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नमस्ते ट्रम्प: व्यापार सौदे की विफलता छुपाने के लिए रंगारंग इवेंट?

ट्रम्प 24 फ़रवरी को अहमदाबाद में 'दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम' का उद्घाटन करेंगे। यह भी कि बॉलीवुड के अनेक कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। इनमें अमिताभ और सोनम कपूर का नाम ही अभी तक सामने आया है। 22 किलोमीटर की रैली की भी ख़बरें हैं, लेकिन साबरमती रिवरफ्रंट पर मोदी उनके साथ झूला झूलेंगे या नहीं; जैसा कि मोदी चीन के राष्ट्रपति के साथ झूल चुके हैं, यह अभी साफ़ नहीं है। 24 फ़रवरी को रंगारंग इवेंट के रूप में प्रचारित करने के पीछे क्या यही इरादा है कि भारत और अमेरिका में जो समझौते होनेवाले हैं, उन पर ज़्यादा चर्चा न हो?

अमेरिका के ह्यूस्टन में 22 सितम्बर 2019 को आयोजित ‘हाउडी मोदी’ का प्रतिफल ट्रम्प को ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम से मिलने वाला है। वैसे तो ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो भाषण दिया था, उसका फ़ायदा मोदी को कम और ट्रम्प को ही ज़्यादा मिला था। अमेरिका में रह रहे आप्रवासी भारतीय मतदाताओं के सामने मोदी का यह कहना कि ट्रम्प 2020 का चुनाव फिर जीतेंगे। ट्रम्प के फ़ायदे की ही बात तो थी।

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पहले इस कार्यक्रम का नाम ‘केम छो ट्रम्प’ था। बाद में इसे ‘नमस्ते ट्रम्प’ कर दिया गया। आयोजन के लिए जो 3 टैग लाइन हैं, वह हैं- ‘टू ग्रेट डेमोक्रेसी एट द वर्ल्ड्स बिगेस्ट क्रिकेट स्टेडियम’, ‘ब्रिंगिंग इंडिया एंड अमेरिका टूगेदर एट दी वर्ल्ड बिगेस्ट क्रिकेट स्टेडियम’ और ‘वर्ल्ड्स ओल्डेस्ट डेमोक्रेसी मीट्स वर्ल्डस लार्जेस्ट डेमोक्रेसी’। 

अहमदाबाद का मोटेरा स्टेडियम विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है, जिसमें एक लाख दस हज़ार दर्शकों के बैठने की व्यवस्था है। इसके साथ ही इस आयोजन के माध्यम से दुनिया की सबसे बड़ी और दुनिया की सबसे विशाल डेमोक्रेसी का भी ज़िक्र है। भारत और अमेरिका दोनों के बीच नई कूटनीति शुरू होने के बाद अहमदाबाद में केवल स्टेडियम का उद्घाटन और फ़िल्मी सितारों का रंगारंग कार्यक्रम ही नहीं होगा, भारत और अमेरिका के बीच कुछ समझौते भी होंगे। संयोग की बात है कि आयोजन को जिस तरह से प्रचारित किया जा रहा है, उस तरह से भारत-अमेरिकी समझौतों और व्यापार रिश्तों को प्रचारित नहीं किया जा रहा। 

वास्तव में ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम तो बारात के स्वागत जैसा कार्यक्रम है। विवाह तो सप्तपदी के बाद ही सम्पन्न माना जाता है। सप्तपदी की चर्चाएँ कम हैं और बारात के स्वागत की ख़बरें ही ज़्यादा हैं।

भारत और अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी इन दिनों इस बात की तैयारी कर रहे हैं कि दोनों देशों के नेताओं की उपस्थिति में कौन-कौन से व्यापार समझौते किए जा सकते हैं। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइथिजर के बीच कई बार टेलीफ़ोन पर बातें हो चुकी हैं। अमेरिका ने भारत से जाने वाले इस्पात और एल्यूमिनियम पर उच्च शुल्क लगा रखे हैं, जिससे भारतीय उत्पादों का अमेरिका में निर्यात कठिन होता जा रहा है। 

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अमेरिका अपने खेती के उपकरण, कंस्ट्रक्शन मशीनरी, डेयरी प्रोडक्ट और अस्पतालों में काम आने वाले महँगे उपकरण भारत के बाज़ार में बेचना चाहता है। यदि भारत ने अमेरिका के डेयरी प्रोडक्ट आयात करने की खुली छूट दे दी, तो उसका असर भारत के किसानों और खेतीहरों पर पड़ेगा। अमेरिका में पशुपालन का कार्य भी किसी फ़ैक्ट्री की तरह ही होता है और वह चाहता है कि अमेरिकी दुग्ध उत्पाद भारत में आसानी से मिलने लगे। अमेरिका में दूध की बनी चीजें भारी प्रिजर्वेटिव के साथ सुरक्षित की जाती हैं, जिससे प्रोसेस किया हुआ दूध और दही कई सप्ताह तक ख़राब नहीं होते।

अमेरिका को भारत की इतनी बड़ी आबादी एक बाज़ार के रूप में नज़र आ रही है। चुनाव तो आगे है ही। अमेरिका में चुनाव है और ट्रम्प चाहते हैं कि वह वहाँ जाकर भारतीय बाज़ारों में अपनी जीत का डंका बजा दें।

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डॉ प्रकाश हिन्दुस्तानी
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