्रोजेक्ट - ट्रैकिंग डेटाबेस के ताज़ा आँकड़ों से सामने आई है। इसके मुताबिक़ देश में घरेलू निवेश 14 साल के सबसे निचले स्तर पर है।
1.10 करोड़ नौकरियाँ गईं, निवेश 14 साल में सबसे कम
- अर्थतंत्र
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 - 2 Apr, 2019

 
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के प्रोजेक्ट-ट्रैकिंग डेटाबेस के ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक़ देश में घरेलू निवेश 14 साल के निचले स्तर पर है। इसके अलावा रोज़गार पर भी बुरा असर पड़ा है।


























