अजय माकन
पिछले दिनों राजस्थान में जब सचिन पायलट ने बगावत कर दी तो खड़गे ने अजय माकन के नेतृत्व में एक टीम को राजस्थान संकट हल करने के लिए भेजा था। आरोप था कि माकन ने वहां सचिन पायलट का पक्ष ले लिया और उसी तरह की रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को भेज दी। लेकिन अशोक गहलोत और उनके समर्थकों ने बाजी पलट दी। खड़गे, माकन और सचिन पायलट को पीछे हटना पड़ा। हालांकि उस समय अजय माकन की गतिविधियों को पार्टी के नजरिए से सही नहीं माना गया, लेकिन समझा जाता है कि माकन राष्ट्रीय नेतृत्व के इशारे पर काम कर रहे थे, जो पायलट को सीएम बनाना चाहता था।
अजय माकन की नियुक्ति से यह भी साफ हो गया कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर हाल ही अरविंदर सिंह लवली की नियुक्ति भी माकन की सलाह पर की गई थी। इस तरह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में माकन युग लौट रहे है। कांग्रेस जानती है कि लोकसभा चुनाव में और पार्टी को दिल्ली में खड़ी करने के लिए ऐसे नेताओं की जरूरत है जिनकी जनता में अपील हो। अरविंदर सिंह लवली जमीनी नेता माने जाते हैं। इसी तरह दिल्ली में अब कई पुराने चेहरों की वापसी हो रही है। यहां यह साफ करना जरूरी है कि अजय माकन और लवली दोनों ही आम आदमी पार्टी से किसी भी तरह का गठबंधन किए जाने के खिलाफ हैं। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की राजनीति अब पूरी तरह से बदल जाएगी।