पूर्व केंद्रीय मंत्री व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता प्रफुल पटेल को ईडी ने समन किया है। पटेल पर दाऊद के क़रीबी रहे ड्रग तस्कर इक़बाल मेनन उर्फ़ इकबाल मिर्ची से मुंबई की एक संपत्ति ख़रीदने का आरोप है।
इकबाल मिर्ची की संपत्ति ख़रीदी?
पटेल पर दाऊद के क़रीबी रहे ड्रग तस्कर इक़बाल मेनन उर्फ़ इकबाल मिर्ची की मुंबई की एक संपत्ति ख़रीदने का आरोप है। जो जानकारियां अब तक मिली हैं उनके अनुसार यह आरोप हारून यूसुफ़ और रंजीत बिंद्रा नामक दो लोगों की गिरफ्तारी और उनसे हुई पूछताछ के बाद लगने शुरू हुए हैं। बताया जाता है कि हारून यूसुफ़ इक़बाल मेनन के सारे फ़र्ज़ी लेनदेन और सम्पत्तियों की अवैध बिक्री में मदद करता था। जबकि रंजीत बिंद्रा नामक व्यक्ति ने मिर्ची और सबलिंक रियल्टर्स के बीच दलाल की भूमिका निभाई थी। इन दोनों को ही शुक्रवार को गिरफ़्तार किया गया। ईडी इस मामले में पिछले दो सप्ताह से सक्रिय रही है। इस संबंध में 18 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और ईमेल से हुई कई बातचीत पुलिस के हाथ लगी हैं।
मामले में मुंबई और बेंगलुरू में 11 ठिकानों पर पुलिस की रेड भी हुई। इस रेड में एक दस्तावेज़ वह भी है, जिसके मुताबिक़ पटेल फ़ैमिली की कंपनी को ट्रांसफ़र हुआ प्लॉट पहले इक़बाल मेमन की पत्नी हजरा मेमन के नाम पर था। इस प्लॉट के री-डेवलपमेंट (पुनर्विकास) को लेकर दोनों पक्षों के बीच हुए एग्रीमेंट के दस्तावेज़ भी पाए गए हैं।
इक़बाल मिर्ची की हैं कई संपत्तियां
इक़बाल मेनन उर्फ़ मिर्ची दाऊद का बहुत क़रीबी माना जाता था और 1995 में हुए मुंबई बम धमाकों के बाद वह देश छोड़कर भाग गया था। बताया जाता है कि बाद में उसने नशे का कारोबार दुबई में शुरू किया और वहीं से इसे संचालित करता था।
इक़बाल ने बनाई अकूत संपत्ति
इक़बाल की अगस्त 2013 में मृत्यु हो गई थी। उसने अवैध तरीक़े से कमाए गए रुपयों का इस्तेमाल करते हुए भारत से लेकर विदेशों तक में अकूत संपत्ति जमा की थी। उसकी कई सम्पत्तियों को जब्त भी किया गया था लेकिन उसने फ़ेक डॉक्यूमेंट्स और जालसाजी का ऐसा व्यूह रचा था कि भारतीय एजेंसियाँ लाचार हो गईं और उसकी सम्पत्तियों को छोड़ना पड़ा। अब उसकी सम्पत्तियों को लेकर एक बार फिर से कार्रवाई तेज़ हो गई है।
एनसीपी ने कहा है कि ख़बरों में जिन लोगों को घसीटा जा रहा है, सीजे हाउस उनके स्वामित्व में नहीं है। पार्टी की तरफ़ से कहा गया है कि अदालत के आदेश के अनुसार, पुरानी इमारत में रह रहे लोगों को किरायेदार हक नियम के तहत जगह प्रदान की गयी है। किरायेदार हक नियम के तहत इकबाल मिर्ची ने 1985 में यह जगह ख़रीदी थी इसलिए जो दस्तावेज़ बने उसमें पटेल परिवार के सदस्यों के नाम भी आये हैं।