जम्मू-कश्मीर सरकार ने 25 किताबों को प्रतिबंधित कर दिया। उसे लगता है कि ये किताबें अलगाववाद को बढ़ावा देती हैं। इन 25 किताबों में मैंने अरुंधती रॉय की ‘आज़ादी’ आधी पढ़ी है। इसके अलावा कोई और किताब नहीं पढ़ी है। बेशक, सूची में जिन लेखकों की किताबें हैं, उनमें से एक क्रिस्टोफ़र स्नेडेन की किताब ‘अंडरस्टैंडिंग कश्मीर ऐंड कश्मीरीज़’ काफी पहले ख़रीदी और पढ़ी थी और उसे अब भी संभाल कर रखा हुआ है। लेकिन सच यह है कि कश्मीर पर केंद्रित बहुत सारी किताबें पढ़ना तो दूर, उनके होने का पता भी नहीं था। तो इस लिहाज से अच्छा हुआ कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने कम से कम 25 ऐसी किताबें बता दीं जो उसे डराती हैं और इस वजह से भी उन्हें पढ़ा जाना चाहिए। कह सकते हैं- यह पाबंदी किताबों के नए सिरे से पढ़े जाने का रास्ता खोलती है।