loader

वाराणसी में मोदी के ख़िलाफ़ ताल ठोक सकती हैं प्रियंका गांधी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा वाराणसी लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में उतर सकतींं हैंं। प्रियंका गांधी के बेहद भरोसेमंद नज़दीकी सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी ने मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने का शुरू से ही मन बनाया हुआ है। बस उनके फ़ैसले को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मंज़ूरी मिलने की देर है। मंज़ूरी मिलते ही प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री को लोकसभा चुनाव हराने के लिए वाराणसी में डेरा डालने को तैयार हैं। सूत्रों का कहना है कि राजनीति में क़दम रखते वक़्त ही प्रियंका ने मोदी के विरुद्ध चुनाव लड़ने का मन बना लिया था।
अहमदाबाद में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद यह माना जा रहा था कि इस बार प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। लेकिन अपने दो दिन के अमेठी दौरे पर पहुंची प्रियंका ने लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए।

'क्या वाराणसी से चुनाव लड़ लूँ'

अमेठी दौरे के पहले दिन उन्होंने साफ़ कहा कि उनका चुनाव लड़ना या नहीं लड़ना पार्टी के फ़ैसले पर निर्भर करता है। अगर पार्टी चाहेगी तो वह लोकसभा का चुनाव ज़रूर लड़ेंगी। अगले दिन प्रियंका गांधी ने अनोखे अंदाज में वाराणसी से चुनाव लड़ने के संकेत दिए। एक कार्यकर्ता ने उससे पूछा कि आप लोकसभा चुनाव लड़ेंगी? सीधा जवाब देने के बजाय प्रियंका ने कार्यकर्ता से ही पूछ लिया, 'क्या वाराणसी से चुनाव लड़ लूँ।' कार्यकर्ताओं की बैठक में प्रियंका गांधी का इस तरह मशवरा करना इस बात का पुख़्ता सबूत माना जा रहा है कि वह वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना रही हैंं।
सम्बंधित खबरें
प्रियंका गांधी को महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपने के फैसले का ऐलान करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि लोकसभा का चुनाव लड़ने और अपनी सीट के बारे में प्रियंका गांधी ख़ुद फ़ैसला करेंगी। राहुल और प्रियंका गांधी के इन बयानों से साफ़ है प्रियंका गांधी के लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता बंद नहीं है, बल्कि पूरी तरह खुला हुआ है। पार्टी में महासचिव बनने और पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद प्रियंका गांधी ने जहां भी दौरा किया है वहां उनके चुनाव लड़ने के बात उठी है। 
Priyanka ready to take on Modi in Varanasi Loksabha polls - Satya Hindi

हवा बनाने की कोशिश

कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक यह प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने के हक़ में हवा बनाने की कोशिश है। अगर प्रियंका गांधी को वाराणसी से चुनाव लड़ना होगा तो यह फैसला बिल्कुल आखिरी वक्त में होगा। पर्चा भरने की आख़िरी तारीख़ को आख़री समय में ही उनका पर्चा दाखिल किया जाएगा।
वैसे भी गांधी नेहरू परिवार में जब कोई राजनीति में उतरता है तो लोकसभा चुनाव लड़कर ही एंट्री मारता है। यह पुराना रिकॉर्ड रहा है।
  • संजय गांधी जब राजनीति में आए थे तो उन्होंने 1977 में अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। यह अलग बात है कि वो अपना पहला चुनाव हार गए थे। अगली बार 1980 में अमेठी से ही लोकसभा चुनाव जीते थे।
  • संजय गांधी की विमान दुर्घटना में असमय मृत्यु के बाद तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी को राजनीति में उतारा तो अमेठी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें चुनाव लड़ा कर लोकसभा भेजा।
  • इसी तरह 1998 में पार्टी की कमान संभालने के बाद सोनिया गांधी ने 1999 में उत्तर प्रदेश की अमेठी और कर्नाटक की बेल्लारी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था।
  • 2004 में जब राहुल गांधी ने राजनीति में कदम रखा तो उन्होंने भी अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़कर लोकसभा में एंट्री की थी। लिहाजा इस रिकॉर्ड को देखते हुए माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी भी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी।
प्रियंका गांधी के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी अगर वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ती है तो वह नरेश प्रधानमंत्री नरेंद्र को कड़ी टक्कर देंंगी। चुनाव का जो भी नतीजा हो उसकी एक अहमियत होगी।
अगर प्रियंका गांधी नरेंद्र मोदी को हरा देतींं है तो पूरे देश का राजनीतिक परिदृश्य बदल जाएगा। अगर वो चुनाव हार जाती हैं तो इससे उनके आने वाले राजनीतिक करियर पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा। इससे उन्हें ज़मीन पर और ज़्यादा संघर्ष करने की प्रेरणा प्रेरणा मिलेगी।
भारतीय राजनीति का इतिहास गवाह है कि तमाम बड़े नेता अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में चुनाव हारते रहे हैं।  इनमें इंदिरा गांधी, संजय गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे तमाम नाम शामिल हैं। बीजेपी के तमाम नेता शुरू से इस बात को मानते हैं कि नरेंद्र मोदी राहुल गांधी पर भले ही भारी पड़ते हो लेकिन अगर उनका मुकाबला प्रियंका गांधी से होगा तो प्रियंका गांधी उन पर  भारी पड़ सकती हैं।

