मुंबई में महायुति सरकार ने आरएसएस से जुड़े संगठन विश्व हिन्दू परिषद को चार एकड़ का बेशकीमती प्लॉट दिया है। यह ज़मीन बीएमसी की है, जो मेडिकल एजुकेशन के लिए रिजर्व थी। अभी कांग्रेस के अलावा किसी अन्य दल ने विरोध नहीं किया है।
महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने सायन (Sion) में स्थित 7,658 वर्गमीटर के एक प्राइम लैंड को विश्व हिंदू परिषद (VHP) को 30 वर्षों की अवधि के लिए दे दिया है। इसका किराया हर साल 10 हजार 186 रुपये तय किया गया है। इस संबंध में आदेश देवेंद्र फडणवीस सरकार की मंज़ूरी के बाद पिछले गुरुवार को जारी किया गया।
यह ज़मीन, जो बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) की है। इस ज़मीन को मेडिकल एजुकेशन के लिए रिजर्व रखा गया था। वीएचपी प्रवक्त ने कहा कि कैंसर मरीजों के लिए मौजूद आवासीय सुविधा के विस्तार के लिए इस ज़मीन का इस्तेमाल किया जाएगा। यानी इस ज़मीन पर मकान बनेंगे। लेकिन वो कैंसर मरीजों के लिए होंगे। जबकि बीएमसी के कमिश्नर भूषण गगरानी ने आवंटन की पुष्टि करते हुए हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि वह शर्तों को पढ़े बिना और कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।
आमतौर मेडिकल एजुकेशन के लिए आरक्षित ज़मीनों को किसी अस्पताल या किसी मेडिकल शिक्षण संस्थान को दी जाती है। इस ज़मीन का लैंड यूज़ आवासीय भी नहीं है। वीएचपी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का एक संबद्ध संगठन है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में काम करता है। वार्षिक किराए के अलावा, वीएचपी को लीज़होल्ड प्लॉट को फ्रीहोल्ड में बदलने के लिए ₹9.72 करोड़ का भुगतान भी करना होगा।
वर्तमान में सायन में औसत बाज़ार दर ₹30,000 से ₹37,000 प्रति वर्ग फुट के बीच है। इस आधार पर, न्यूनतम दर को ध्यान में रखते हुए भूखंड का अनुमानित मूल्य लगभग ₹247 करोड़ बैठता है।
वीएचपी को यह भूखंड आवंटित करने के लिए बीएमसी ने मुंबई महानगरपालिका अधिनियम, 1888 की धारा 92(डीडी) का इस्तेमाल किया। जिसमें नगरपालिका कमिश्नर को विशेष परिस्थितियों में बाज़ार मूल्य से कम दर पर सार्वजनिक परियोजनाओं जैसे स्मारकों के लिए भूमि पट्टे पर देने का अधिकार है। 2017 के संशोधन के माध्यम से जोड़ी गई यह धारा आवश्यक स्थितियों में मानक भूमि-निपटान नियमों को हल्का कर देती है, ताकि नागरिक विकास और सार्वजनिक हित के कार्यों को प्राथमिकता दी जा सके।
शहरी विकास विभाग ने कुछ शर्तों का उल्लेख किया है। जिसमें कहा गया है कि “विकास नियंत्रण एवं प्रोत्साहन विनियम (DCPR), 2034 के तहत यह भूखंड विभिन्न उद्देश्यों के लिए आरक्षित है। इसे केवल मेडिकल और शैक्षणिक उपयोग के लिए ही अनुमति प्राप्त कर उपयोग में लाया जा सकता है, और यह सुनिश्चित करना होगा कि उपयोग आरक्षण की शर्तों का पालन करता हो। अनुपालन सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी बीएमसी आयुक्त की होगी।”
वीएचपी के प्रवक्ता श्रीराज नायर ने कहा कि संगठन सायन में पहले से मौजूद उस सुविधा का विस्तार करना चाहता है जहाँ इलाज के लिए मुंबई आने वाले कैंसर रोगियों को ठहराया जाता है। नायर के अनुसार, “हम कई वर्षों से सायन में शिव कल्याण केंद्र चला रहे हैं। यह मुख्य रूप से कैंसर मरीजों को ठहराने का केंद्र है, लेकिन यहाँ सिलाई, कंप्यूटर और कराटे की कक्षाएँ भी संचालित की जाती हैं और एक गौशाला भी है।”
इस आवंटन पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता वर्षा गायकवाड़ ने इसे बीएमसी चुनाव से पहले बीजेपी से जुड़ी संस्थाओं को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वीएचपी का स्वास्थ्य या अस्पताल संचालन में कोई अनुभव नहीं है और यह करोड़ों की जमीन एक गिफ्ट है। इतनी सस्ती दर पर मुंबई में ज़मीन कहां मिलती है। वर्षा ने महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी के फैसले को न सिर्फ अवैध बल्कि अनैतिक भी बताया है।
सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया, खासकर एक्स पर इस मुद्दे को लेकर ज्यादातर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं हैं। लोग इसे सरकारी जमीन के दुरुपयोग, बीजेपी-वीएचपी के बीच साठगांठ और सस्ते दाम पर "गिफ्ट" के रूप में देख रहे हैं। आलोचना के मुख्य प्वाइंट्स में लोगों ने इस सार्वजनिक जमीन पर स्कूल/अस्पताल खोलने की जगह धार्मिक संगठन को सौंपने पर आपत्ति की है। किराया (मासिक 848 रुपये) बेहद कम और बीएमसी चुनाव से पहले ऐसा करने पर भी लोग सवाल कर रहे हैं। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे "महा-जमीन चोरी गठबंधन" कहा, और वर्षा गायकवाड़ के बयान को शेयर किया।
एक पोस्ट में लिखा गया है: "बीजेपी सरकार ने सायन में 2 एकड़ प्लॉट वीएचपी को 10 लाख में दे दिया, जो स्कूल/हॉस्पिटल के लिए था। अगर बीजेपी बीएमसी जीत गई तो मुंबई का क्या होगा?" बीजेपी-वीएचपी रिश्ते पर तंज करते हुए कुछ पोस्ट में लिखा गया है- "थाई स्पा मिलेगा।" कुछ ने आरएसएस की हिप्पोक्रेसी पर भी सवाल उठाए: "बीजेपी ने दिल्ली में 250 साल पुराना हिंदू मंदिर तोड़ दिया 'अतिक्रमण' के नाम पर, लेकिन वीएचपी को करोड़ों की जमीन सस्ते में?" बहुत कम हिंदुत्व समर्थक इसे "शिक्षा-चिकित्सा के लिए अच्छा कदम" बता रहे हैं।