महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग (ईसीआई) और राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) पर गंभीर आरोप लगाते हुए एकजुटता दिखाई है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने बुधवार को दिल्ली में आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और मतदाता सूची में कथित धांधली का मुद्दा उठाया। विपक्ष ने मांग की है कि मतदाता सूची की खामियों को ठीक किए बिना कोई भी निकाय चुनाव न कराया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी 2026 तक पूरे होने अनिवार्य हैं, लेकिन अभी तक तारीखों की घोषणा नहीं हुई है। विपक्ष का आरोप है कि मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर हेरफेर हो रहा है, जिसमें वास्तविक समय में बदलाव, नकली प्रविष्टियां और पारदर्शिता की कमी शामिल है। यह मुद्दा नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले एमवीए द्वारा उठाए गए आरोपों की याद दिलाता है, जहां भाजपा सदस्यों द्वारा चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप का दावा किया गया था।

महाराष्ट्र के विपक्षी नेताओं की दिल्ली यात्रा और आरोप 

बुधवार को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एनसीपी (एसपी) के विधायक जयंत पाटिल तथा कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट के साथ दिल्ली में राज्य और केंद्रीय निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने दस्तावेजी सबूत और एक ज्ञापन पेश किया, जिसमें विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूचियों की कमियों का जिक्र किया गया। मुलाकात में चुनाव आयोग कोई आश्वासन देने में नाकाम रहा, जिसके बाद नेताओं ने संयुक्त प्रेस वार्ता आयोजित कर अपने आरोप बताए।
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महाराष्ट्र वोटर लिस्ट में ऐसी गड़बड़ी पर हैरानी

वोटर लिस्ट धांधली की विपक्ष ने कई उदाहरण दिए। जैसे मुरबाद में 400 मतदाताओं के घर नंबर में केवल 'डैश' होना, बादनेरा में 450 मतदाताओं का घर नंबर '0' अंकित होना, कामठी में 867 मतदाताओं का पता 'नल' होना। नासिक सेंट्रल में 813 और पुणे कैंटोनमेंट में 869 मतदाता एक ही पते पर पंजीकृत हैं। नालासोपारा में सुषमा गुप्ता नाम की एक महिला को छह बार अलग-अलग ईपीआईसी आईडी के साथ सूचीबद्ध किया गया, जो मीडिया रिपोर्ट के बाद ईसी वेबसाइट से गायब हो गया। 2024 चुनावों में चारकोप निर्वाचन क्षेत्र में नंदिनी नाम की एक मतदाता को 124 वर्ष की आयु दिखाई गई, जबकि उसके पिता की उम्र 43 वर्ष दर्ज थी।

राज ठाकरे ने चुनाव आयोग की हेराफेरी का पर्दाफाश किया

राज ठाकरे ने वोटर लिस्ट हेराफेरी की असलियत बताई। उन्होंने कहा, "कल शाम 6 बजे हमने आयोग को एक नकली मतदाता का नाम दिखाया। 7 बजे तक वह नाम सूची से हटा दिया गया। अधिकारियों से पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्हें पता नहीं और जांच करेंगे। अगर निर्वाचन आयोग को नाम जोड़ने-हटाने की जानकारी नहीं, तो हम किससे पूछें?" उन्होंने मांग की कि सूची सुधार के बिना चुनाव न हों।

वोट चोरी, पार्टी चोरी सब बैकडोर एंट्री से हो रहा हैः उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने आयोग पर पारदर्शिता बनाए रखने में विफलता का आरोप लगाते हुए कहा, "हम लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही स्वीकार नहीं करेंगे।" उन्होंने चेतावनी दी, "मतदाता सूची में सुधार के बिना कोई चुनाव नहीं होना चाहिए। हम सीईओ और एसईसी के बयानों का दो-तीन दिनों तक इंतजार करेंगे और फिर आगे का कदम तय करेंगे।" ठाकरे ने कहा, "महाराष्ट्र में चुनाव की भ्रष्टाचारपूर्ण कुप्रथा लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है। ईवीएम पर पहले ही संदेह है, अब वीवीपीएटी मशीनें भी नहीं इस्तेमाल होंगी। ताज़ा मतदाता सूची नहीं, कैमरा फुटेज नहीं, पारदर्शिता नहीं। वोट चोरी, पार्टी चोरी सब बैकडोर एंट्री से हो रहा है।" उन्होंने कटाक्ष किया, "यह लोकतंत्र पर मजाक है। निर्वाचन आयोग को कहा निष्पक्ष चुनाव न करा सकें तो मत कराएं, या इसे सिलेक्शन कहें।"

मतदाता के नाम की ग़लती बताई तो नाम ही गायबः जयंत पाटिल

जयंत पाटिल ने ईसी सर्वर पर बाहरी नियंत्रण का आरोप लगाया, "नालासोपारा में सुषमा गुप्ता को छह बार अलग आईडी से सूचीबद्ध किया गया। खबर आने के बाद शाम तक एंट्री गायब हो गईं। यह दिखाता है कि ईसी सर्वर किसी और के हाथ में है।" बालासाहेब थोराट ने कहा, "विधानसभा चुनावों में भी ये मुद्दे उठाए थे। छह महीने में कोई सुधार नहीं, वही गड़बड़ सूची फिर इस्तेमाल हो रही है। ईसी राज्य और केंद्र के बीच जिम्मेदारी टाल रही है।"
विपक्ष की मांगें और आयोग का रुखविपक्ष ने स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित करने, दावा-आपत्ति के लिए आठ दिनों की सीमा हटाने, वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल तय करने तथा मतदाता डेटा प्रबंधन में पूर्ण जवाबदेही की मांग की। शिवसेना (यूबीटी), एमएनएस, एनसीपी (एसपी) और कांग्रेस ने संयुक्त रूप से कहा कि सुधार के बिना चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे।
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आयोग की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई। अधिकारियों ने हेराफेरी की जांच का आश्वासन दिया। विपक्ष ने कहा कि वो दो-तीन दिनों तक औपचारिक जवाब का इंतजार करेगा।
यह घटनाक्रम महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे भाइयों के बीच बढ़ते समन्वय को बताता है। निकाय चुनाव के मुद्दे पर यह एकजुटता बीजेपी को परेशान कर रही है। विपक्ष का कहना है कि वोटर चोरी जैसी खामियां लोकतंत्र को कमजोर करती हैं, जबकि सत्ताधारी दल चुप्पी साधे हुए है।