वाराणसी सीट खाली

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में ज़्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैंं लेकिन अभी वाराणसी सीट पर उम्मीदवार का एलान नहीं किया है। वैसे भी प्रियंका गांधी के लिए कोई भी सीट कभी भी खाली कराई जा सकती है। कभी भी उम्मीदवार बदला जा सकता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार बदले हैं। मिसाल के तौर पर मुरादाबाद सीट पर पहले राज बब्बर को उतारा गया था।बाद में उन्हें फ़तेहपुर सीकरी भेज दिया गया और उनकी जगह इमरान प्रतापगढ़ी को मुरादाबाद से उम्मीदवार बना दिया गया। इसी तरह बिजनौर से पहले घोषित किए गए उम्मीदवार को बदलकर बसपा से कांग्रेस में आए दिग्गज़ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी को उम्मीदवार बनाया गया है।
वाराणसी में कांग्रेस की स्थिति मजबूत नहीं है। पिछले करीब 30 साल से बीजेपी का गढ़ बन चुका है 1991 से 1999 तक बीजेपी लगातार यहां जीती रही है। 2004 में कांग्रेस के राजेश मिश्रा जरूर यहां से जीते थे। लेकिन 2009 में बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी से वो हार गए थे।

मोदी के ख़िलाफ़ वोट हैं

पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को यहां 5,81,0 22 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय 75,614 वोट लेकर तीसरे नंबर पर सिमट गए थे। आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल करीब 2,09238 वोट लेकर दूसरे नंबर पर आए थे। 

अगर प्रियंका गांधी वाराणसी से ताल ठोकतींं हैंं, तो यहां के राजनीतिक हालात अलग होंगे। उसी स्थिति में मुख्य मुक़ाबला मोदी और प्रियंका के बीच होगा। हालांकि मोदी की जीत की संभावनाएं ज्यादा होंंगी। प्रियंका गांधी इस सीट पर उन्हें कड़ी टक्कर देंंगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। ऐसा होने पर दुनिया भर के मीडिया की निगाहें इस सीट पर होंगी। प्रियंका गांधी मोदी से किस तरह टकराती है यह देखने वाली बात होगी। अगर सपा-बसपा गठबंधन ने इस सीट पर कांग्रेस का समर्थन कर दिया तो मोदी कड़े मुकाबले में चुनाव हार भी सकते हैंं। प्रियंका के वाराणसी से चुनाव लड़ने से देशभर में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ेगा। प्रियंका गांधी ने तो इशारा कर दिया है कि वह लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। वाराणसी से भी लड़ सकती हैंं। अब फ़ैसला राहुल गांधी को करना है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
यूसुफ़ अंसारी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

चुनाव 2019 से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें