भारत में फैले कोरोना की प्रतिध्वनि सारी दुनिया में सुनाई पड़ रही है। अमेरिका से लेकर सिंगापुर तक के देश चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं। जो अमेरिका कल-परसों तक भारत को वैक्सीन या उसका कच्चा माल देने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था, आज उसका रवैया थोड़ा नरम पड़ा है।
कोरोना की कूटनीति या भारत की मदद?
- विचार
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- 26 Apr, 2021

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान, आसिफ़ ज़रदारी और मियां नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम के संदेश पढ़कर ऐसा लगा कि चाहे भारत और पाक एक-दूसरे से युद्ध लड़ते रहते हैं, लेकिन ये दोनों देश मूलतः हैं तो एक ही बड़े परिवार के सदस्य।
अमेरिका के कई सीनेटरों और चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने जो बाइडन प्रशासन से खुले-आम अनुरोध किया है कि वह भारत को तुरंत सहायता पहुँचाए।
इस समय अमेरिका के पास 30 करोड़ टीके तैयार पड़े हुए हैं, लेकिन वह ट्रंप के घिसे-पिटे नारे ‘अमेरिका पहले’ से चिपका पड़ा है। वह भूल गया कि जब कोरोना की मार शुरू हुई थी तो भारत ने ट्रंप के अनुरोध पर कुछ तात्कालिक दवाइयाँ तुरंत भिजवाई थीं।