loader

झगड़ों के कारण मिली कांग्रेस को चुनावों में हार: पैनल

हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तमिलनाडु को छोड़कर बाक़ी जगहों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा। पश्चिम बंगाल में तो हालात ये रहे कि वह 2016 की 44 सीटों से घटकर शून्य पर आ गई। इसके बाद कांग्रेस के भीतर एक बार फिर से तमाम आवाज़ें उठीं और वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि इन फ़ैसलों को लेकर चिंतन किया जाना चाहिए। 

इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक पैनल बनाया और अब उस पैनल ने जो रिपोर्ट दी है, उसके मुताबिक़, इन चुनावी राज्यों में कांग्रेस की इकाइयों में गुटबाज़ी या अंदरूनी लड़ाई थी और यही हार का प्रमुख वजह बनी। 

इसके अलावा टिकट वितरण में देरी, उम्मीदवारों और गठबंधन को चुनने में भी ग़लतियां हुई हैं, ये कारण बताए गए हैं। पैनल ने आने वाले कुछ महीनों में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनके लिए भी कुछ सुझाव दिए हैं। 

इस पैनल में वरिष्ठ नेता सलमान ख़ुर्शीद, अशोक चव्हाण, मनीष तिवारी, विन्सेंट पाला और जोथी मानी शामिल थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि झगड़े के साथ ही पार्टी के नेताओं के बीच सामंजस्य की कमी रही और चुनाव के दौरान पार्टी के बारे में ग़लत धारणा बनी और ऐसा विशेषकर असम और केरल में हुआ। 

पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पार्टी का संगठन ज़मीन पर जड़ से ख़त्म हो गया है और इन राज्यों में इसे फिर से जिंदा करने की ज़रूरत है। पैनल ने यह रिपोर्ट तैयार करने के लिए लगभग तीन हफ़्ते तक इन सभी राज्यों के कांग्रेस नेताओं से बातचीत की। 

ताज़ा ख़बरें

केरल में गुटबाज़ी

पैनल की रिपोर्ट सही भी लगती है क्योंकि केरल कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला के गुटों के बीच लड़ाई जगजाहिर थी। रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है कि इन दोनों के गुटों के अलावा कई नए उम्मीदवार उतारने के कारण भी पार्टी को सियासी नुक़सान हुआ है।  

एआईयूडीएफ़ के साथ गठबंधन ग़लत 

पैनल कहता है कि असम में हार का कारण वे 14 सीटें रहीं जिनमें मिली-जुली आबादी थी और यहां पर नए क्षेत्रीय दलों की वजह से कांग्रेस को नुक़सान हुआ। 

असम में इस पैनल ने एआईयूडीएफ़ के साथ गठबंधन करने को ग़लत फ़ैसला बताया है। कुछ नेताओं ने असम में पार्टी के प्रभारी बनाए गए जितेंद्र सिंह को इस बात का दोषी ठहराया है कि उन्होंने प्रचार और गठबंधन की रणनीति के मामले में राज्य नेतृत्व को बाइपास किया। 

राजनीति से और ख़बरें

बंगाल में मतों का ध्रुवीकरण 

पश्चिम बंगाल के बारे में पैनल की रिपोर्ट कहती है कि बीजेपी और टीएमसी के बीच मतों का ध्रुवीकरण हुआ और इससे पार्टी के प्रदर्शन पर असर पड़ा। कुछ नेताओं ने राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी पर भी सवाल उठाया है और कहा है कि उन्होंने बिना बातचीत किए काम किया।

इसके अलावा पुडुचेरी में भी पार्टी का प्रदर्शन पिछली बार से ख़राब रहा हालांकि तमिलनाडु में उसने डीएमके के साथ मिलकर ठीक प्रदर्शन किया। 

लेकिन कांग्रेस केवल पैनल बनाने से नहीं बच सकती। उसकी इन लगातार हार की वजह से वह तो कई राज्यों में रसातल में गई ही है, उसके लचर रवैये के कारण देश में मजबूत विपक्ष भी ख़त्म हो गया है।

कांग्रेस के घर के अंदर ही पचास झगड़े चल रहे हैं, 2019 के लोकसभा चुनाव के दो साल बाद भी पार्टी को स्थायी अध्यक्ष नहीं मिला है। कई वरिष्ठ नेता, कई राज्यों में विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं और राजस्थान, पंजाब, केरल, उत्तराखंड सहित कई और राज्यों की कांग्रेस इकाइयों में घमासान चल रहा है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें