पूरी दुनिया बेसब्री से इंतज़ार कर रही है कि कब कोरोना वायरस का आतंक ख़त्म हो और लोग सामान्य ज़िंदगी में वापस लौट सकें। हर किसी को लग रहा है कि जल्दी ही कोरोना की दवाई आ जाएगी या टीके का ईजाद हो जाएगा और वे बेख़ौफ़ हो जाएंगे। उन्हें लॉकडाउन से मुक्ति मिल जाएगी, वे जहाँ चाहे जा सकेंगे, जो चाहे कर सकेंगे, जिससे चाहे मिल सकेंगे। मगर यदि आपको ये कहा जाए कि कोरोना वायरस कभी जाएगा ही नहीं, हमें उसके साथ ही जीना होगा तो आप पर क्या गुज़रेगी। निश्चय ही आप निराशा में डूब जाएंगे।
कोरोना से लड़ने के साथ ही उसके साथ जीना भी सीखना होगा
- विचार
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- 15 May, 2020

डब्ल्यूएचओ ने आशंका व्यक्त की है कि हो सकता है कि कोरोना कभी जाए ही न। इससे निश्चित रूप से लोगों का इस वायरस के प्रति डर और बढ़ जाएगा।
दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने आशंका व्यक्त की है कि हो सकता है कि कोरोना कभी जाए ही न। यानी अगर हम सोच रहे हैं कि ये कोई मौसमी वायरल है और कुछ समय बाद अपने आप चला जाएगा तो हम ग़लत सोच रहे हैं।