प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल क़िले के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए 15 अगस्त और उसके दूसरे दिन पड़ने वाले जन्माष्टमी के पावन पर्व का युग्म बनाकर राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र जैसी सुरक्षा देने का संकल्प जताया। साथ ही उन्होंने दशहरे पर शस्त्र पूजा करने वाले और रोज प्रातः शाखा में लाठी भांजने वाले संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सौ साल पूरे होने पर उनकी देश सेवा का स्मरण दिलाया। उसी के साथ भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय ने स्वतंत्रता दिवस की बधाई देने वाला ऐसा पोस्टर जारी किया जिसमें भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी के भी ऊपर विनायक दामोदर सावरकर को चित्रित किया गया है।
हमें कृष्ण की बांसुरी चाहिए या सुदर्शन चक्र?
- विचार
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- 16 Aug, 2025

प्रधानमंत्री मोदी ने सुदर्शन चक्र रक्षा प्रणाली की घोषणा की है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारत सरकार की ओर से खड़ा किया जा रहा यह ऐसा आख्यान है जो राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी की प्रमुख भूमिका को धकिया कर उस पर सावरकर को प्रभावी करने के लिए वर्षों से सक्रिय है। इसी के साथ वह गांधी को कभी भगत सिंह की लाठी से पीटता है, कभी सावरकर की तो कभी सुभाष चंद्र बोस की। वह हिंदू देवी देवताओं को युद्धोन्मादी रूप में प्रस्तुत करके अपनी हिंसा और घृणा की विचारधारा को वैधता प्रदान करता है। यह महज संयोग नहीं है कि वे राम के सत्य, करुणा, प्रजा वत्सलता, राज-त्याग और मर्यादा के मूल्यों को दरकिनार करके ‘भय बिनु होइ न प्रीति’ के कथन को ही अपने आदर्श के रूप में प्रस्तुत करते हैं। प्रधानमंत्री ने अयोध्या में जब राम मंदिर का शिलान्यास किया था तो रामचरित मानस के उसी दोहे को उद्धृत किया गया था जिसमें कहा गया था कि ‘’विनय न मानत जलधि जड़ गए तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति।।’’