यूपी में पिछले चार-पाँच माह में क़रीब पाँच दर्जन ब्राह्मणों की हत्या हो चुकी है। सरकार की ‘ठोको नीति’ के चलते भी कई ब्राह्मण नौजवानों के एनकाउंटर कर दिए गए। दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के निपट ‘फ़र्ज़ी’ एनकाउंटर से भी ब्राह्मणों में नाराज़गी है। हालाँकि कुछेक अपवाद छोड़ दिए जाएँ तो आतंकी विकास दुबे से किसी को कोई सहानुभूति नहीं है। लेकिन क़ानून और न्याय व्यवस्था को दरकिनार कर जिस तरह विकास दुबे और उसके साथियों की फ़र्ज़ी मुठभेड़ में हत्या की गई है, उससे निश्चित तौर पर ब्राह्मणों में तथा क़ानून और न्याय व्यवस्था में भरोसा करने वालों में नाराज़गी है। जाहिर है कि इस नाराज़गी का असर यूपी की राजनीति और राजनीतिक दलों पर पड़ना स्वाभाविक है।