लद्दाख में चल रहे आंदोलन के बीच शनिवार को स्थानीय प्रशासन की सख्त पाबंदियों के बावजूद लोगों ने शांति मार्च निकाला। हालांकि इस दौरान लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोर्जे लाक्रुक को उनके घर में नजरबंद रखा गया। मोबाइल इंटरनेट सेवाएं शुक्रवार रात से ही ठप थीं। केंद्र सरकार ने 24 सितंबर की हिंसा की न्यायिक जांच का आदेश दिया है। चीफ सेक्रेटरी ने इसकी पुष्टि की है।
सरकार ने बुधवार को सारी पाबंदियां हटा ली थीं लेकिन शुक्रवार रात को उन्हें फिर से लागू कर दिया गया। जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोंक ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 की धारा 163 के तहत लेह तहसील में प्रतिबंध लागू किए। करगिल में भी धारा 163 लागू की गई। इस आदेश में बिना पूर्व लिखित अनुमति के कोई जुलूस, रैली या मार्च आयोजित करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। लेकिन लोग माने नहीं। उन्होंने प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराते हुए लेह की गलियों से निकलकर सेंट्रल प्वाइट नमग्याल चौराहे पर जमा हुए और शांति मार्च निकाला। इस दौरान पुलिस मौजूद थी लेकिन उसने बहुत टोकाटाकी नहीं की।
लद्दाख के नेताओं ने पूरे संघ राज्य क्षेत्र (यूटी) में शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक ब्लैकआउट का भी आह्वान किया है।, ताकि 24 सितंबर को हुई हिंसा में मारे गए और घायल हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी जा सके। मार्च का मुख्य कारण न्यायिक जांच में देरी के आदेश को बताया गया है।
ताज़ा ख़बरें

हिंसा की न्यायिक जांच का आदेश

केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस बीएस चौहान को 24 सितंबर की हिंसा की न्यायिक जांच का जिम्मा सौंप दिया है। इस घटना में चार लोगों की मौत हो गई थी और करीब 100 लोग घायल हुए थे। लेकिन इसके बावजूद, शनिवार सुबह लेह शहर में सख्ती बढ़ा दी गई। LAB के नेताओं के अनुसार, लोग मार्च स्थल की ओर बढ़ ही नहीं पा रहे हैं और उन्हें रोक लिया गया है। हालांकि बाद में लोग दूसरे रास्तों से चौराहे पर जा पहुंचे।
LAB के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोर्जे लाक्रुक ने फोन पर मीडिया से बातचीत में कहा, "मुझे लोगों के फोन आ रहे हैं कि उन्हें लेह आने की इजाजत नहीं मिल रही। इन पाबंदियों को हमारे आज के शांति मार्च की वजह से लगाया गया है।" उन्होंने बताया कि वे खुद अपने घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। उन्हें नज़रबंद कर दिया गया है। LAB लद्दाख के दो प्रमुख संगठनों में से एक है, जो राज्य का दर्जा, नौकरियां और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर आंदोलन चला रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इंटरनेट बंद होने से संचार प्रभावित हो गया है, जिससे आंदोलनकारियों को और परेशानी हो रही है। प्रशासन का दावा है कि ये कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं, लेकिन आंदोलनकारी इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं। लद्दाख में तनाव का माहौल बना हुआ है।
उधर, करगिल में भी लोगों ने लद्दाख के समर्थन और 24 सितंबर की घटना के विरोध में शांति मार्च निकाला। इसका आयोजन करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस ने किया था। करगिल शिया बहुल मुस्लिम इलाका है। जहां बौद्ध लोगों की आबादी भी अच्छी तादाद में है। शनिवार के शांति मार्च में मुस्लिम और बौद्ध दोनों ही शामिल थे।