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शरद पवार पर मोदी के बार-बार वार के क्या हैं राज?

इस बार महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार में नरेन्द्र मोदी के निशाने पर बार-बार शरद पवार ही हैं। महाराष्ट्र में होने वाली अपनी हर सभा की तरह इस बार भी मोदी ने पवार पर हल्ला बोला और कहा कि वे भगवा समंदर देख माढा से चुनाव छोड़ भाग लिए। मोदी ने कहा था कि शरद पवार के घर में कलह शुरू है वे अपने पोते से परेशान हैं। वैसे तो शरद पवार राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ देने में जल्दीबाज़ी नहीं करते लेकिन आज उन्होंने इसका तुरंत ट्विटर से जवाब दिया।

शरद पवार ने कहा कि घर कैसे चलाया जाता है इस बारे में नरेन्द्र मोदी को क्या पता? उन्होंने कहा कि मोदी को दूसरों के घरों में क्या चल रहा है इसे देखने की क्या ज़रूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरे घर में मेरी पत्नी, बेटी, दामाद, नाती आदि रहते हैं लेकिन उनके साथ ऐसा कोई भी नहीं रहता।
लेकिन पवार के इस जवाब पर मोदी शांत नहीं रहे। अकलूज में होने वाली अपनी एक अन्य सभा में उन्होंने फिर पवार पर निशाना साधा और कहा कि पवार ने मेरे परिवार पर टीका-टिप्पणी की। पवार पर मोदी का वार कब तक जारी रहेगा, यह तो आगे चलने वाला चुनाव प्रचार बताएगा, लेकिन इस बार मोदी बार-बार पवार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।
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जब से लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान शुरू हुआ है हर तीसरे दिन महाराष्ट्र में नरेन्द्र मोदी की चुनावी सभा हो रही है। इसके पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि बीजेपी ने प्रदेश में 2014 चुनावों में जो प्रदर्शन किया था वह या उसके आसपास ही वह इस चुनाव में भी बनी रहे। 18 अप्रैल को दूसरे चरण में प्रदेश की 10 ऐसी लोकसभा सीटों पर चुनाव हैं जो सूखा प्रभावित क्षेत्र मराठवाड़ा और विदर्भ में पड़ती हैं। 

किसानों की आत्महत्याओं की सबसे ज़्यादा घटनाएँ मराठवाड़ा क्षेत्र में होती हैं, इसलिए यह माना जा रहा है कि राज्य और केंद्र की बीजेपी सरकार को चुनावों में किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।

बुधवार को नरेन्द्र मोदी ने माढा लोकसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित किया, लेकिन किसानों से ज़्यादा वे शरद पवार और राहुल गाँधी को ही निशाने पर लेते रहे। उन्होंने कहा कि शरद पवार भगवा लहर देखकर यहाँ से भाग लिए, राहुल गाँधी मुझे गाली देते हैं। मोदी ने पिछड़ी जाति के होने की बात पर फिर से जनता की सहानुभूति बटोरने का प्रयास किया, लेकिन किसानों की समस्या के बारे में सिर्फ़ यही कहा कि उनकी सरकार आयेगी तो प्रधानमंत्री किसान योजना का दायरा बढ़ाएँगे।

क़रीबी ने खोला मोदी की प्लानिंग का राज!

मोदी बार-बार महाराष्ट्र क्यों आ रहे हैं और शरद पवार को ही निशाना क्यों बना रहे हैं, यह सवाल अब चर्चा का विषय बन गया है। मोदी ने इससे पहले पवार को कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला वाले दो प्रधानमंत्री के बयान पर निशाना बनाया था। उन्होंने एक सभा में कहा था कि पवार को नींद कैसे आती है? मोदी के शरद पवार पर हो रहे हमलों के सन्दर्भ में महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री चंद्रकांत पाटिल द्वारा कोल्हापुर की एक प्रचार सभा में सुनाये गए किस्से को भी जोड़ा जा रहा है।

