महाराष्ट्र में वोट चोरी का मुद्दा नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अगस्त में उठाया था। उसके बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने यह कहकर खंडन किया था कि वो उनका डेटा नहीं है। राहुल गांधी ने पता नहीं कहां के डेटा का जिक्र किया था। अब महाराष्ट्र के विपक्षी दलों ने एक सुर में वोट चोरी के आरोपों को दोहराते हुए कहा है कि महाराष्ट्र में 96 लाख यानी लगभग एक करोड़ लोगों के नाम फर्जी ढंग से जोड़े गए हैं। महाराष्ट्र के विपक्ष ने कहा कि अगर ये फर्जी नाम नहीं हटाए गए तो वे लोग 1 नवंबर को रैली करेंगे। जिसमें चुनाव आयोग की कारगुजारी का पर्दाफाश किया जाएगा।
महाराष्ट्र में वोट चोरी का मामला बहुत दिनों से चर्चा में था, लेकिन अब स्थानीय निकाय चुनाव की वजह से विपक्ष ने इसे जोरशोर से उठाने का फैसला किया। विपक्ष के जो तेवर अब दिखाई दे रहे हैं, अगस्त में जब राहुल गांधी ने आरोप लगाए थे तो उस समय महाराष्ट्र के विपक्षी दलों के तेवर ऐसे नहीं थे। लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव और वोट चोरी के मुद्दे ने ठाकरे बंधुओं (उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे) को एकजुट कर दिया है। 
विपक्षी दलों ने अब 1 नवंबर को मुंबई में बड़ी रैली की घोषणा की है, जिसमें चुनाव आयोग से राज्य के मतदाता सूची से लगभग एक करोड़ "फर्जी मतदाताओं" को हटाने की मांग की जाएगी। भाजपा शासित महाराष्ट्र में विपक्षी दल मतदाता सूची में पारदर्शिता और फर्जी मतदाता आधार पर ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। 

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शिवसेना यूबीटी के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि अगर चुनाव आयोग उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं करता, तो विपक्ष "सड़कों पर उतरकर चुनाव आयोग को झटका देने" का इरादा रखता है।

एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे का दावा है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले महाराष्ट्र की मतदाता सूची में लगभग 96 लाख फर्जी मतदाता जोड़े गए हैं। राउत ने जोर देकर कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों, जैसे बीजेपी की मंदा म्हात्रे और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के संजय गायकवाड़ ने भी मतदाताओं की दोहरी प्रविष्टियों और अनियमितताओं की बात की है। विपक्ष का दावा है कि यह रैली "लाखों लोगों की ताकत को दर्शाएगी जिनके मतदान अधिकारों से समझौता किया गया है।" उद्धव सेना के राज्यसभा सांसद ने आगे कहा कि शरद पवार, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे इस आयोजन का नेतृत्व करेंगे, जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है।
विपक्ष ने 14 अक्टूबर को राज्य चुनाव आयुक्त और मुख्य निर्वाचन अधिकारी को मतदाता सूची में विसंगतियों के बारे में ज्ञापन दिया था।राउत ने कहा, "हम मांग करते हैं कि चुनाव आयोग तत्काल लगभग एक करोड़ फर्जी मतदाताओं को हटाए। अन्यथा, विपक्ष 1 नवंबर को विरोध प्रदर्शन करेगा।" बता दें कि हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि महाराष्ट्र में ग्रामीण और शहरी निकाय चुनाव 31 जनवरी, 2026 तक पूरे होने चाहिए। पार्टियों का कहना है कि "लेकिन उससे पहले मतदाता सूची को साफ करना होगा।"

राज्य चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों का सीधा जवाब नहीं देकर सिर्फ इतना कहा कि "कोई भी राजनीतिक दल मतदाता सूची में हेरफेर नहीं कर सकता।" महाराष्ट्र कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने इस मामले में चुनाव आयोग के रवैये की आलोचना की। उन्होंने कहा कि बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर विपक्ष को दबा रहे हैं।

एमएनएस नेता बाला नांदगांवकर ने भी इस चिंता को दोहराया और कहा कि चुनाव आयोग ने स्थिति को स्वीकार किया है, लेकिन सार्वजनिक कार्रवाई में पीछे है। इसलिए सार्वजनिक कार्रवाई आवश्यक है। एनसीपी (शरद पवार) नेता जयंत पाटिल ने चुनाव आयोग के जवाब को "असंतोषजनक" करार दिया। पाटिल ने कहा कि विपक्ष लोकतंत्र की रक्षा के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों को भी रैली में शामिल करने के लिए तैयार है। लेकिन शर्त है कि बीजेपी को पहले चुनाव आयोग की धांधली के खिलाफ बोलना होगा।

'वोट-चोरी' के दावे कितने सही 

महाराष्ट्र विपक्ष की मांग पूरे देश में चुनावी धांधली के व्यापक दावों के बीच आई है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बार-बार "वोट-चोरी" का आरोप लगाया है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि भारत का चुनाव आयोग (ईसी) भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर चुनावों में हेरफेर कर रहा है।
अगस्त में, राहुल ने कहा कि उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अनियमितताएं "चुनावी प्रक्रिया में विश्वासघात" की ओर इशारा करती हैं। कुछ दिनों बाद, एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने नेता विपक्ष के आरोपों का समर्थन किया और मतदाता सूचियों में धोखाधड़ी प्रविष्टियों पर सतर्कता बरतने का आग्रह किया।

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सितंबर में राहुल गांधी वोट चोरी के आरोपों के साथ फिर लौटे। उन्होंने एक प्रेंजेटेशन के जरिए बताया  कि सॉफ्टवेयर के जरिए मतदाताओं के नाम बड़े पैमाने पर हटाए गए हैं। उन्होंने "सुबह 4 बजे उठकर, 36 सेकंड में दो मतदाताओं को हटाने और फिर सो जाने" की प्रथा का जिक्र किया। उन्होंने कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र को एक केस स्टडी के रूप में बताया था।