जम्मू-कश्मीर सरकार ने 25 किताबों को प्रतिबंधित कर दिया। उसे लगता है कि ये किताबें अलगाववाद को बढ़ावा देती हैं। इन 25 किताबों में मैंने अरुंधती रॉय की ‘आज़ादी’ आधी पढ़ी है। इसके अलावा कोई और किताब नहीं पढ़ी है। बेशक, सूची में जिन लेखकों की किताबें हैं, उनमें से एक क्रिस्टोफ़र स्नेडेन की किताब ‘अंडरस्टैंडिंग कश्मीर ऐंड कश्मीरीज़’ काफी पहले ख़रीदी और पढ़ी थी और उसे अब भी संभाल कर रखा हुआ है। लेकिन सच यह है कि कश्मीर पर केंद्रित बहुत सारी किताबें पढ़ना तो दूर, उनके होने का पता भी नहीं था। तो इस लिहाज से अच्छा हुआ कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने कम से कम 25 ऐसी किताबें बता दीं जो उसे डराती हैं और इस वजह से भी उन्हें पढ़ा जाना चाहिए। कह सकते हैं- यह पाबंदी किताबों के नए सिरे से पढ़े जाने का रास्ता खोलती है।
जम्मू कश्मीर: पाबंदी यानी पढ़ने लायक 25 किताबों की सूची
- विचार
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- 7 Aug, 2025

जम्मू-कश्मीर सरकार ने 25 किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया है। आखिर इन किताबों में ऐसा क्या है? जानें पूरी सूची और सरकार की पाबंदी के पीछे की वजहें।
दरअसल, यह सारी पाबंदियों के साथ होता है। वे आत्महंता होती हैं- अपने ही हथियार से मार दी जाती हैं। सलमान रुश्दी की ‘सैटेनिक वर्सेज़’ पर पाबंदी लगी तो वे दुनिया भर में आम लोगों के बीच जाने जाने लगे। वह दौर इंटरनेट पर किताबों के पीडीएफ डाले जाने और सोशल मीडिया पर साझा किए जाने का नहीं था, लेकिन फिर भी गुपचुप तरीक़े से यह किताब बहुत सारे लोगों तक पहुंचती रही। बेशक, रुश्दी आसान लेखक नहीं हैं, इसलिए पाबंदी हटाए जाने के बाद जिन लोगों ने यह किताब ख़रीदी, उनमें से कई लोगों ने इसे नहीं पढ़ा या आधा पढ़ कर छोड़ दिया। लेकिन यह बात स्पष्ट हो चुकी थी कि सलमान रुश्दी ने कुछ ऐसा लिखा है जो धर्म के ठेकेदारों को चुभता है और इसलिए उसका समर्थन किया जाना चाहिए। तसलीमा नसरीन के उपन्यास ‘लज्जा’ के बारे में भी यही कहा जा सकता है। उसके ख़िलाफ़ जो होहल्ला हुआ, उसने तसलीमा नसरीन को भले जलावतन होने को मजबूर किया लेकिन उन्हें वैश्विक कीर्ति वाली लेखक भी बना डाला। दुनिया भर के कई लेखकों और उनकी कृतियों के साथ यही घटा है, जिसे यहां दुहराने की ज़रूरत नहीं है।