अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में पनवेल से डुप्लिकेट मतदाताओं का मामला सामने आया है। डुप्लिकेट मतदाताओं की इस कहानी का खुलासा किया है अंग्रेजी पत्रिका फ्रंटलाइन ने। कहानी शुरू होती है 2024 के लोकसभा चुनाव से। इस चुनाव के नतीजे महाविकास आघाड़ी के नेता बलराम पाटील के लिए बहुत चौंकाने वाले रहे। उनको लगा कि कहीं ना कहीं वोटर लिस्ट में कुछ गड़बड़ है। चूंकि विधानसभा चुनाव कुछ ही महीनों में होने वाले थे इसलिए बलराम पाटील ने सोचा कि क्यों ना वो इस लोकसभा सीट में आने वाले विधानसभा क्षेत्रों की वोटर लिस्ट को जांच लें। जब पाटील ने जांच की तो उन्हें चार विधानसभा सीट पर 85 हजार से ज्यादा डुप्लीकेट वोटर मिले। उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी।
फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र की जिस सीट को लेकर बवाल मचा हुआ है वो है मुंबई का मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र का हिस्सा पनवेल। पनवेल लोकसभा सीट पर 85211 डुप्लीकेट वोटर मिले हैं।
पनवेल विधानसभा मतदाता सूची 2024 में डुप्लीकेट वोटरों का आरोप
पाटील ने कहाँ-कहाँ शिकायत की?
इस पूरे मामले की शिकायत लेकर बलराम पाटील रिटर्निंग अफसर के पास पहुंच गए। लेकिन पाटील को कोई जवाब नहीं मिला। फिर 26 सितंबर 2024 को बलराम पाटील बॉम्बे हाईकोर्ट पहुँचे। कोर्ट ने रिटर्निंग अफसर से कहा— ‘दो हफ्ते में कार्रवाई करें।’
पनवेल अकेला मामला नहीं है। बल्कि इसी बीच जलगांव के मुक्तईनगर से भी ऐसी ही शिकायत सामने आई — इस बार शिकायतकर्ता थे शिवसेना (शिंदे) के चंद्रकांत पाटील।
लेकिन मुंबई हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने चंद्रकांत पाटील की शिकायत खारिज कर दी। याचिका को खारिज करने के लिए कोर्ट ने तर्क दिया कि— चुनाव की घोषणा हो चुकी है, इसलिए अब वोटर लिस्ट में बदलाव संभव नहीं है। 18 अक्टूबर 2024 को ठीक यही तर्क बलराम पाटील को भी दिया गया। और पाटील की याचिका को भी खारिज कर दिया गया।
यानी चुनाव उसी वोटर लिस्ट के आधार पर हुआ, जिसमें हजारों डुप्लीकेट नाम मौजूद होने की शिकायत की गई थी। चुनाव शुरू हो गया और पाटील प्रचार में जुट गए। वोटिंग 20 नवंबर को हुई। 23 नवंबर को जब परिणाम आए, तो पाटील हार मानने को तैयार नहीं थे।
चुनाव खत्म होने के बाद बलराम पाटील ने जाँच शुरू की। पनवेल के कुल 574 बूथ में से उन्होंने 490 बूथों के आँकड़े जुटा लिए हैं। और सबूत क्या मिला? एक ही व्यक्ति प्रदीप पोराजी ने दो अलग-अलग बूथों पर वोट डाला। एक EPIC नंबर — बूथ नं 4 पर और दूसरा EPIC — बूथ नं 310 पर।
और ऐसे सिर्फ प्रदीप ही नहीं हैं। फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक 18 साल की प्राची डोंगरे का नाम बूथ नं 1 और बूथ नं 2 की लिस्ट में था। वहीं 21 साल के हरीश्चंद्र भाले का नाम तो बूथ नं 3 की लिस्ट में ही दो बार अलग अलग EPIC नं के साथ लिखा गया था। 27 साल की नेहा कुलकर्णी भी दो-दो EPIC नंबर के साथ बूथ नं 4 और बूथ नं 2 की लिस्ट में शामिल की गई थीं।
ये वो आंकड़े हैं जो बलराम पाटील ने जुटाए हैं। अब बीजेपी का कहना है कि अगर पाटील के पास इतने ही पक्के सबूत हैं तो वो चुनाव आयोग के पास क्यों नहीं चले जाते। लेकिन पाटिल का कहना है कि जब मैंने चुनाव आयोग से आंकड़े मांगे तो, “जो मशीनें VVPAT गिनती के लिए दी गई थीं, उनमें असेंबली चुनाव का कोई असली डेटा नहीं था। मुझे खाली मशीनें दी गईं ताकि पता चले कि VVPAT काम कर रही है या नहीं। इसका क्या फायदा?”