सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने आईटी सेल को चुनाव की रणनीति बनाने, तैयारी करने, प्रचार करने और विरोधियों पर हमले करने के काम में लगा दिया है।
साल 2017 में ही यह आँकड़ा आ गया था कि भारत में क़रीब 20 करोड़ लोग व्हाट्सऐप का उपयोग करते हैं। अब यह संख्या (अनुमानित) 25 करोड़ जा पहुँची है, जो व्हाट्सऐप के बिज़नेस के हिसाब से दुनिया के किसी भी देश में इस्तेमाल होने वाली सबसे बड़ी संख्या है।
कांग्रेस आईटी सेल ट्विटर पर नज़र आने लगी है और कई मामले ट्रेंड करा ले जाती है। लेकिन ट्विटर एलीट कोशिश है ।व्हाट्सऐप पर बीजेपी उतना ही आगे है, जितना वह इलेक्टोरल बांड्स से धन उगाहने में। सामाजिक न्याय के लड़ाकों की भी उपस्थिति इस मंच पर है। पर वे संगठित अभियान के रूप में नहीं हैं। हाँ! विकसित हो रही है। दलित आंदोलन इस पर बहुत सक्रिय और संगठित है। उनके हजारों ग्रुप हैं और वे कम से कम दो बार इसी संगठन के बलबूते भारत बंद जैसे आह्वान करके अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं।
दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों में अब बाक़ायदा आईटी सेल हैं और इनके प्रमुख का पद आज पार्टी में बहुत ही महत्वपूर्ण है। बीजेपी ने 2007 में राजनाथ सिंह की अध्यक्षता के समय इसकी शुरुआत की थी। प्रद्युत वोरा इसके पहले प्रमुख थे, जो 2009 में इससे अलग हो गये थे। उसके बाद अरविंद गुप्ता हेड बने और अब अमित मालवीय हैं।
बीजेपी आई टी सेल अब फ्रैंकस्टीन मॉन्सटर बन चुका है, यह मेरी परिकल्पना से परे है। 2014 के चुनाव के पहले ही आईटी सेल गॉधीनगर में मोदी कैंप के नियंत्रण में जा चुका था, जो नरक मचा है, वह वहीं से आया है।
हमारे यहाँ क़रीब बीस करोड़ घरों में टीवी पहुँच चुका है और 90 करोड़ जोड़ी आँखें इसके क़ब्ज़े में हैं। हालॉकि सिर्फ 15 फ़ीसद से भी कम लोग न्यूज़ एडिक्ट हैं, पर कई बार यह संख्या 70 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। मसलन, हाल ही में पुलवामा के बाद बालाकोट और अभिनंदन के मामले में ऐसा हुआ। वरना 85 प्रतिशत लोग कार्टून, सिनेमा, सीरियल, खेल, फ़ैशन और डिस्कवरी चैनलों में गुम रहते हैं।
डिजिटल दुनिया हमारे युग में मष्तिष्क पर नियंत्रण करने और राय बदलने का सबसे बड़ा और सबसे कारगर तरीक़ा है। सामान बेचने और बिक्री बढ़ाने के लिये सफल होने के साथ साथ ही दुनिया के राजनैतिक योजनाकारों को इसका महत्व और प्रतिभा समझ में आ गई थी। इसमें पैसा तो लगता है, पर कामयाबी कन्फर्म है।
हमारे देश में पतंजलि उत्पाद और मोदी ब्रांड की राजनैतिक सफलता के पीछे टेलीविज़न का बहुत बड़ा स्पष्ट हाथ है, वरना मीमांसा की जाए तो दोनों के दावे असंगत हैं। कई दावे तो शत प्रतिशत झूठे हैं।
'ऑल्ट न्यूज़' ने अपनी एक रिपोर्ट में हाल ही में सोशल मीडिया पर विभिन्न पार्टियों द्वारा किये जा रहे ख़र्चे दर्शाये थे, जिनसे पता चलता है कि महाकाय आईटी सेल के बावजूद हर माध्यम पर मोदी-बीजेपी प्रचार में कितना निवेश करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, फ़ेसबुक पर कांग्रेस और अन्य सारी विपक्षी और क्षेत्रीय पार्टियों ने जितना पेड प्रमोशन किया है, मोदी कैंप ने अकेले उसके तीन गुने से ज्यादा प्रमोशन किया है।