ब्रिटिश सरकार ने भारत में अपने शासन काल के दौरान जिन-जिन किताबों पर प्रतिबंध लगाया, उनमें 1909 में बाबू नवाब राय बनारसी का उर्दू में लिखा पाँच कहानियों का संग्रह 'सोज़-ए-वतन' (वतन का दुख-दर्द) भी था। नवाब राय के इस कहानी संग्रह की चर्चा हिंदी साहित्य में बहुत ही कम हुई है जिसका मुख्य कारण यह है कि इस किताब पर प्रतिबंध लगने के थोड़े ही समय बाद लेखक नवाब राय की मृत्यु हो गई।
नवाब राय बनारसी कैसे बन गए मुंशी प्रेमचंद?
- साहित्य
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- 29 Mar, 2025

31 जुलाई 1880 को बनारस के पास लमही नामक गाँव में जन्मे मुंशी प्रेमचंद की आज 144 वीं जयंती है। उनका नाम धनपत राय था। जानिए, उनका नाम नवाब राय बनारसी और फिर मुंशी प्रेमचंद कैसे पड़ा।
लेकिन यह वास्तविक मृत्यु नहीं थी क्योंकि नवाब राय नाम से कोई व्यक्ति था ही नहीं। नवाब राय दरअसल सरकारी मुलाज़िम धनपत राय श्रीवास्तव का छद्मनाम था जिसका इस्तेमाल वे देशभक्तिपूर्ण कहानियाँ लिखने के लिए करते थे। यह वही धनपत राय हैं जो आगे चलकर मुंशी प्रेमचंद के नाम से विख्यात हुए।