बीते आठ सालों से देश के सबसे स्वच्छ शहर होने का लगातार पुरस्कार पा रहे मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से झकझोरने वाला कांड सामने आया है। शहर के एक इलाके में दूषित पानी पीने से अब तक आठ लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोगों के अस्पतालों में भर्ती होने की खबर है। काफ़ी बड़ी संख्या में बीमार लोग घरों पर भी इलाज करवा रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने तीन मौतों की ही पुष्टि की है। मामला सामने आने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। मध्यप्रदेश सरकार ने जांच बैठा दी है। तीन सदस्यों की जांच समिति बनाई गई है। इसका अध्यक्ष आईएएस नवजीवन पंवार को बनाया गया है। समिति में सुपरिटेंडेंट इंजीनियर प्रदीप निगम और मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शैलेश राय को भी शामिल किया गया है।
मामले में संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार देर शाम ज़ोनल अधिकारी शालिगराम शितोले और प्रभारी असिस्टेंट इंजीनियर (पीएचई) योगेश जोशी को निलंबित कर दिया है। प्रभारी डिप्टी इंजीनियर (पीएचई) शुभम श्रीवास्तव की सेवा समाप्त कर दी गई हैं।
ये मौतें इंदौर के भागीरथपुरा में दूषित पानी पीने से हुई हैं। अब तक मारे गए लोगों में नंदलाल पाल (75), उर्मिला यादव (69), उमा कोरी (31), मंजुला दिगंबर (74) और सीमा प्रजापत आदि के नाम शामिल बताए गए हैं। बीते चार-पांच दिनों में सौ से ज्यादा बीमार लोग अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हुए हैं। इनमें कई की हालत नाजुक बनी हुई है। कुछ लोगों की हालत हालत ठीक होने पर अस्पताल से छुट्टी भी की गई है।
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हालांकि, जिला प्रशासन ने 3 लोगों की मौत की ही पुष्टि की है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई दी गई आरंभिक जानकारी के अनुसार, मृतकों में नंदलाल, उर्मिला और तारा कोरी शामिल हैं। इन तीनों की मौत डायरिया से होना बताया गया है। नंदलाल को दिल का दौरा आना भी बताया गया है।
स्थानीय लोगों का आरोप है बीते कई दिनों से बदबूदार और गंदे पानी की सप्लाई हो रही है। हर जगह शिकायतें कीं, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। लोग लगातार बीमार पड़ रहे थे। चार दिनों से शिकायतें बढ़ीं। लोगों को उल्टी-दस्त और बुखार सहित पेट संबंधी समस्याएं बढ़ने के बाद हास्पिटलाइज्ड होना पड़ा। मौतें और बड़ी संख्या में बीमारी की खबर से प्रशासन एवं सिस्टम सक्रिय हुआ।

साल भर की दवा चार दिनों में बिकीं!

क्षेत्र में बीमारी के हालात किस कदर गंभीर रहे या बने, इसकी पुष्टि क्षेत्रीय मेडिकल स्टोर्स से निकली जानकारियों ने कर दी है। इलाके में मेडिकल शॉप संचालकों से बातचीत के बाद सामने आया, ‘उल्टी-दस्त और बुखार की दवाइ‌यां जितनी सालभर में नहीं बिकतीं, उतनीं बीते चार दिनों में बिक गईं। स्टॉक खत्म होने के बाद फिर से दवाइयां मंगानी पड़ी हैं।’

इंदौर पुलिस चौकी टायलेट का पानी खुली पेयजल सप्लाई लाइन से मिलता हुआ

पेयजल लाइन में शौचालय का पानी!

भागीरथपुरा में चौकी से लगे शौचालय के नीचे मेन लाइन में लीकेज सामने आया है। आशंका है कि इस लीकेज से ही दूषित पानी, पेयजल की पाइपलाइन में मिला होगा। पानी के 73 सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। क्षेत्र में पानी की सप्लाई के लिए नगर निगम ने बड़ी संख्या में टैंकर लगाए हैं।

भागीरथपुरा में पानी की नई पाइप लाइन के लिए अगस्त 2025 में टेंडर जारी हुआ था, लेकिन इसे अब तक नहीं खोला गया था। करीब 2.40 करोड़ रुपए की लागत से नई पाइप लाइन डाली जानी थी। दस्तावेजों में गंदे और दूषित पानी की शिकायतों का उल्लेख भी था। इसके बावजूद अफसरों ने प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई। अब मौतों के बाद आनन-फानन में टेंडर खोला गया है।

इंदौर की घटना की जवाबदेही किस पर?

