मैंने कल लिखा था कि देश के राजनीतिक दल और नेता यदि अपने करोड़ों कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दें तो ऑक्सीजन घर-घर पहुँच सकता है। इंजेक्शन और दवाइयों के लिए लोगों को दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा। कालाबाजारियों के हौंसले पस्त हो जाएँगे। उन्हें पकड़ना आसान होगा। मेरे सुझावों का बहुत-से पाठकों ने बहुत स्वागत किया है लेकिन आप देख रहे हैं कि हमारे नेताओं का मुख्य ध्यान किधर लगा हुआ है? कोरोना की तरफ नहीं, बंगाल की तरफ़!
सरकार के लिए कोरोना की जगह बंगाल बड़ा मुद्दा क्यों है?
- विचार
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- 6 May, 2021
अदालतें तो सरकार को झाड़ रही हैं, उसकी लापरवाही के लिए लेकिन रोज कालाबाजारी की ख़बरें गर्म हो रही हैं। फर्जी इंजेक्शन और सिलेंडर पकड़े जा रहे हैं। अस्पताल के पलंगों के लिए धोखाधड़ी हो रही है। लोग अस्पतालों की सीढ़ियों पर दम तोड़ रहे हैं लेकिन हमारी उच्च और सर्वोच्च अदालतें सिर्फ़ चेतावनियाँ जारी कर रही हैं...
बंगाल में दर्जन भर कार्यकर्ता आपस में लड़ मरे, वह नेताओं के लिए पहला राष्ट्रीय संकट बन गया लेकिन चार हजार लोग कोरोना से मर गए, इसकी कोई चिंता उन्हें दिखाई नहीं पड़ी।