दिशोम गुरु शिबू सोरेन चले गए। 10 बार सांसद, 3 बार मुख्यमंत्री, और उससे भी बढ़कर- वो शख्स जिसने तीर-कमान से नहीं, बल्कि संघर्ष और अपनी सियासी चालों से बिहार के आदिवासियों को उनका हक दिलाया। अलग झारखंड का सपना उठाने वाले कई थे, पर उसे सच करने वाला सिर्फ एक नाम था- दिशोम गुरु। लोग कहते हैं, “गुरुजी सिर्फ नेता नहीं थे, आंदोलन की आत्मा थे।” उनके समर्थकों के लिए वे एक विचार थे, एक प्रतिरोध की पहचान।