loader

हिंदी के प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल का निधन

हिंदी के प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल का बुधवार को निधन हो गया। वह 72 साल के थे। उन्होंने दिल्ली के एम्स में आख़िरी साँसें लीं। कुछ हफ़्ते पहले ही वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। लेकिन हाल के दिनों में उनकी तबीयत लगातार ख़राब होती गई और शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। 

डबराल को 2000 में उनकी कविता संग्रह 'हम जो देखते हैं' के लिए साहित्य अकादमी सम्मान से नवाजा गया था। वह दुनिया भर में हिंदी में सबसे अधिक पहचानी जाने वाली शख़्सियतों में से एक थे। डबराल की कविता का सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी, रूसी, जर्मन, डच, स्पेनिश, पुर्तगाली, इतालवी और फ्रेंच सहित कई विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया है। 

ख़ास ख़बरें

उन्होंने 'पहाड़ पर लालटेन', 'घर का रास्ता', 'हम जो देखते हैं', अवाज भी एक जगह है' और 'नए युग में शत्रु' पाँच काव्य संग्रह प्रकाशित किए।

उत्तराखंड के एक गाँव में जन्मे डबराल हिंदी के दैनिक अख़बार जनसत्ता सहित कई प्रतिष्ठित अख़बारों से जुड़े रहे थे। वह समसामयिक विषयों पर नियमित रूप से डिजिटल मीडिया के लिए भी लिखते रहे थे। वह सत्य हिंदी के लिए भी नियमित रूप से लेख लिखते रहे थे। वह नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े रहे थे।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलेश डबराल के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने मंगलेश डबराल के निधन को हिंदी साहित्य को एक बड़ी क्षति बताते हुए दिवंगत आत्मा की शांति व शोक संतप्त परिवार जनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
मंगलेश डबराल के निधन पर वरिष्ठ पत्रकारों सहित अन्ल लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। टीवी में नामचीन चेहरा रहे पुण्य प्रसून बाजपेयी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। 
बता दें कि मंगलेश डबराल नवंबर के आख़िरी हफ़्ते से ही बीमार चल रहे थे। पहले उनका गाजियाबाद के एक अस्पताल में इलाज कराया जा रहा था, लेकिन दिक्कत बढ़ने पर उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। हालाँकि बीच में उनकी तबीयत में कुछ सुधार हुआ था, लेकिन रविवार आते-आते उनकी तबीयत फिर से काफ़ी ज़्यादा बिगड़ गई। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। बुधवार शाम को डायलिसिस के लिए ले जाया जा रहा था कि तभी उनको दिल का दौरा पड़ा।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

श्रद्धांजलि से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें