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कैसे फैली दिग्विजय सिंह के फर्जी इस्तीफे की ख़बर? एफ़आईआर होगी

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की पहली सूची घोषित होते ही पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्य दिग्विजय सिंह के फेक इस्तीफे पर राजनीति गर्मा गई है। सूची आने के कुछ देर बाद सोशल मीडिया पर दिग्विजय सिंह का ‘इस्तीफा’ आया तो सनसनी फैल गयी। 

दिग्विजय सिंह ने इसे भाजपा की शरारत करार देते हुए पुलिस में एफआईआर कराने की घोषणा की है। दिग्विजय सिंह ने स्पष्टीकरण में कहा, ‘वे 1971 से कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े हुए हैं। इस्तीफा बीजेपी की शरारत है। ऐसा करने वालों को वे बख्शेंगे नहीं। एफआईआर करायेंगे।’

उधर बीजेपी ने फेक इस्तीफे को दिग्विजय सिंह की तिकड़म करार दिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल ने इसे शरारत बताया, लेकिन अधिकारिक तौर पर या ऑनकैमरा तत्काल कोई कुछ नहीं बोला तो तमाम तरह की सुगबुगाहटें बढ़ गईं। दरअसल, टिकटों को लेकर दिल्ली में चली माथा-पच्ची के बीच ख़बरें आयीं थीं कि दिग्विजय सिंह टिकटों के लिए चली रायशुमारी और पैमाने को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और दिग्विजय सिंह कैम्प के मजबूत सदस्य डॉ. गोविंद सिंह को लेकर भी ऐसे ही समाचार बैठक से छनकर बाहर आये।

एक अपुष्ट सूचना यह भी आयी कि दोनों सिंह (दिग्विजय सिंह-गोविंद सिंह) टिकटों की कवायद पूरी होने के पहले ही दिल्ली से कूच कर गए हैं। इन कथित ख़बरों के बीच दिग्विजय के कथित त्यागपत्र ने सनसनी फैलाई। तमाम कयासबाजी और इस्तीफा फेक होने की सूचनाओं के बीच दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट के जरिये इस्तीफे को फेक बता दिया।

फेक इस्तीफे को लेकर भले ही दिग्विजय सिंह ने यह कहा है कि इस्तीफा बीजेपी की शरारत है, लेकिन दूसरी ओर यह सही है कि पहली सूची में दिग्विजय सिंह के कई समर्थकों के नाम जारी नहीं हुए हैं। दिग्विजय सिंह ने 2019 का लोकसभा का चुनाव भोपाल से लड़ा था। ऐसा माना जा रहा है कि उनके नामों को पहली लिस्ट में न लिए जाने से सिंह नाराज हैं।

मध्य प्रदेश भर में दिग्विजय सिंह की कांग्रेस में मजबूत पकड़ है। हर क्षेत्र में उनके समर्थक हैं। पहली सूची में साफ दिखा है कि हर तरफ उनके समर्थक टिकटों के दावेदारों को निराशा का सामना करना पड़ा है।

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भोपाल में अपने खांटी समर्थक वर्तमान विधायक और कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे पी.सी. शर्मा को वह पहली सूची में टिकट नहीं दिला सके हैं। गोविंदपुरा सीट पर रविन्द्र साहू झूमरवाला को भी सिंह ने आश्वस्त कर रखा है कि टिकट फाइनल है। मगर पहली सूची में रविन्द्र का नाम नहीं आया है। रविन्द्र के विज्ञापन सोशल मीडिया पर चल रहे हैं। वे गोविंदपुरा से दावेदार घोषित हुए बिना ही वोट मांग रहे हैं।

सूत्रों ने बताया है कि कमलनाथ ने सर्वे और आलाकमान की नजदीकियों का लाभ लेकर दिग्विजय सिंह को भी निपटाने में कोई कोर एवं कसर इस चुनाव में नहीं छोड़ी है।

उधर भाजपा ने फेक इस्तीफे को दिग्विजय सिंह की दबाव एवं तिकड़म की राजनीति करार दिया है। बीजेपी नेता रजनीश अग्रवाल ने कहा है, ‘कांग्रेस की होपलेस सूची में दिग्विजय सिंह के समर्थकों के नाम गायब हैं। भोपाल में ही वे अपने समर्थकों को टिकट नहीं दिला पाये हैं। पार्टी की आंतरिक कलह में पीछे रह गए दिग्विजय सिंह दबाव की राजनीति के लिए ओछे हथकंडों पर आमादा हो गए हैं। स्वयं इस्तीफे सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए आरोप बीजेपी पर मढ़ रहे हैं।’

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ऐसा था वायरल हुआ दिग्विजय सिंह का ‘इस्तीफा’

दिग्विजय सिंह के लेटरहेड पर ‘इस्तीफा’ लिखा गया था। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम संबोधित पत्र में दिग्विजय सिंह की ओर से तमाम बातें लिखते हुए ‘टिकटों में तरजीह’ न मिलने का हवाला देते हुए कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की बात कही गई थी।

कांग्रेस की पहली सूची

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची रविवार को आ गई। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के साथ ही तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के प्रत्याशियों के एलान भी किए हैं। कुल 229 नाम तीनों राज्यों के लिए कांग्रेस द्वारा एनाउंस किए गए हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों में से इस पहली सूची में 144 नामों की घोषणा की गई। घोषित सूची में मौजूदा 95 विधायकों में 69 को टिकट दिया गया। इसमें जातीय समीकरणों का ध्यान रखा गया है।

कांग्रेस ने 65 ऐसे उम्मीदवार दिए हैं, जिनकी उम्र 50 साल से कम है। अनेक नये चेहरे सूची में शुमार हैं। साल 2018 में सरकार बनने पर विधानसभा के स्पीकर बनाये गये नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव से विधायक एन.पी.प्रजापति का टिकट काटा गया है। उनके अलावा भी कुछ और मौजूदा विधायकों के टिकट रोके गए हैं। 

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संजीव श्रीवास्तव
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