loader

ट्रम्प ने की कार्रवाई, मुश्किल होगा अमेरिका को निर्यात करना

अमेरिका ने भारत से होने वाले निर्यात को किसी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया है। भारतीय निर्यातकों को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ़ प्रीफरेसेंज यानी जीएसपी से बाहर कर दिया गया है। यह फ़ैसला 5 जून से लागू होगा। इस वजह से भारत से अमेरिका को होने वाले लगभग 5.60 अरब डॉलर के निर्यात पर अधिक आयात शुल्क लगेगा, जिससे वहाँ उनका टिकना मुश्किल हो जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि भारत दोतरफा व्यापार में अमेरिका को बराबरी का दर्ज नहीं देता है।

अर्थतंत्र से और खबरें

भारत ने अमेरिका को अपने बाज़ार में बराबरी और उचित तरीके से व्यापार करने की सुविधा देने का भरोसा नहीं दिया है। इसलिए मैं यह घोषणा करता हूँ कि विकासशील देशों को मिलने वाली छूट भारत को 5 जून से नहीं मिलेगी।


डोनल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने बीते महीने तत्कालीन वाणिज्य व उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु से मुलाक़ात कर इस मुद्दे पर चर्चा की थी। इसके पहले अमेरिका ने एलान किया था कि मई महीने में भारत को जीएसपी से बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन चुनाव की वजह से इस फ़ैसले को टाल दिया गया था।
अमेरिकी प्रशासन ने कहा है कि वह भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ़ प्रीफरेंसेज (जीएसपी) के तहत दी जाने प्रीफरेंशियल ट्रेड ट्रीटमेंट नहीं देगा। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि अमेरिका दुनिया के 120 विकासशील देशों को अपने यहाँ बग़ैर किसी आयात शुल्क के सामान निर्यात करने की छूट देता है, जिसमें भारत भी है। यह सूची समय-समय पर बदलती रहती है। अमेरिका अब इस सूची से भारत को बाहर कर देगा। इसका मतलब यह है कि अब भारतीय निर्यातकों को अमेरिका में आयात शुल्क चुकाना होगा। इससे भारतीय उत्पाद महँगे हो जाएँगे। ज़ाहिर है, इससे भारतीय निर्यात पर बुरा असर पड़ेगा। 

क्या है ट्रंप की व्यापार नीति?

पर्यवेक्षकों का कहना है कि अमेरिका की यह पहल राष्ट्रपति ट्रंप की 'जैसे को तैसा' की नीति पर चलने का उदाहरण है। दरअसल ट्रंप की नीति यह है कि हर हाल में अमेरिकी व्यापार को आगे बढ़ाएँगे और इसके तहत पारंपरिक रिश्तों या पुराने संधियों का भी ख्याल न रखा जाए। वह इस नीति के तहत चीन जैसे ताक़तर देश से भिड़ने को तैयार हैं तो मेक्सिको जैसे पड़ोसी और छोटी व कमज़ोर अर्थव्यवस्था वाले देशों को भी परेशान करने से बाज नहीं आ रहे हैं। पुरानी संधियों से पीछे हटने का उदाहरण उत्तरी अमेरिका मुक्त व्यापार क्षेत्र (एनएएफ़टीए यानी नाफ़्टा) संधि को नकारना है। 
ट्रंप प्रशासन को लगता है कि जब व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है और वह अधिक निर्यात अमेरिका को कर देता है तो उसे व्यापार में रियायत नहीं मिलनी चाहिए। यदि उसे यह रियायत चाहिए तो वह दूसरे क्षेत्रों में अमेरिका को रियायत दे जहाँ अमेरिका बेहतर व्यापार कर अधिक मुनाफ़ा कमा सकता है।

ई-व्यापार नीति से ख़फ़ा अमेरिका?

ट्रंप प्रशासन इसी नीति पर चलते हुए भारत को मिलने वाली रियायत के बदले उसके बाज़ार में बेरोकटोक पहुँच चाहता है, भले ही इससे भारत की अर्थव्यवस्था को नुक़सान ही क्यों न हो। पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन भारत की ई-व्यापार नीति से ख़फ़ा है। इसके अलावा वह भारत के दवा व्यापार और मेडिकल उपकरणों के बाज़ार पर भी अपना कब्जा चाहता है और कई तरह की रियायतों की माँग की है। 
भारत अमेरिका को बहुमूल्य धातु, बेशकीमती  पत्थर, मशीनें, कपड़े और ईंधन का निर्यात मुख्य रूप से करता है। इसके अलावा भारत अमेरिका को चावल, मसाले, फल-सब्जियाँ, तेल वगैरह निर्यात करता है। दूसरी ओर वह अमेरिका से दूरसंचार और कंप्यूटर से जुड़े उपकरण का आयात करता है। 

क्या भारत पलटवार करेगा?

पर्यवेक्षकों का कहना है कि भारत इस पर ज़्यादा शोर मचाने के बजाय चुपचाप रास्ता निकालने की कोशिश करेगा। वह अमेरिका पर पलटवार कर बदले की कार्रवाई बिल्कुल नहीं करेगा। भारत नहीं चाहता कि वाणिज्य-व्यापार के मामले में अमेरिका से रिश्ते ख़राब हों क्योंकि अभी भी अमेरिकी लॉबी मजबूत है और भारत को दूसरे मामलों में दिक़्क़त हो सकती है। मसलन, निवेश पर असर पड़ सकता है, क्योंकि निवेश की तमाम संस्थाओं पर अमेरिका का दबदबा है, आख़िर उन संस्थाओं में सबसे अधिक पैसे भी वही देता है और उसके पास वोटिंग राइट्स भी ज़्यादा है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें