ओडिशा में भुवनेश्वर नगर निगम यानी बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त रत्नाकर साहू पर हुए हमले के मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता जगन्नाथ प्रधान को गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी ओडिशा प्रशासनिक सेवा और ओडिशा राजस्व सेवा यानी ओआरएस अधिकारियों के व्यापक विरोध और तीन दिन की सामूहिक छुट्टी के बाद हुई, जिसने राज्य के प्रशासनिक कार्यों को ठप कर दिया था।

यह घटना 30 जून को बीएमसी मुख्यालय में एक शिकायत पर सुनवाई के दौरान हुई। ओएएस के वरिष्ठ अधिकारी और बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त रत्नाकर साहू पर एक समूह ने हमला किया। पुलिस और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने साहू को उनके कार्यालय से घसीटा, लात-घूंसे मारे और अपमानित किया। हमलावरों ने कथित तौर पर साहू से जगन्नाथ प्रधान के साथ कथित दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगने की मांग की। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसने नौकरशाहों और विपक्षी दलों में आक्रोश को और भड़का दिया।
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पुलिस ने खारवेलनगर थाने में एफ़आईआर दर्ज की जिसमें जगन्नाथ प्रधान को मुख्य साज़िशकर्ता के रूप में नामित किया गया। हमले में शामिल पाँच अन्य बीजेपी कार्यकर्ताओं को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ़्तार लोगों में एक नगरसेवक जीवान राउत शामिल हैं।

नौकरशाहों का विरोध और हड़ताल

राज्य के 2300 से अधिक प्रशासनिक अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ओएएस एसोसिएशन ने इस हमले को प्रशासनिक मशीनरी और कानून के शासन पर हमला करार देते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एसोसिएशन के अध्यक्ष ज्योति रंजन मिश्रा ने कहा, 'यह केवल एक अधिकारी पर हमला नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रशासनिक तंत्र और क़ानून के शासन पर हमला है। हमारे पास विश्वसनीय जानकारी है कि जगन्नाथ प्रधान ने इस जघन्य कृत्य की साज़िश रची थी।'

पुरी में चल रही रथ यात्रा और उत्तरी जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति के बावजूद 1 जुलाई से शुरू हुई ओएएस और ओआरएस अधिकारियों की सामूहिक छुट्टी ने 20 से अधिक जिलों में सरकारी कामकाज को प्रभावित किया।

इस हड़ताल ने ब्लॉक, तहसील और जिला स्तर पर सार्वजनिक सेवाओं को बाधित कर दिया, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ गया। ओएएस एसोसिएशन ने तीन मांगें रखी थीं- जगन्नाथ प्रधान की तत्काल गिरफ्तारी, हमले की सार्वजनिक निंदा और सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस उपाय।

भारी दबाव के बीच गुरुवार को प्रधान ने भुवनेश्वर में डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस जगमोहन मीणा के कार्यालय में आत्मसमर्पण किया। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई। गिरफ्तारी के बाद उन्हें मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया और फिर एसडीजेएम कोर्ट में पेश किया गया, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। 

प्रधान की गिरफ्तारी के बाद ओएएस एसोसिएशन ने अपनी हड़ताल वापस ले ली और अधिकारियों ने शुक्रवार से काम पर लौटने की घोषणा की। मिश्रा ने कहा, 'सरकार ने अपना वादा निभाया और मुख्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया। हमारी हड़ताल अब ख़त्म हो गई है।'
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भाजपा की प्रतिक्रिया और राजनीतिक विवाद

इस घटना ने ओडिशा में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के लिए एक बड़ा संकट पैदा कर दिया। शुरू में भाजपा नेतृत्व ने आरोपों को विपक्ष द्वारा प्रायोजित बताकर खारिज करने की कोशिश की। हालांकि, बढ़ते दबाव और वायरल वीडियो के बाद ओडिशा भाजपा अध्यक्ष मनमोहन सामल ने पांच पार्टी नेताओं- नगरसेवक अपरूप नारायण राउत, रश्मि रंजन मोहपात्रा, देबाशीष प्रधान, सचीकांत स्वैन, और संजीव मिश्रा—को हमले में कथित संलिप्तता के लिए निलंबित कर दिया। फिर भी, जगन्नाथ प्रधान के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई नहीं की गई। वह एक प्रमुख नेता हैं और 2024 के भुवनेश्वर सेंट्रल विधानसभा चुनाव में 37 वोटों से हार गए थे।

रिपोर्टों के अनुसार प्रधान ने अपनी संलिप्तता से इनकार करते हुए कहा, 'मेरा बीएमसी अतिरिक्त आयुक्त पर हमले से कोई संबंध नहीं है। मैं जांच में पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हूं।' उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में इस घटना को दुखद और निंदनीय बताया और कानूनी प्रक्रिया में सहयोग का वादा किया। हालाँकि, ओएएस एसोसिएशन और विपक्षी बीजू जनता दल ने उनकी गिरफ्तारी की मांग को तेज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी गिरफ्तारी हुई।
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विपक्षी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने हमले की निंदा करते हुए कहा, 'एक वरिष्ठ अधिकारी को उनके कार्यालय से घसीटकर पीटा गया और एक पराजित बीजेपी उम्मीदवार से जुड़े लोगों ने उन्हें अपमानित किया। यह क़ानून-व्यवस्था की विफलता को दिखाता है।' बीजेडी ने इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से भुनाने की कोशिश की, जबकि बीजेपी ने इसे राजनीति से प्रेरित करार दिया।

ओएएस एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहती है, तो भविष्य में और अधिक विरोध हो सकते हैं। इस बीच, पुरी में रथ यात्रा और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सार्वजनिक सेवाओं की ज़रूरत को देखते हुए बीजेपी सरकार ने अधिकारियों से काम पर लौटने की अपील की। लेकिन अधिकारी कार्रवाई के बाद ही माने।