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फाइल फोटो

अब कर्नाटक सरकार ओबीसी को देगी स्थानीय निकायों में 33 प्रतिशत आरक्षण 

बिहार में जाति गणना का असर अब देश भर में दिख रहा है। कांग्रेस ने इस मामले को अब देश भर में उठाने का फैसला किया है। कांग्रेस जाति गणना की मांग कर रही है। 
इस कड़ी में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है। कर्नाटक सरकार ने जस्टिस के भक्तवत्सल आयोग की पांच में से तीन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। 
कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के भक्तवत्सल की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन पिछड़े वर्गों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर विचार करने के मकसद से किया गया था। 
आयोग ने पिछले साल तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को इसको लेकर एक रिपोर्ट सौंपी थी।
कर्नाटक के कानून मंत्री एचके पाटिल ने भी मीडिया से बात करते हुए कहा कि आयोग ने पांच सिफारिशें की थी जिसमें से तीन को राज्य सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इनमें से एक सिफारिश ग्रामीण और शहरी निकायों में ओबीसी के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को बनाये रखना भी शामिल है।
कर्नाटक में पिछड़ा वर्ग को ए और बी दो श्रेणियां हैं। इन दोनों को मिलाकर 33 प्रतिशत आरक्षण स्थानीय निकायों में दिया जायेगा। मंत्री एचके पाटिल ने कहा इस आरक्षण को दिए जाने के बाद भी स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को पार नहीं कर पाएगा। 
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कांग्रेस की रणनीति ओबीसी को करीब लाना 

कांग्रेस पार्टी की रणनीति अब ओबीसी समुदाय को अपने करीब लाने की है। इसके लिए पार्टी के नेता लगातार बयान दे रहे हैं। कांग्रेस पार्टी और उसके नेता जाति गणना का समर्थन कर चुके हैं। वह कह चुके हैं कि उनकी सरकार केंद्र में बनने पर वे देश भर में जाति गणना करवाएंगे। 
माना जा रहा है कि कर्नाटक सरकार जल्द ही जाति गणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर सकती है। कांग्रेस ओबीसी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। 
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस अब समझ गई है कि केंद्र में सत्ता पानी है तो ओबीसी वोटरो को अपने पाले में लाना होगा। आज के समय में ओबीसी सबसे बड़ा मतदाता समूह है। इनकी आबादी देश में सबसे ज्यादा है। ऐसे में ओबीसी जिसकी तरफ जाएगा केंद्र में उसकी सरकार बनेगी। 
मौजूदा समय में भाजपा ने ओबीसी मतदाताओं को लुभाने में कामयाबी पाई है। माना जाता है कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनाने में ओबीसी मतदाताओं का सबसे बड़ा योगदान है। 
भाजपा किसी भी हाल में इस वर्ग को नाराज नहीं करना चाहती है। प्रधानमंत्री मोदी अपनी विभिन्न सभाओं में ओबीसी समुदाय के लिए किए गए कामों को गिनाते रहते हैं। ऐसा कर वे ओबीसी समुदाय को संदेश देना चाहते हैं कि भाजपा सरकार उनके लिए सबसे ज्यादा हितैषी है। 
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विपक्ष को मिला नया चुनावी मुद्दा

बिहार में नीतीश कुमार ने जाति जनगणना करवा कर देश भर के भाजपा विरोधी दलों या विपक्ष को अब एक नया चुनावी मुद्दा दे दिया है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल अब जाति जनगणना की मांग को जोर-शोर से उठाएंगे।
आगामी लोकसभा चुनाव में यह बड़ा चुनावी मुद्दा बन जायेगा। यह इतना महत्वपूर्ण मुद्दा है कि भाजपा के पास इसकी कोई काट नहीं दिखती है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि जाति जनगणना का मुद्दा लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
 यह ऐसा मुद्दा है जिसकी मांग विपक्षी दलों के ओबीसी नेता वर्षों से कर रहे हैं। इनका मानना है कि ओबीसी समुदाय की संख्या काफी ज्यादा है लेकिन इसका सही आंकड़ा नहीं होने के कारण इनके साथ नाइंसाफी हो रही है। माना जा रहा है कि देश भर में अगर जाति गणना होगी और इसमें निकल कर आता है कि ओबीसी की संख्या देश की आबादी में 50 प्रतिशत से अधिक है तो मौजूदा आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग जोर पकड़ेगी। तब जो भी सरकार केंद्र में रहे उसके लिए इस मांग को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा। 
अगर लोकसभा चुनाव में जाति जनगणना बड़ा मुद्दा बनता है और इंडिया गठबंधन को इसका फायदा होता है तो इसका काफी हद तक श्रेय नीतीश कुमार को मिलेगा। उन्होंने जाति जनगणना करवा कर भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे की काट के रूप में विपक्ष को वह हथियार दे दिया है जो मौजूदा भारतीय राजनीति की पूरी तस्वीर बदल सकता है। 

सबसे ज्यादा ओबीसी सांसद बीजेपी में

गुरुवार को पटना में हुए भाजपा के एक समारोह में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि ओबीसी हितों को लेकर हमने सबसे ज्यादा काम किए हैं। 

जेपी नड्डा ने कहा कि  देश के शोषित, वंचित, पीड़ित, पिछड़े,दलित, आदिवासी सबके लिए भाजपा ने लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ओबीसी की बात करने का नैतिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस ने काका कालेलकर और मंडल कमीशन की रिपोर्ट को वर्षों दबाए रखा। 

ओबीसी को संवैधानिक दर्जा देने का काम नरेंद्र मोदी सरकार ने किया। आज केंद्रीय योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ ओबीसी को मिल रहा है।

जेपी नड्डा ने कहा कि आज जितने कांग्रेस के सांसद हैं, उससे ज्यादा भाजपा में ओबीसी के सांसद हैं। केंद्र सरकार में 27 ओबीसी मंत्री हैं। भाजपा के 85 ओबीसी सांसद हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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