Bihar SIR Controversy: बिहार एसआईआर ने विपक्षी गठबंधन इंडिया को फिर से एकजुट कर दिया है। 7 अगस्त को गठबंधन की डिनर मीटिंग बुलाई गई है। 8 अगस्त को इंडिया गठबंधन के नेता चुनाव आयोग के दफ्तर तक मार्च करेंगे।
बिहार एसआईआर के खिलाफ इंडिया गठबंधन की डिनर मीटिंग 7 अगस्त को। फाइल फोटो
विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेता 7 अगस्त को कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आवास पर डिनर मीटिंग कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मुद्दे पर रणनीति तैयार की जाएगी। इसके अगले दिन, 8 अगस्त को, विपक्षी दल चुनाव आयोग के दफ्तर तक विरोध मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं।
इंडिया गठबंधन के नेता जून 2024 के बाद अपनी पहली फिजिकल मीटिंग (सशरीर मौजूदगी) के लिए एक साथ आए हैं। यह बैठक समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव की पहल पर हो रही है। जिन्होंने विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह बैठक और मार्च संसद के मॉनसून सत्र के दौरान एसआईआर मुद्दे पर गतिरोध के बीच हो रहा है, जो विपक्ष की चर्चा की मांग को सरकार से पॉजिटिव प्रतिक्रिया न मिलने के कारण लगभग बाधित है। विपक्षी दलों ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पर चिंता जताई है, इसे "वोट-बंदी" और "वोट-चोरी" करार देते हुए दावा किया है कि इससे काफी मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटाया जा रहा है, जिससे उनका वोट देने का मौलिक अधिकार छिन सकता है।
सूत्रों ने बताया कि 7 अगस्त की बैठक में इंडिया ब्लॉक के नेता न केवल एसआईआर पर रणनीति बनाएंगे, बल्कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर भी चर्चा कर सकते हैं, क्योंकि इस पद के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है।
इंडिया गठबंधन फिर एकजुट
इस बैठक के आयोजन से पहले रविवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और अन्य प्रमुख विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेता चर्चा के लिए जमा हुए। चर्चा के प्रमुख मुद्दों में बिहार एसआईआर, महंगाई, बेरोजगारी, और हाल के सरकारी नीतियों पर विपक्ष का साझा रुख शामिल था।
अखिलेश यादव ने बैठक के बाद कहा, "हमारा गठबंधन देश के लोगों की आवाज को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह बैठक हमारी एकता और साझा लक्ष्यों को बताती है।"
यह बैठक विपक्ष के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि यह गठबंधन को और संगठित करने और राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी विपक्ष के रूप में उभरने की दिशा में एक कोशिश है।
राहुल गांधी के बयान
यह बैठक राहुल गांधी के उस बयान के बाद हो रही है, जिसमें उन्होंने 2 अगस्त को कांग्रेस के एक सम्मेलन में दावा किया था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 70-80 सीटों पर हेराफेरी हुई थी। उन्होंने कहा था, "भारत में चुनाव प्रणाली पहले ही मृत हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत कम बहुमत से सत्ता में हैं। अगर 15 सीटों पर भी हेराफेरी न हुई होती, तो वह आज प्रधानमंत्री नहीं होते।" राहुल ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस की छह महीने की जांच में पाया गया कि लोकसभा चुनाव में 6.5 लाख मतदाताओं में से लगभग 1.5 लाख मतदाता "फर्जी" थे। राहुल गांधी के आरोपों पर विपक्षी नेता सोचने पर मजबूर हुए और अखिलेश ने 7 और 8 अगस्त के आयोजन की पहल कर दी।
महाराष्ट्र और बिहार की सूची पर सवाल
विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची से 60 लाख से अधिक नाम हटाए जाने और महाराष्ट्र में 45 लाख मतदाताओं को जोड़े जाने पर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कथित हेराफेरी का आरोप लगाया था, जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि उन्होंने 12 जून को राहुल को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
टीएमसी की SIR पर पहल
विपक्षी दल संसद के अंदर और बाहर एसआईआर के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने इसे "साइलेंट इनविजिबल रिगिंग" (मूक हेराफेरी) करार देते हुए कहा कि आज 4 अगस्त से वे संसद में नियमों और प्रक्रियाओं के बारे में "मोदी गठबंधन को मुफ्त ट्यूटोरियल" देंगे।समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि एसआईआर विपक्ष की ताकत को कम करने का एक व्यवस्थित तरीका है और इसे हर कदम पर विरोध करना जरूरी है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी इस बैठक में शामिल होने की पुष्टि की है और कहा कि वे बिहार में एसआईआर के दुरुपयोग पर चर्चा करेंगे, जिसका इस्तेमाल सत्तारूढ़ बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
AAP का SIR पर रुख
आम आदमी पार्टी (आप) इस बैठक और मार्च में शामिल नहीं होगी। हालांकि, आप संसद के अंदर एसआईआर के खिलाफ आंदोलन का समर्थन जारी रखेगी। आप का कहना है कि वह अब इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं है। आप पर आरोप है कि जब इंडिया गठबंधन की एकजुटता चरम पर थी तो उसने उस एकजुटता को तोड़ने का काम किया। आप प्रमुख अरविन्द केजरीवाल विपक्षी नेताओं के बीच शक के दायरे में हैं। हालांकि उन्हें ईडी जांच के दौरान जब गिरफ्तार किया गया तो विपक्ष उनके साथ खड़ा हुआ था।