उस सभा में चंद्रकांत पाटिल बताते हैं कि वे और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस दिल्ली में प्रधानमंत्री से बैठक कर रात दो बजे के क़रीब मुंबई के लिए निकल रहे थे तो मोदी ने पीछे से उन्हें आवाज़ देकर बुलाया था। पाटिल कहते हैं कि उन्होंने गुजरात में मोदी के साथ क़रीब 15 साल संगठन का काम किया है इसलिए उनके रिश्ते बहुत सहज हैं।

उन्होंने बताया कि मोदी ने उस रात देवेन्द्र फडनवीस और उन्हें कहा कि बिटिया (शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले) इस बार चुनाव नहीं जीतनी चाहिए? चंद्रकांत पाटिल की इस बात में सच्चाई भी नज़र आती है क्योंकि मुख्यमंत्री फडनवीस ने अनेकों बार अपनी सभाओं में यह बात कही है कि इस बार उनकी पार्टी बारामती भी जीतेगी।

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पवार ने बताया, क्या है हमले की वजह 

मोदी द्वारा बार-बार निशाने पर लिए जाने पर पहले पवार भी यह कहते थे कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि ऐसा वे क्यों कर रहे हैं। लेकिन अभी हाल में उन्होंने इस बात का ख़ुलासा एक टीवी साक्षात्कार में किया। पवार ने बताया कि बीजेपी के कुछ नेताओं से उन्हें पता चला है कि मोदी उनसे इसलिए नाराज़ हैं कि महागठबंधन के नेताओं की बैठकें उनके आवास पर होती हैं। पवार कहते हैं कि बिखरे हुए महागठबंधन के नेताओं को एक साथ लाकर वार्ताओं का दौर शुरू होने को मोदी भविष्य के ख़तरे के रूप में देख रहे हैं। पवार कहते हैं कि चुनाव परिणामों के बाद महागठबंधन एक साथ आ जाएगा क्योंकि तब किसी पार्टी में सीटों के बँटवारे जैसी कोई खींचतान नहीं रहेगी। पवार के अनुसार, महाराष्ट्र में मोदी को अपनी लहर के ख़त्म होने का एहसास भी हो गया है इसलिए वे मुद्दों से भटक कर इधर-उधर की बात ज़्यादा कर रहे हैं।

बीजेपी-शिवसेना गठबंधन कितना मज़बूत?

वैसे, दूसरे चरण की जिन सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान होने वाले हैं उनमें से नांदेड से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण तथा युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजीव सातव ने हिंगोली सीट से 2014 में भी जीत हासिल की थी। बाक़ी सभी सीटों पर बीजेपी-शिवसेना के प्रत्याशी चुनाव जीते थे। कांग्रेस इस बार भी इन दोनों सीटों पर मज़बूत दिखाई देती है। हिंगोली से राजीव सातव की बजाय कांग्रेस ने पिछली बार के शिवसेना प्रत्याशी सुभाष वानखेड़े को ही टिकट दिया है। वानखेड़े पिछली बार मात्र 1632 वोटों से हारे थे। इसके अलावा बुलढाना, उस्मानाबाद, लातूर में भी कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस मज़बूती से लड़ रही है। 

मराठवाड़ा में इस बार शिवसेना-बीजेपी के लिए बाग़ी सिरदर्द बने हुए हैं। प्रथम चरण में जिस तरह विदर्भ की 7 सीटों पर हुए मतदान में स्थिति फ़िफ़्टी-फ़िफ़्टी रही वैसे ही मराठवाड़ा में भी इस बार शिवसेना-बीजेपी को साल 2014 वाली सफलता नहीं दिखाई देती है। ऐसे में मोदी का बार-बार महाराष्ट्र आना यह दर्शाता है कि वे यहाँ पर होने वाले नुक़सान को कम से कम कर सकें। क्योंकि साल 2014 के चुनावों में बीजेपी का उत्तर प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी अच्छा प्रदर्शन था। यहाँ से शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को 48 में से 42 सीटें जीतने में सफलता मिली थी।

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संजय राय
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