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सहायक आबकारी आयुक्त आलोक कुमार खरे।

एमपी: आबकारी आयुक्त की संपत्ति 1 अरब से ज़्यादा, 10 लाख का कुत्ता भी पाला

मध्य प्रदेश में एक सहायक आबकारी आयुक्त 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा का आसामी निकला। लोकायुक्त ने उसके ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारी में मिली अकूत काली कमाई देखकर छापामार दस्ते वाले हैरान रह गये। भोपाल से लगे रायसेन जिले में किले के सामने इस भ्रष्ट अफ़सर का महलनुमा फ़ॉर्म हाउस भी मिला। 

मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग के इंदौर कार्यालय में पदस्थ सहायक आबकारी आयुक्त आलोक कुमार खरे के संबंध में लोकायुक्त को शिकायत मिली थी। लोकायुक्त ने खरे को निगरानी में लिया था। पिछले छह-सात माह से लोकायुक्त का अमला खरे पर नज़र रखे हुए था। मंगलवार तड़के इस अफ़सर के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, रायसेन और छतरपुर स्थित ठिकानों पर लोकायुक्त की टीमों ने एक साथ छापेमारी की।

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देर रात तक चली छापामार कार्रवाई के बाद मोटे तौर पर 100 करोड़ से ज़्यादा की अकूत संपत्ति का खुलासा खरे के पास से हुआ है। अफ़सर ने स्वयं, परिवार के सदस्यों और अन्य नाते-रिश्तेदारों के नाम से रियल स्टेट में बड़ा निवेश किया हुआ है। सहायक आबकारी आयुक्त और उसके रिश्तेदारों के नाम से कई स्थानों पर कई भूखंड, फ्लैट-घर, खेतिहर ज़मीन समेत काफ़ी संख्या में निवेश से जुड़े दस्तावेज मिले हैं।

खरे का भोपाल के बेहद पॉश इलाक़े गोल्डन सिटी में आलीशान घर भी मिला है। इस घर की साज-सज्जा पर ही करोड़ों रुपये ख़र्च होने की जानकारी सामने आयी है। भोपाल के अलावा इंदौर और ग्वालियर में भी अफ़सर ने कई घर, प्लॉट और दुकानें ख़रीदीं। महंगे और लकदक ऑफ़िस बनाये।

भोपाल से लगे रायसेन जिले में पुरातत्व महत्व वाले किले के सामने खरे का आलीशान फ़ॉर्म हाउस मिला है। फ़ोर्ट व्यू नाम वाले इस फ़ॉर्म हाउस का रकबा 57 बीघा के लगभग बताया गया है। इसी फ़ॉर्म हाउस के निकट पत्नी के नाम से दो लकदक फ़ॉर्म हाउस भी छापे में सामने आये हैं। सभी का कुल रकबा 70 एकड़ के लगभग हो रहा है। फ़ॉर्म हाउस में 3600 पेड़ों का बगीचा भी है। कई महंगे फलदार वृक्ष इनमें शामिल हैं।

मोटा कैश, लग्जरी कारें मिलीं 

सूत्रों ने बताया कि पांचों स्थानों पर अलग-अलग छापों में मोटा कैश मिला है। बड़ी मात्रा में सोने-चांदी के आभूषण, लग्जरी कारें, ट्रैक्टर और दो पहिया वाहन भी छापामार टीमों ने ठिकानों से जब्त किये हैं। छापों में बैंक लॉकरों के साथ एफ़डीआर और अन्य निवेश के दस्तावेज भी लोकायुक्त के हाथ लगे हैं। लॉकरों से भी 1 करोड़ से ज़्यादा का सोना मिला है। सूत्रों का कहना है कि अकूत संपत्ति और नकद का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है।

खरे के भोपाल के महंगे क्षेत्र चूना भट्टी स्थित घर से डूडल नस्ल का एक कुत्ता मिला है। विदेशी प्रजाति के इस कुत्ते की बाजार में क़ीमत दस लाख रुपये के लगभग है। कुत्ते को खिलाने वाला महंगा फ़ूड भी काफ़ी मात्रा में लोकायुक्त छापामार दल ने बरामद किया है।

कमाई 90 लाख, संपत्ति अरब से ज़्यादा 

मध्य प्रदेश के छतरपुर के मूल निवासी आलोक कुमार खरे राज्य लोक सेवा आयोग के जरिये 1998 में सरकारी नौकरी में आये थे। मध्य प्रदेश में तमाम जगहों पर वह रहे। मालवा-निमाड़ में उन्होंने सबसे ज़्यादा वक्त तक नौकरी की। अभी वह इंदौर में पदस्थ हैं। खरगौन, रतलाम और धार में भी उनकी पोस्टिंग रही। भिंड जिले में वह काफी समय रहे।

सरकारी नौकरी में आने के बाद से अब तक उनकी कमाई 90 लाख रुपये के आसपास बैठती है। मगर संपत्ति 1 अरब से ज़्यादा की मिली है। आलोक के पिता लालजी खरे स्कूल शिक्षा विभाग में रहे। वह प्रिंसिपल के ओहदे से रिटायर हुए हैं और पत्नी के साथ छतरपुर में रह रहे हैं। लोकायुक्त की टीम को छतरपुर में उनके घर से 12 लाख रुपये नकद, 15 लाख का सोना, दो लाख की चांदी और एक कार मिली है। घर के अलावा छतरपुर में लालजी खरे के नाम 4 हज़ार स्क्वायर फ़ीट का एक प्लॉट भी मिला है। 

85 हजार की कुर्सी, सवा लाख की टेबल

बताया गया है कि इंदौर में साल भर पहले कामकाज संभालने के बाद आलोक खरे के लिए 85 हजार की कुर्सी मंगाई गई थी और सवा लाख रुपये का टेबल उनके लिए आया था। महंगी कुर्सी और टेबल आने के बाद उन्होंने अपने सरकारी कार्यालय में पहुंचकर चार्ज लिया था। शराब ठेकेदारों और पब के संचालकों से उनके रिश्ते बेहद मधुर बताये जाते रहे। वह लग्जरी लाइफ़ स्टाइल के शौकीन बताये जाते हैं।

पत्नी को भी बनाया आरोपी

खरे और उनका परिवार घूमने-फिरने का बेहद शौकीन बताया गया है। अक्सर वे लोग पर्यटन स्थलों पर जाया करते थे। यह भी बताया गया है कि इस दौरान महंगे से महंगे होटल में रुकना और जमकर पैसा फूंकना खरे परिवार का शगल रहा। लोकायुक्त ने आय से ज़्यादा संपत्ति के मामले में आलोक खरे की पत्नी को भी आरोपी बनाया है। 

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भ्रष्टाचार की जांच कर रहे थे, ख़ुद फंसे

आलोक कुमार खरे के पास इंदौर जिला आबकारी महकमे के एक बेहद चर्चित और विवादास्पद मामले की जांच थी। सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे से जुड़े मसले की जांच का जिम्मा विभाग ने उन्हें सौंपा था। पूरे मामले की जांच खरे कर रहे थे। लेकिन छापों में आय से बहुत अधिक तादाद में मिली बेइंतहा दौलत के मामले में अब वह ख़ुद ही फंस गये हैं।

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संजीव श्रीवास्तव
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