पहलगाम आतंकी हमले में कुल 7 आतंकवादी शामिल थे, जिनमें से 4 से 5 आतंकियों के पाकिस्तान से संबंध होने की आशंका है। जाँच के हवाले से एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। जानिए, आतंकवादियों के बारे में क्या सामने आया।
पहलगाम में सुरक्षा व्यवस्था।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए बड़े आतंकी हमले की जाँच ने एक गहरी साज़िश का पर्दाफाश किया है। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि बैसारन घाटी के मैदान में पर्यटकों पर गोलीबारी करने वाले इस हमले में सात आतंकियों का हाथ था। इनमें से चार से पांच आतंकी पाकिस्तान से आए थे।
इस आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान गई। इसे 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। लश्कर-ए-तैयबा और उसकी सहयोगी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ़ ने इसकी जिम्मेदारी ली है। यह हमला मंगलवार दोपहर पहलगाम से छह किलोमीटर दूर बैसारन घाटी में हुआ। इसे 'मिनी स्विट्जरलैंड' के नाम से जाना जाता है। यह इलाक़ा चीड़ के जंगलों और पहाड़ों से घिरा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। वहाँ हमले के समय 45 से अधिक पर्यटक मौजूद थे।
द इंडियन एक्सप्रेस ने जांच एजेंसियों के हवाले से ख़बर दी है कि सात आतंकियों में चार से पांच पाकिस्तानी मूल के थे। वे पश्तो और ऐसी उर्दू बोल रहे थे, जो पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में प्रचलित है। रिपोर्ट के अनुसार बाक़ी दो स्थानीय आतंकी थे, जिनकी पहचान अभी पूरी तरह से नहीं हो पाई है। रिपोर्ट के अनुसार एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया, 'हमें नहीं पता कि ये स्थानीय आतंकी कश्मीर के किस हिस्से से थे, लेकिन उनकी मौजूदगी से साफ़ है कि हमले में स्थानीय समर्थन था।' सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि हमले का मास्टरमाइंड लश्कर का शीर्ष कमांडर सैफुल्लाह खालिद है, जो पाकिस्तान में छिपा हुआ है।
रिपोर्ट है कि हमले के बाद सभी सात आतंकी पीर पंजाल रेंज के ऊपरी इलाकों में भाग गए। भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस का स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी एसओजी, और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ़ ने संयुक्त रूप से बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। ड्रोन, हेलीकॉप्टर, और थर्मल इमेजिंग का उपयोग करते हुए आतंकियों की तलाश की जा रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, 'यह इलाक़ा हापटनार से चंदनवारी तक फैला घना जंगल है। आतंकी यहां से त्राल या अन्य इलाक़ों में भी भाग सकते हैं।'
अधिकारियों ने तीन संदिग्ध आतंकियों आसिफ फौजी, सुलेमान शाह, और अबु तल्हा के स्केच जारी किए हैं और उनके बारे में जानकारी देने के लिए हर आतंकी पर 20 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है।
घटनास्थल के पास एक बिना नंबर प्लेट वाली मोटरसाइकिल बरामद हुई, लेकिन जांच में कहा गया है कि यह संभावना कम है कि इसका उपयोग आतंकियों को लाने-ले जाने के लिए किया गया।
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार जाँच में खुलासा हुआ कि आतंकियों ने हमले को अंजाम देने से पहले बैसारन घाटी की रेकी की थी। कुछ आतंकियों ने भारतीय सेना या पुलिस की वर्दी पहनी थी, जिससे पर्यटकों को उन पर शक नहीं हुआ। कम से कम दो आतंकियों ने बॉडी कैमरे पहने थे, जिनका उपयोग हमले को रिकॉर्ड करने के लिए किया गया। रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, 'पिछले तीन वर्षों में जम्मू में हुए सभी हमलों को बॉडी या गन-माउंटेड कैमरों से शूट किया गया है। लश्कर-ए-तैयबा इन वीडियो का उपयोग प्रचार सामग्री बनाने के लिए करता है।'
यह अभी तक साफ़ नहीं है कि पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर में कैसे घुसे और वे घाटी में कितने समय से थे। एक अधिकारी ने बताया, 'सीमा पर मौजूदा कमियों और कुछ खुफिया इनपुट्स के आधार पर संकेत मिले हैं कि आतंकी पुंछ, किश्तवाड़, या राजौरी के रास्ते घुसपैठ कर आए।' खुफिया एजेंसियां नियंत्रण रेखा यानी एलओसी पर घुसपैठ के सबूतों की जांच कर रही हैं।
इंस्पेक्टर जनरल रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की एक टीम बुधवार को बैसारन घाटी पहुंची। एनआईए जल्द ही स्थानीय पुलिस से जांच अपने हाथ में ले सकती है। अंग्रेज़ी अख़बार ने एक सूत्र के हवाले से रिपोर्ट दी है, 'एनआईए की टीम घटनास्थल का दौरा कर रही है और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज कर रही है। वे स्थानीय पुलिस को सहायता देंगे और हमले के पीछे की साजिश का पता लगाएंगे।'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को बैसारन घाटी का दौरा किया और हमले के पीड़ितों से मुलाकात की। उन्होंने श्रीनगर में पुलिस, खुफिया ब्यूरो, और सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की।
बैसारन घाटी जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल पर आतंकियों की गतिविधि को नजरअंदाज करने पर सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं। अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'आतंकियों की कार्यशैली अब पूरी तरह बदल गई है। वे छोटे समूहों में काम करते हैं, जंगलों में छिपे रहते हैं और माइनस 10 डिग्री तापमान में भी बाहर नहीं निकलते। वे कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट इस्तेमाल नहीं करते, जिससे तकनीकी खुफिया जानकारी जुटाना मुश्किल हो जाता है।'
अधिकारी ने आगे बताया, 'आतंकी लगातार अपनी लोकेशन बदलते रहते हैं। मिसाल के तौर पर अगर सोनमर्ग की चोटियों पर उनकी मौजूदगी की सूचना मिलती है, तो जब तक हम वहां पहुंचते हैं, वे पहलगाम या बांदीपोरा के ऊपरी इलाकों में चले जाते हैं। ये सारे इलाके जंगलों से जुड़े हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि अनंतनाग जिले में कोई सक्रिय स्थानीय आतंकी नहीं था, जिसके कारण खुफिया तंत्र ने रेलवे या गैर-स्थानीय मजदूरों पर हमले की आशंका पर ज्यादा ध्यान दिया था।