भारत सरकार ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के नेतृत्व में भारत आए प्रतिनिधिमंडल के लिए पलक पावंडे बिछा दिए। जनरल प्रकाश कटोच ने सवाल किया "क्या भारत को तालिबान को सम्मान देना चाहिए?"
तालिबानी और हिन्दुत्ववादी पितृसत्तात्मकता- क्या समान है और क्या अलग?
- विचार
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- 28 Oct, 2025


तालिबान विदेश मंत्री जयशंकर के साथ
तालिबान की पितृसत्तात्मक सोच और हिन्दुत्ववादी समाज की पुरुषसत्ता- दोनों में क्या समानताएँ और भिन्नताएँ हैं?
तालिबान के मानवाधिकारों के संबंध में रिकॉर्ड- खासकर महिलाओें के प्रति उसकी प्रतिगामी सोच- के बारे में सभी जानते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि तालिबान से रिश्ते कायम करना भू-रणनीतिक दृष्टि से ज़रूरी है। मगर अफगानिस्तान की औरतें, जो मानवाधिकारों, विशेषकर शिक्षा और इकठ्ठा होने के अधिकारों से वंचित हैं, भारत में मुत्ताकी के स्वागत से छला हुआ महसूस कर रही होंगी। मुत्ताकी की पहली पत्रकार वार्ता में महिला पत्रकारों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। हालाँकि, सख्त आलोचना के बाद दूसरी पत्रकार वार्ता में महिलाओं को आने दिया गया।
तालिबान के सत्ता में आने के बाद उसके द्वारा जारी किए गए फरमानों से सारी दुनिया को धक्का लगा। यह वही समूह है जिसने गौतम बुद्ध की 53 और 35 मीटर ऊँची आलीशान प्रतिमाओं को, दुनिया भर से ऐसा न करने के अनुरोध के बावजूद, नष्ट कर दिया था। दुनिया वहाँ हो रहे मानवाधिकारों के भीषण उल्लंघन को असहाय होकर देख रही है। इसी तालिबान ने गैर-मुस्लिमों पर जज़िया लगाया था।























