loader

गाँधी पर किसका हक़? सिर्फ़ नाम को भुनाना काफ़ी नहीं

यदि वर्तमान सरकार, बीजेपी और संघ गाँधी का नाम आज ले रहे हैं तो उन्हें क्यों न लेने दें? उनकी आँखें खुल रही हैं, दिल बड़ा हो रहा है, समझ गहरी हो रही है तो उसे वैसा क्यों न होने दें? यह ठीक है कि इस सरकार को मोदी और शाह चला रहे हैं लेकिन हम यह न भूलें कि ये दोनों गुजराती हैं। वे गाँधी और सरदार पटेल को कंधे पर उठा रहे हैं तो इसमें बुराई क्या है?
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और मजलिस-इत्तेहादुल मुसलमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी को बड़ी तकलीफ़ है कि संघ और बीजेपी के नेता आजकल गाँधीजी की माला क्यों जपते हैं? ओवैसी ने तो यहाँ तक कह दिया कि उनके दिल में गोडसे बैठा है और ज़ुबान पर गाँधी है। आजकल देश में जितने भी घोर आपत्तिजनक कार्य हो रहे हैं, उन सब को बीजेपी और संघ के सिर पर थोपकर ओवैसी का कहना है कि उन्हें गाँधी का नाम लेने का कोई अधिकार नहीं है। लगभग यही बात सोनिया गाँधी ने थोड़े शिष्ट लहज़े में कह डाली है और उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह वोटों के ख़ातिर गाँधी के नाम को भुना रही है। सोनियाजी से कोई पूछे कि आज गाँधी के नाम पर भारत में कौन वोट देता है? 

ताज़ा ख़बरें

यदि गाँधी नाम से किसी को वोट मिलते रहे होंगे तो वे भी उनके परिवार को ही मिलते रहे होंगे। जबकि उनके परिवार का गाँधी नाम से कुछ लेना-देना नहीं है। फ़िरोज़ गाँधी से शादी करने के कारण इंदिराजी ने अपना उपनाम गाँधी लिखना शुरू कर दिया। वास्तव में फ़िरोज़ अपने नाम की जो अंग्रेज़ी स्पेलिंग लिखते थे, उसका उच्चारण गाँधी हो ही नहीं सकता। खैर, इसे जाने दें। असली सवाल यह है कि पिछले 40-50 साल में कांग्रेस ने गाँधीजी की विरासत को ज़िंदा रखने के लिए क्या किया? 

कुछ मूर्तियाँ लगा देने, डाक टिकट छाप देने और जन्म तिथि और पुण्य-तिथि मनाने से क्या गाँधी के प्रति अपना कर्तव्य पूरा हो जाता है? कांग्रेसी सरकारें यही सब करती रही हैं। इतने लंबे राज्य-काल में कांग्रेस चाहती तो भारत में गाँधी के सपनों का ऐसा ‘स्वराज’ खड़ा कर देती या वैसी कोशिश करती कि दुनिया को साम्यवाद और पूंजीवाद का कोई उपयोगी विकल्प मिल जाता। लेकिन उसने वोट और नोट की राजनीति करके अपना बेड़ा बिठा लिया। अब सोनिया और राहुल यदि गाँधी का नाम भी लें तो हँसी आने के अलावा क्या होगा? 

विचार से ख़ास

यदि वर्तमान सरकार, बीजेपी और संघ गाँधी का नाम आज ले रहे हैं तो उन्हें क्यों न लेने दें? उनकी आँखें खुल रही हैं, दिल बड़ा हो रहा है, समझ गहरी हो रही है तो उसे वैसा क्यों न होने दें? यह ठीक है कि इस सरकार को मोदी और शाह चला रहे हैं लेकिन हम यह न भूलें कि ये दोनों गुजराती हैं। वे गाँधी और सरदार पटेल को कंधे पर उठा रहे हैं तो इसमें बुराई क्या है? वे भी कांग्रेसियों की तरह सिर्फ़ गाँधी को भुनाने में लगे रह सकते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने भी इस बार गाँधी जयंती के अवसर पर दर्जनों अख़बारों में अपने लेख छपवाए हैं। मैं उनसे और कांग्रेसी नेताओं से भी कहता हूँ कि आज गाँधी का हर बात में अंधानुकरण करने की ज़रूरत नहीं है लेकिन आज भी यदि वे गाँधी-कार्य और विचार पर अमल करने की कोशिश करें तो वे भारत ही नहीं, सारी दुनिया को नया रास्ता दिखा सकते हैं। 

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार)

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें