कमाल के लोग हैं। भारत में 80 करोड़ लोग पाँच किलो अनाज पर जी रहे हैं और खुद अमेरिका की सफलता का श्रेय लेने में लगे हैं। कहते हैं - अमेरिका सफल है क्योंकि हम हैं। अति अहंकार का यह भाव भारत की वैदिक संस्कृति को तो धत्ता बताता ही है, भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी धूल में मिला रहा है।