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मध्य प्रदेश: पेट्रोल-डीज़ल ज़्यादा महँगा, जीएसटी दायरे में क्यों नहीं?

मध्य प्रदेश में पेट्रोल जहाँ 81.60 रुपये प्रति लीटर है वहीं दूसरे राज्यों में क़रीब 11 रुपये तक कम क्यों हैं? इसके जीएसटी यानी माल एवं सेवा कर के दायरे में होने पर ऐसा अंतर नहीं हो पाता। फिर पेट्रोल-डीज़ल जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं है? कहीं इसलिए तो नहीं कि सरकारों को मनमानी से फ़ायदा कमाने का मौक़ा नहीं मिल पाएगा? इन सवालों के जवाब शायद अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतें देखकर मिल जाएँ। मुनाफ़े के लिए हर राज्य अपनी मनमर्जी से पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स लगा रहे हैं चाहे आम लोगों पर कितना ही ज़्यादा बोझ क्यों न पड़ जाए। ये राज्य वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स लगाकर ऐसा कर रहे हैं। यदि जीएसटी लग जाए तो सभी राज्यों में इन पर एक समान कर लगेगा और राज्य सरकारें अपना खजाना भरने के लिए मनमानी नहीं कर पाएँगी। यही कारण है कि वे पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध करते रहे हैं।

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने बाढ़ और अतिवर्षा से हुई तबाही की भरपाई की दलील देते हुए पेट्रोल-डीज़ल पर पाँच प्रतिशत वैट बढ़ाया है। बढ़े हुए दाम शनिवार से राज्य में लागू भी हो गये हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश में पेट्रोल के औसत दाम 81.60 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल के दाम 72.89 रुपये प्रति लीटर हो गये हैं। नये दामों के बाद देश में सबसे महँगा पेट्रोल और डीज़ल मध्य प्रदेश में हो गया है।

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मध्य प्रदेश में केंद्र से 15 फ़ीसदी ज़्यादा टैक्स

पेट्रोल पर सेन्ट्रल एक्साइज़ ड्यूटी 20.11 रुपये प्रति लीटर लगती है। इधर मध्य प्रदेश के ताज़ा निर्णय के बाद पेट्रोल पर सभी प्रकार के करों का आँकड़ा 23.50 रुपये प्रति लीटर पर पहुँच गया है। इसमें 33 प्रतिशत वैट के 19.19 रुपये, एडिशनल टैक्स 3.50 रुपये और सेस का 81 पैसे शामिल हैं। यानी मध्य प्रदेश में कुल मिलाकर प्रति लीटर पेट्रोल पर 43.61 रुपये टैक्स (केंद्र सरकार द्वारा 20.11 रुपये और राज्य सरकार द्वारा 23.50 रुपये) लगाया जा रहा है। इसी तरह प्रति लीटर डीज़ल पर सेन्ट्रल एक्साइज ड्यूटी 15.81 रुपये है, जबकि मध्य प्रदेश में तमाम टैक्स 15.85 रुपये है। इस तरह दोनों करों को जोड़ने पर मध्य प्रदेश में डीज़ल पर 31.66 रुपये का कर लगाया जा रहा है।

गुजरात में मध्य प्रदेश से पेट्रोल 11 रुपये सस्ता

मध्य प्रदेश की तुलना में पाँच पड़ोसी राज्यों में सबसे सस्ता पेट्रोल गुजरात में है। मध्य प्रदेश में पेट्रोल के औसत दाम 81.60 रुपये प्रति लीटर हैं, जबकि गुजरात में पेट्रोल के दाम 70.69 रुपये हैं। इस हिसाब से गुजरात में मध्य प्रदेश से 10.91 रुपये प्रति लीटर कम पर पेट्रोल उपलब्ध है।

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महाराष्ट्र के पंपों पर टंगा है यह पोस्टर

गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात राज्य मध्य प्रदेश से लगे हुए हैं। पड़ोसी राज्यों की सीमा से लगे हरेक पेट्रोल पंप पर मध्य प्रदेश से काफ़ी सस्ता पेट्रोल और डीज़ल उपलब्ध होने संबंधी बैनर-पोस्टर टांग दिये गये हैं। महाराष्ट्र के पेट्रोल पंपों पर शनिवार शाम से ही पोस्टर टांग दिया गया है कि मध्य प्रदेश से 4.55 रुपये प्रति लीटर डीज़ल और 4.10 रुपये प्रति लीटर सस्ता पेट्रोल उपलब्ध है। इसी तरह मध्य प्रदेश से सस्ता डीज़ल-पेट्रोल उपलब्ध होने संबंधी तुलनात्मक पोस्टर और बैनर यूपी और गुजरात में भी लटका दिये जाने की ख़बरें हैं। 

मध्य प्रदेश के पंप मालिक, डीलर और एसोसिएशन महँगे पेट्रोल-डीज़ल से होने वाले भारी नुक़सान की शिकायत सरकार से करता आ रहा है।

मध्य प्रदेश के 40 प्रतिशत पंप बंद होंगे!

मध्य प्रदेश पेट्रोल सेल्स ऑनर्स एसोसिशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा कि दामों में बढ़ोतरी का निर्णय अव्यावहारिक है। केंद्रीय बजट के वक़्त भी 6 जुलाई 2019 को कमलनाथ सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल के दाम ढाई रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बढ़ाये थे। इन उत्पादों की बिक्री में 15 प्रतिशत की गिरावट आयी। मध्य प्रदेश सरकार ने इस गिरावट से सबक नहीं लिया।

अजय सिंह कहते हैं, ‘ताज़ा निर्णय के बाद अब मध्य प्रदेश में बिक्री और घट जायेगी।’ उन्होंने कहा, ‘मध्य प्रदेश के कुल 3200 पंपों में 35 से 40 प्रतिशत के क़रीब पंपों पर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। मुमकिन है इन्हें बंद करना पड़े। एक पंप पर 15 के आसपास कर्मचारी रोज़गार पाते हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में लोग बेरोज़गार हो जायेंगे।

अजय सिंह तो यह भी दावा कर रहे हैं, ‘नये टैक्स से मध्य प्रदेश सरकार हर महीने 255 करोड़ की अतिरिक्त आय का अनुमान लगाये बैठी है, मगर 10 करोड़ से ज़्यादा की आय उसे होने वाली नहीं है।

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35000 हज़ार ट्रक गुज़रते हैं मध्य प्रदेश से

मध्य प्रदेश से क़रीब 35 हज़ार ट्रक हर दिन गुज़रते हैं। ऐसे में बड़ा नुक़सान मध्य प्रदेश को होगा। मध्य प्रदेश के किसान और ट्रांसपोर्ट व्यावसायी भी डीज़ल के दामों में बढ़ोतरी को लेकर चिंतित हैं। ट्रांसपोर्ट व्यावसायियों का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने व्हीकल के टैक्स की त्रैमासिक व्यवस्था समाप्त कर एकमुश्त टैक्स देकर मुश्किलें पहले ही बढ़ा रखी थीं। बढ़ी संख्या में व्हीकलों को खड़ा करना पड़ गया था, अब डीज़ल के दाम बढ़ने से परेशानियाँ दोगुनी हो गई हैं। व्यावसायी कह रहे हैं, ‘सबसे ज़्यादा खामियाजा आम उपभोक्ताओं को उठाना पड़ेगा। बढ़े हुए दामों से महँगाई बढ़ेगी वह अलग।’

बढ़ोतरी कुछ वक़्त के लिए है : मंत्री

मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कमलनाथ सरकार में मंत्री पी. सी. शर्मा ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘पेट्रोल और डीज़ल के दामों में ताज़ा वृद्धि कुछ समय के लिए है। बाढ़ ने प्रदेश के किसानों के साथ-साथ आम जनजीवन को भारी नुक़सान पहुँचाया है। टैक्स ऐसे ही लोगों को राहत देने के लिए लगाया गया है। विरोधी बेवजह पैनिक फैला रहे हैं। वृद्धि कुछ वक़्त के बाद वापस ले ली जायेगी।’

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क़मर वहीद नक़वी
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