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चीनी माल का बहिष्कार करें या न करें?

भारत-चीन सीमा विवाद के बीच देश में यह मांग जोर-शोर से उठ रही है कि हम लोग चीनी माल का बहिष्कार कर दें और भारत सरकार उसके साथ व्यापारबंदी का फ़ैसला ले। लेकिन हमारे लाखों व्यापारी और कर्मचारी दुतरफा व्यापारबंदी के कारण बेरोज़गार हो जाएंगे। पहले ही कोरोना ने करोड़ों लोगों को घर बिठा दिया है। ऐसे में इस विभीषिका को हम अचानक क्यों तूल देना चाहते हैं? 
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

इस सवाल का दो-टूक जवाब देना आसान नहीं है कि हम लोग चीनी माल का बहिष्कार करें या न करें। जब से लद्दाख में भारतीय और चीनी सेनाएं एक-दूसरे के आमने-सामने आ खड़ी हुईं हैं, देश के कई संगठन, कई नेता, कई बाबा और कई लाला लोग मांग कर रहे हैं कि भारत सरकार चीन का हुक्का-पानी बंद कर दे। उनकी नाराज़गी जायज है, क्योंकि नरेंद्र मोदी की सरकार ने चीनी नेताओं के साथ काफी अच्छे संबंध बना रखे हैं। 

इतना ही नहीं, कोरोना वायरस के मामले में दुनिया के लगभग सवा सौ देश चीन की तरफ उंगली उठा रहे हैं। ऐसे में भारत बिल्कुल मौनी बाबा बना हुआ है। 

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हम चीन से लगभग 5-6 लाख करोड़ रुपये का व्यापार भी कर रहे हैं, जिसमें उसी का पलड़ा भारी भी है। इसके बावजूद चीन ने लद्दाख में भारत की सीमा में घुसकर अपने ट्रक, टैंक और जहाज अड़ा दिए हैं। वह बातचीत से विवाद हल करने का बहाना बना रहा है लेकिन बात आगे बढ़ ही नहीं रही है। ऐसे में यदि भारत के कुछ लोग चीन को आर्थिक सबक सिखाना चाहते हैं तो यह स्वाभाविक है। 

लेकिन यदि भारत सरकार हमारे इन गुस्साए हुए लोगों के इशारे पर व्यापारबंदी घोषित कर दे तो क्या यह ठीक होगा? मैं समझता हूं कि यह ठीक नहीं होगा। 

लाखों व्यापारी हो जाएंगे बेरोज़गार

सरकार यदि चीन के साथ व्यापारबंदी घोषित कर दे तो यह ठीक है कि चीन का लगभग 74 बिलियन डाॅलर का माल भारत आना बंद हो जाएगा लेकिन हमारा भी लगभग 18 बिलियन डाॅलर का माल वह क्यों खरीदेगा? इसके अलावा हमारे लाखों व्यापारी और कर्मचारी दुतरफा व्यापारबंदी के कारण बेरोज़गार हो जाएंगे। पहले ही कोरोना ने करोड़ों लोगों को घर बिठा दिया है। ऐसे में इस विभीषिका को हम अचानक क्यों तूल देना चाहते हैं? 

इसके अलावा चीन की कई कंपनियां भारत में कार्यरत हैं। भारत की कई कंपनियों में चीन ने पैसा भी लगा रखा है। यदि सरकार व्यापारबंदी करेगी तो अचानक बहुत मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी लेकिन चीन को खुले-आम भारतीय बाजारों पर कब्जा करने देना बिल्कुल भी उचित नहीं है लेकिन यह काम बड़ी तरकीब से और धीरे-धीरे किया जाना चाहिए। 

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चीनी माल को नहीं खरीदने का अभियान-गैर सरकारी संगठनों और राजनीतिक दलों को चलाना चाहिए। हम जो 60-70 बिलियन डाॅलर का माल चीन से खरीदते हैं, उसमें 10 बिलियन डाॅलर के माल की खरीद शायद टाली नहीं जा सकती, लेकिन कपड़े, खिलौने, जूते, मोबाइल फोन, एयरकंडीशनर्स, रेफ्रिजेटर्स, मूर्तियां आदि तो हम खुद ही बना सकते हैं। 

चीन के कई एप और वेबसाइटों के बहिष्कार की बात भी सोची जा सकती है। यदि हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो चीन से क्या, हर देश से माल खरीदने में हमें काफी संकोच और सावधानी से काम लेना चाहिए। 

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डॉ. वेद प्रताप वैदिक
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