क़रीब 30 साल पहले की बात है। फिज़िक्स की क्लास चल रही थी। प्रोफ़ेसर साहब प्रकाश और प्रकाश की गति के बारे में बता रहे थे। उन्होंने बताया कि प्रकाश की गति सबसे तेज़ होती है। इससे तेज़ किसी भी चीज़ की गति नहीं हो सकती। एक छात्र ने पूछ लिया, 'सर मान लीजिए, अगर कोई प्रकाश की गति से ज्यादा तेज़ चले तो क्या होगा? प्रोफ़ेसर साहब ने उसे ऊपर से नीचे तक घूर कर देखा और बोले, 'प्रकाश की गति से तेज़ चलने वाला मुसाफ़िर अपने सफ़र का पहला क़दम उठाने से पहले ही अपनी मंज़िल पर पहुँच जाएगा। यानी वो भविष्य में जाने के बजाय भूतकाल में पहुँच जाएगा।' मुझे आज भी याद है। यह सुनते ही पूरी क्लास ठहाकों से गूँज गई थी।
आख़िर 'गाँधी परिवार' पर ही क्यों अटकी है कांग्रेस की सुई?
- राजनीति
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- 12 Aug, 2019

आख़िर क्यों कांग्रेस पार्टी गाँधी परिवार से बाहर निकलने की नहीं सोच पाती है? ऐसा क्या है कि वह उसी परिवार के इर्द गिर्द घूमती रहती है? यह परिवार इस पार्टी की ख़ूबी है या बोझ?
शनिवार क़रीब आधी रात को जब सोनिया गाँधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाने की ख़बर आई तो मुझे प्रोफ़ेसर साहब की 30 साल पुरानी बात याद आ गई। कांग्रेस अपना भविष्य तलाशते-तलाशते अचानक इतनी तेज़ गति से आगे बढ़ी कि भटक कर फिर से भूतकाल में ही पहुँच गई। सत्ताधारी पार्टी बीजेपी 2024 में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के सांसदों को अगला चुनाव जीतने के टिप्स दिए हैं। केंद्र के साथ-साथ देश के ज़्यादातर राज्यों में सत्तासीन हो चुकी बीजेपी को उखाड़ फेंकने के दावे करने वाली कांग्रेस गाँधी परिवार से बाहर का नया अध्यक्ष ढूँढते-ढूँढते उसी दौर में पहुँच गई जहाँ कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गाँधी हुआ करती थींं।