मराठा कोटा के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने मंगलवार को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल ख़त्म करने की घोषणा की है। मुंबई के आज़ाद मैदान में प्रोटेस्ट कर रहे जरांगे पाटिल ने मराठा आरक्षण आंदोलन को भी ख़त्म करने का संकेत दिया है। उन्होंने यह फ़ैसला तब किया है जब महाराष्ट्र सरकार ने मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कुनबी स्टेटस देने के लिए एक सरकारी प्रस्ताव यानी जीआर जारी करने का आश्वासन दिया है। 

यह निर्णय जरांगे पाटिल की पांच दिन की भूख हड़ताल के बाद आया। इसमें उन्होंने मराठवाड़ा के मराठा समुदाय के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत 10% आरक्षण की मांग की थी। रिपोर्ट है कि सरकार ने हैदराबाद गजट को लागू करने का वादा किया है, जो मराठवाड़ा के मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता देगा। इससे वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र होंगे। जरांगे ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, 'हम जीत गए हैं'। 
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सरकारी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए जरांगे पाटिल ने कहा कि समुदाय की माँगें पहले ही लिखित रूप में सरकार को दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा, 'पहला मुद्दा हैदराबाद राजपत्र को तुरंत लागू करने की माँग थी। सरकार ने अब इस पर निर्णय ले लिया है। मंत्री (राधाकृष्ण) विखे पाटिल ने आश्वासन दिया है कि यदि प्रोटेस्टर इस प्रस्ताव पर सहमत होते हैं तो सरकार इस पर एक सरकारी प्रस्ताव जारी करेगी।'

उन्होंने आगे कहा, 'इस सरकारी निर्णय के अनुसार एक कार्य योजना प्रस्तावित है जिसके तहत गांव में मराठा समुदाय के लोगों को सत्यापन के बाद कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे, यदि उनके रिश्तेदारों, कबीले के सदस्यों या उसी गांव के लोगों को पहले से ही ऐसे प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।'

यह सब घटनाक्रम तब चला है जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने पहले ही मराठा आरक्षण मुद्दे पर कैबिनेट उप-समिति के साथ बातचीत के लिए आंदोलनकारियों की मोहलत की मांग को स्वीकार कर लिया था। अदालत ने मंगलवार सुबह ही आदेश दिया था कि प्रदर्शनकारी दोपहर तीन बजे तक आज़ाद मैदान को खाली करें नहीं तो कार्रवाई होगी।

पिछले हफ़्ते पुलिस द्वारा सभी प्रदर्शनकारियों को आंदोलन स्थल खाली करने का नोटिस जारी करने के बाद जरांगे पाटिल ने कहा था कि चाहे उनकी जान ही क्यों न चली जाए, वे आज़ाद मैदान नहीं छोड़ेंगे।

जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल

जरांगे पाटिल ने 29 अगस्त को मुंबई के आज़ाद मैदान में अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। इस आंदोलन में हजारों मराठा समर्थक शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों की वजह से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मरीन ड्राइव, डीएन रोड और पी डी'मेलो रोड जैसे क्षेत्रों में जाम लगा। प्रदर्शन के चौथे दिन 1 सितंबर को जरांगे ने पानी पीना भी बंद कर दिया था। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मराठा समुदाय के साथ धोखा कर रही है और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर बॉम्बे उच्च न्यायालय को गलत जानकारी देने का आरोप लगाया।

मराठा समुदाय महाराष्ट्र की आबादी का लगभग 33% हिस्सा है। यह लंबे समय से शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है। मनोज जरांगे पाटिल ने पिछले एक साल में इस मांग को लेकर छह भूख हड़तालें की हैं। उनकी मुख्य मांग यह थी कि मराठा समुदाय को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए। कुनबी स्टेटस मिलने से मराठों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण का लाभ मिलेगा। जरांगे ने दावा किया कि सरकार के पास 58 लाख रिकॉर्ड हैं, जो यह साबित करते हैं कि मराठा और कुनबी एक ही जाति हैं। 
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सरकार का आश्वासन

महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण मुद्दे को हल करने के लिए एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया, जिसके प्रमुख जल संसाधन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल हैं। समिति में शिवेंद्रसिंह भोसले, उदय सामंत, और माणिकराव कोकटे जैसे मंत्री शामिल हैं। 2 सितंबर को विखे पाटिल की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने जरांगे से मुलाकात की और एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया, जिसमें हैदराबाद गजट को लागू करने का वादा किया गया। 

सरकार के जीआर के आश्वासन के बाद प्रदर्शन ख़त्म होने की संभावना है, लेकिन जरांगे ने साफ़ कर दिया है कि वह कार्यान्वयन पर कड़ी नजर रखेंगे। यह देखना बाकी है कि क्या यह जीआर मराठा समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा कर पाएगा, या यह मुद्दा भविष्य में फिर से उठेगा।