झारखंड में 7 दिसंबर को दूसरे चरण का मतदान होना है। इनमें सिमडेगा, बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका, जुगसलाई, जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिमी, खूंटी, मान्डर, सिसई, सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, तोरपा, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर, खरसांवा, तमाड़ और कोलेबरा सीट शामिल हैं। इनमें से अधिकांश सीटें नक्सल हिंसा से प्रभावित हैं। लेकिन पहले चरण में 62.87 प्रतिशत मतदान कर लोगों ने दिखाया है कि नक्सलियों की धमकी के बावजूद वे जमकर मतदान करेंगे।
आकड़ों का जिक्र किया जाए तो 2014 में हुए विधानसभा के चुनाव में एनडीए को 42 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसमें बीजेपी को 37 और आजसू को 5 सीटों पर जीत मिली थी। विपक्षी दलों की बात की जाए तो उन्हें 39 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसमें जेएमएम को 19, जेवीएम को 8, कांग्रेस को 6 और अन्य को 6 सीटें मिली थी। झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं।
लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद बीजेपी को उम्मीद थी कि वह झारखंड आसानी से जीत लेगी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी-आजसू को 12 सीटों पर जीत मिली थी। इसलिए उसने ‘मिशन 65 प्लस’ की रणनीति बनाई थी। लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में मनमुताबिक़ सफलता न मिलने और अपनी सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के उसका साथ छोड़ने से उसकी उम्मीदों को झटका लगा है। राज्य में बीजेपी का चेहरा मुख्यमंत्री रघुबर दास हैं और वह उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है।
अनुच्छेद 370, एनआरसी पर जोर
झारखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जमकर चुनावी रैलियां कर रहे हैं। बीजेपी ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को मुद्दा बनाया है। मोदी से लेकर सभी बड़े नेता चुनावी रैलियों में इसका जिक्र कर रहे हैं। बीजेपी को उम्मीद थी कि महाराष्ट्र और हरियाणा में उसे इस मुद्दे पर बड़ी जीत मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। देखना होगा कि यहाँ इस मुद्दे पर बीजेपी को वोट मिलते हैं या नहीं।
दूसरी ओर, अमित शाह अपनी हर चुनावी रैली में यह बात ज़रूर दोहराते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार पूरे देश में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन) लागू करेगी और घुसपैठियों को चुन-चुन कर बाहर करेगी। इसके अलावा शाह अपनी रैलियों में राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का जिक्र भी करते हैं और यह बताने की कोशिश करते हैं कि उनकी सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द सुनवाई की कोशिश की और तभी कोर्ट का फ़ैसला आ सका।
दूसरे चरण में कुल 260 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। मुख्यमंत्री रघुबर दास से लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा सहित कई मंत्रियों की सीटों पर भी इस चरण में मतदान होना है। इसके अलावा कांग्रेस से बग़ावत करने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू भी आजसू के टिकट पर घाटशिला सीट से किस्मत आजमा रहे हैं।
सबसे हाई प्रोफ़ाइल सीट जमशेदपुर पूर्वी है। यहाँ से मुख्यमंत्री रघुबर दास के ख़िलाफ़ उनकी ही सरकार में मंत्री रहे सरयू राय निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि कांग्रेस की ओर से गौरव वल्लभ और जेवीएम से अभय सिंह उन्हें चुनौती दे रहे हैं। रघुबर दास चौतरफ़ा घिर चुके हैं और उनके लिए अपनी सीट बचाना एक बड़ी चुनौती है।
![Jharkahnd assembly election 2019 raghuvar das contest from jamshedpur east - Satya Hindi Jharkahnd assembly election 2019 raghuvar das contest from jamshedpur east - Satya Hindi](https://satya-hindi.sgp1.digitaloceanspaces.com/app/uploads/03-12-19/5de63ec348b7a.jpg)
इसके अलावा राज्य सरकार में मंत्री नीलकंठ मुंडा और रामचंद्र सहिस भी चुनाव मैदान में हैं। विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव सिसई से और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा चक्रधरपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। मांडर से झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार बंधु तिर्की, तमाड़ से विकास मुंडा, कोलेबरा सीट से पूर्व मंत्री एनोस एक्का की बेटी आइरिन एक्का सीट से चुनाव मैदान में हैं।
एकजुटता दिखा रहा विपक्ष
झारखंड विकास मोर्चा के अपने रास्ते अलग कर लेने के बाद भी विपक्ष काफ़ी मजबूत दिख रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल कार्यकर्ताओं को एकजुट कर चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरे चरण में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी भी चुनावी रैली कर रहे हैं और बताया गया है कि पार्टी की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा भी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए वोट माँगेंगी। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।
झारखंड में 27% आदिवासी हैं लेकिन बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद ग़ैर-आदिवासी रघुबर दास को मुख्यमंत्री बताया था। बीजेपी का पूरा जोर सवर्ण और ओबीसी जातियों पर है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को बड़ी संख्या में इन समुदायों ने वोट दिया था।
राज्य में 25 सीटें आदिवासी बहुल हैं। पिछली बार इनमें से अधिकांश सीटों पर बीजेपी और झामुमो को जीत मिली थी। बीजेपी की कोशिश है कि वह आदिवासी मतदाताओं के ज़्यादा वोट हासिल करे। आदिवासी मतदाताओं के वोटों को लेकर बीजेपी और झामुमो में संघर्ष जारी है।
झारखंड की कुल आबादी का 14 फीसदी मुसलमान हैं लेकिन वे सियासी रूप से ताक़तवर नहीं हैं। हालाँकि कांग्रेस ने डॉ. इरफान अंसारी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर मुसलिमों को अपनी ओर लाने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि मुसलिम मतदाता बीजेपी के ख़िलाफ़ मतदान करेंगे क्योंकि राज्य में पिछले 5 सालों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में कई मुसलमानों की हत्याएं हुई हैं। देवघर, जामताड़ा, लोहरदगा, गिरिडीह, गोड्डा, चतरा, लोहरदगा और राजमहल के इलाक़ों में मुसलिम आबादी बड़ी संख्या में हैं।
चुनाव नतीजे आने तक झारखंड में चुनावी माहौल बेहद गर्म रहेगा और आजसू के नाता तोड़ने के बाद बीजेपी घिरती नज़र आ रही है। लेकिन मोदी, शाह की रैलियों के दम पर वह चुनाव को पूरी ताक़त के साथ लड़ रही है। देखना होगा कि राज्य की जनता विपक्षी महागठबंधन को अपना समर्थन देती है या बीजेपी फिर से सत्ता में वापसी करने में सफल होती है।
अपनी राय बतायें