पूरे घटनाक्रम ने मध्यप्रदेश और इंदौर के मुंह पर एक बार फिर कालिख पोत कर रख दी है। हैरत की बात ये है कि आठ बार के देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के प्रभारी स्वयं मुख्यमंत्री मोहन यादव हैं। मोहन यादव सरकार में नगरीय प्रशासन विभाग के दायित्व का निर्वहन कर रहे कैलाश विजयवर्गीय भी इंदौर से ही आते हैं। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट भी इंदौर से ही पार्टी सीनियर विधायक हैं।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मंगलवार को मृतकों के परिजनों और बीमार लोगों से मुलाकात की। घटनास्थल पर अफ़सोस जताते हुए उन्होंने मोहन सरकार के साथ-साथ केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को भी जमकर निशाने पर लिया। पटवारी ने कहा है, ‘सबसे साफ़ शहर इंदौर में गंदा पानी पीने से बड़ी संख्या में लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए हैं और इनमे कई लोगों की मौतें हो चुकी हैं। ये बेहद शर्मनाक है। बीते कई महीनों से लोग शिकायत कर रहे थे, ज़िम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया। ये कांड हो गया।’

एमपी कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अस्पताल में पीड़ित लोगों से हालचाल जाना।

पीसीसी चीफ ने ये भी कहा, ‘यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि सरकारी हत्या है। इंदौर में दो-दो कैबिनेट मंत्री हैं, ऊपर से मुख्यमंत्री स्वयं प्रभारी मंत्री हैं। पार्षद, विधायक, सांसद और महापौर सभी भाजपा के हैं। इसके बावजूद आम लोगों के हिस्से जहरीला पानी आ रहा है।’
उधर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने देर शाम सोशल मीडिया पर किए गए एक पोस्ट में कहा, ‘इंदौर शहर के भागीरथपुरा क्षेत्र में हुई घटना बेहद दुखद है। मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उपचाररत प्रभावितों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’

इंदौर MYH हास्पिटल में हुआ था चूहा मौत कांड!

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराजा यशवंतराव अस्पताल (MYH) इंदौर में सितंबर 2025 की शुरुआत में चूहों के काटने से दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी। इस मामले को दबाने और लीपापोती का जबरदस्त प्रयास हुआ था। मगर लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी द्वारा मामले में हस्तक्षेप के बाद सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी थी।

ज़हरीले कफ़ सिरप से बच्चों की मौतें

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुर्ना में बीते सितंबर माह के आरंभ में ही ज़हरीले कफ़ सिरप से एक के बाद एक ढाई दर्जन से ज्यादा मौतें दर्ज हुईं थीं। इस मामले की भी देश व्यापी गूंज हुई थी। डॉक्टरों, स्वास्थ्य महकमे और दवा कंपनी का गठजोड़ सामने आया था। ज़हरीला कफ़ सिरप बनाने के आरोप में साउथ की दवा कंपनी के मुखिया सहित दर्जन भर गिरफ्तारियां हुईं थीं।
सरकार ने SIT जांच बैठा रखी है। मामला अब कोर्ट में है। दो दिन पहले भी मामले से जुड़े एक अन्य आरोपी को पकड़ा गया है। जानकारों का दावा है, ‘जांच की गति धीमी है। रसूखदार आरोपियों को बचाने के प्रयास हो रहे हैं। प्रमाण वैसे नहीं जुटाए जा रहे हैं, जिससे केस मजबूत हो एवं आरोपी कोर्ट में संदेश का लाभ न ले सकें।’ हालांकि जांच एजेंसी और सरकारी सूत्र इन दावों (गति धीमी और आरोपियों को बचाने वाली है को) सिरे से खारिज कर रहे हैं। इन सूत्रों का कहना है, ‘आरोपी बच नहीं पायेंगे।’
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फर्जी दस्तावेज़ों से राष्ट्रपति पुरस्कार!

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित ‘जल संचय जन भागीदारी अभियान (JSJB 1.0)’ में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए खंडवा जिले को मिले राष्ट्रीय सम्मान में फर्जीवाड़े के आरोप लगे हैं। बीते दो दिनों से ये मसला मीडिया की सुर्खियों में है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के हाथों प्राप्त इस सम्मान को लेकर आरोप है, ‘दो करोड़ का पुरस्कार पाने के लिए जिले ने AI निर्मित फोटो अपलोड किए। काम हुआ नहीं। एआई जनरेटेड अपलोड फोटो के आधार पर सम्मान पा लिया।’ इस पूरे मसले पर सरकार ने खंडवा प्रशासन से जवाब-तलब किया है। भोपाल को जवाब की प्रतीक्षा है। हालांकि इस बीच स्थानीय प्रशासन ने मीडिया से मंगलवार को बातचीत में दावा ठोक दिया है, ‘AI जनरेटेड अपलोड फोटो से सम्मान का कोई लेना-देना नहीं है। शरारती तत्वों ने भ्रम फैलाया है। सम्मान सही काम पर प्राप्त हुआ है।’